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*किरार (धाकड़) समाज को किस हद तक गलत संरक्षण देंगे साधना-शिवराज*

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*विदिशा की बेटी और पिता की मौत का जिम्‍मेदार कौन? न्याय की गुहार लगा रहा गोस्वामी परिवार*

*प्रदेश की बहन-बेटियों की अस्मिता बचाने में नाकामयाब शिवराज सरकार ने रचा लाड़ली बहना का महाआयोजन*

*प्रदेश की जनता के साथ भाजपा नेताओं द्वारा किये जा रहे बर्बरतापूर्वक व्यवहार के वीडियो रोज आ रहे सामने*

*गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के अधिकार छीन लिए तो कौन संभालेगा कानून व्‍यवस्‍था?*

*विजया पाठक,

      विदिशा जिले के नटेरन गांव निवासी गोस्वामी परिवार की बेटी रक्षा के दाह संस्कार की लपटें अभी थमी भी नहीं थी कि बीते दिनों बेटी के पिता धीरेन्द्र गोस्वामी ने भी आत्महत्या कर ली। धीरेन्द्र ने यह आत्महत्या भाजपा नेताओं की दबंगई और बेटी को न्याय न दिला पाने के कारण की। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेटी और महिलाओं की सुरक्षा की दुहाई देते प्रदेश की गली-गली में घूम रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ राजधानी से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित विदिशा जिले में बेटियां कितनी सुरक्षित हैं। रक्षा की मौत इस बात का जीता जागता उदाहरण है। रक्षा और उसके पिता धीरेन्द्र की मौत प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुशासन व्यवस्था पर करारा तमाचा है। एक तरफ जहां पीड़ित परिवार आरोपियों पर कार्यवाही करने की मांग करते हुए सड़कों पर उतरा है और न्याय की मांग कर रहा है। वहीं, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान इंदौर के मंच पर खड़े होकर लाड़ली बहना योजना की दूसरी किश्त जारी करने में मशगूल हैं। आखिर बहन-बेटियों के अस्मत की रक्षा करने में नाकामयाब शिवराज सरकार की लाड़ली बहना जैसी योजनाओं का क्या मतलब?

*नाम मात्र के अधिकार हैं गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के पास*

      कहा जाता है कि प्रदेश में घट रही आपराधिक घटनाओं के लिए सीधे तौर पर प्रदेश के गृहमंत्री जिम्‍मेदार हैं लेकिन विश्‍वस्‍त सूत्रों का कहना है कि गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के सारे अधिकार छीन लिए गए हैं। उन्‍हें किसी हवलदार का तबादला करने तक का अधिकार नहीं है। वह केवल नाममात्र के गृहमंत्री हैं। सारे आदेश मुख्‍यमंत्री या मुख्‍यमंत्री निवास से संचालित होने लगे हैं। यह स्थिति केवल गृह विभाग का ही नहीं है बल्कि राजस्‍व, जनसंपर्क विभाग जैसे महत्‍वपूर्ण विभागों का यही हाल है। नाम न छापने की शर्त पर प्रदेश के एक सब इंस्‍पेक्‍टर ने बताया कि मेरी पोस्टिंग में सीधे तौर पर मुख्‍यमंत्री निवास से पैसे मांगे गए थे। वर्तमान में ऐसी हालत प्रदेश की हो गई है। हम कैसे प्रदेश में कानून व्‍यवस्‍था के सुधार की आशा कर सकते हैं।

*छेड़छाड़ की घटना से परेशान थी रक्षा*

विदिशा जिले के 19 वर्षीय रक्षा गोस्वामी छेड़छाड़ की घटना से बुरी तरह से परेशान थी। रक्षा के साथ छेड़छाड़ की यह घटना उसी के घर के पास रहने वाला लड़का सुदीप धाकड़ करता था। सुदीप रक्षा को अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था। लेकिन अपनी अस्मत को बचाने के लिये रक्षा को मौत को गले लगाना पड़ा। मौत से पहले भी रक्षा ने कई बार पुलिस को सुदीप खाकड़ द्वारा छेड़छाड़ किये जाने की शिकायती आवेदन दिये, लेकिन पुलिस ने कभी भी संजीदगी के साथ इस पर कार्यवाही नहीं की। मामला जब बढ़ा तो खानापूर्ति के लिये पुलिस ने सुदीप को गिरफ्तार किया, लेकिन गिरफ्तारी के 27 दिन बाद ही वह जेल से रिहा हो गया और वापस रक्षा व उसके परिवार के लोगों पर शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहा था।

*किरार (धाकड़) समाज के हैं आरोपी, कहीं इसलिये तो नहीं बच रहे*

सूत्रों के अनुसार विदिशा कांड में लिप्त सभी आरोपी किरार समाज से जुड़े हैं। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह अखिल भारतीय किरार समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ऐसे में आरोपियों को संरक्षण देने का काम उनके इशारे पर तो नहीं हो रहा है। यह एक बहुत बड़ा सवाल है जिसका जबाव प्रदेश के हर व्यक्ति को चाहिए।

*भाजपा नेताओं के लिंक आये सामने*

सुदीप धाकड़ को जिले के ही कई बड़े भाजपा नेताओं का संरक्षण मिला। बताया जा रहा है कि भगवान सिंह, राजेश सिंह और कल्याण सिंह सुदीप धाकड़ के करीबी हैं और इन सभी ने मिलकर गोस्वामी परिवार पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जिससे परेशान होकर पहले बेटी रक्षा ने फांसी लगाई और उसके बाद दो दिन पहले पिता धीरेन्द्र गोस्वामी ने मौत को गले लगा लिया। खास बात यह है कि बेटी और पिता की मौत के बाद भी विदिशा जिले की पुलिस के कान में जू नहीं रेंगी और उन्होंने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की। सूत्रों के अनुसार सुसाइड नोट में पिता धीरेन्द्र ने जिन भाजपा के शूरवीरों का नाम लिखा है उनका लिंक सीधे तौर पर मुख्यमंत्री निवास से बताये जा रहे हैं।

*शिवराज सिंह चौहान-साधना सिंह के करीबी हैं यह नेता*

सूत्रों के अनुसार जिले के तीनों भाजपा नेता भगवान सिंह, राजेश सिंह और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान के करीबी बताये जा रहे हैं। उन्हीं के हस्तक्षेप के कारण अब तक पुलिस ने न तो रिपोर्ट दर्ज की और न ही आरोपियों की गिरफ्तारी की। यही नहीं विश्वस्त सूत्रों की मानें तो तीनों ही भाजपा नेता मुख्यमंत्री व उनकी पत्नी के करीबी हैं और विदिशा में उनके कई महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधे पर है।

*क्या भाजपा नेताओं के घर पर चलेगा बुल्डोजर?*

खुद को बुल्डोजर मुख्यमंत्री बताने वाले शिवराज सिंह चौहान क्या इन आरोपी भाजपा नेताओं के घरों पर बुल्डोजर चलायेंगे। अब तक बहन-बेटियों और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपियों के घरों पर बुल्डोजर चलवाकर खुद को बुल्डोजर मुख्यमंत्री कहलवाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आखिर कब इन आरोपियों के घर पर बुल्डोजर चलवायेंगे। या फिर इस पूरे मामले को धीरे से दबाकर भाजपा नेताओं को हरी झंडी दे देंगे।

*ब्राम्हण संगठनों में नाराजगी*

जिले के गोस्वामी परिवार के साथ हुई इस दर्दनाक घटना के आरोपियों पर अब तक कार्यवाही न होने की स्थिति में प्रदेश भर के ब्राम्हण संगठन के कार्यकर्ताओं ने विरोध दर्ज करना शुरू कर किया है। विश्‍व व्‍यापी ब्राहमण समाज के छत्‍तीसगढ़ के अध्‍यक्ष मणिशंकर पांडे के अनुसार जब शिवराज सरकार सीधी के पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर बुल्डोजर चलवा सकती है तो फिर इन भाजपा नेताओं के घर पर बुल्डोजर क्यों नहीं चलवा रही है। आखिर इन नेताओं की गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुई है। कार्यकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि अगर शिवराज सरकार ने जातिवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया तो आगामी चुनाव में यह शिवराज सरकार को महंगा पड़ सकता है।

*2018 में एकजुटता दिखाने पर चली गई थी सरकार-* ब्राम्हण समाज के खिलाफ मुखर होते शिवराज सिंह चौहान शायद यह भूल गये हैं कि वर्ष 2018 में उनके द्वारा दिये गये माई के लाल वाले बयान के बाद ब्राम्हण समाज पूरी तरह से नाराज हो गया था और इसका खामियाजा सरकार को सत्ता गवांकर चुकाना पड़ी थी। ऐसे में इस बार भी अगर धाकड़ समाज पर सरकार ने कार्यवाही नहीं की तो ब्राम्हण समाज एक तरफा सरकार का विरोध करने के लिये तैयार है।

*एक के बाद एक घटनाओं का गवाह बनता प्रदेश*

हर तरफ बर्बरतापूर्वक घटनाएं हो रही हैं और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह से इन घटनाओं से अंजान बने हुए हैं। सीधी का पेशाब कांड, इंदौर, ग्वालियर, सागर और शिवपुरी में आदिवासी और दलितों के साथ हो रही बर्बरतापूर्वक घटनाओं को देखने के बाद स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि प्रदेश सरकार सो रही है और कानून व्यवस्था सुस्त है। अगर प्रदेश सरकार और कानून व्यवस्था दोनों अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन अच्छे से करते तो रक्षा आज जीवित होती, दशमत के साथ पेशाब कांड नहीं होता और न ही किसी दलित या गरीब आदिवासी के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आती। प्रदेश में आये दिन सामने आ रही इन घटनाओं को देखने के बाद कई सवाल मन में उठते हैं जिनका जवाब प्रदेश की शिवराज सरकार को पूरी जिम्मेदारी के साथ देना चाहिए।

*कर्ज से परेशान परिवार ने की आत्महत्या*

राजधानी भोपाल में कर्ज से परेशान होकर एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली। घटना रातीबड़ थाना क्षेत्र के नीलबड़ में हरिहर नगर स्थित शिव विहार कॉलोनी की है। युवा दंपति ने अपने दो मासूम बच्चों को कोल्ड ड्रिंक में सल्फास मिलाकर पिलाई। इसके बाद दोनों एक ही फंदे पर झूल गए। 35 वर्षीय भूपेंद्र विश्वकर्मा मूलत: रीवा के रहने वाले था। यहां एक बात जिक्र करना भी जरूरी है कि प्रदेश के हर एक नागरिक को खुशहाली के साथ जीवन देने की, आजीविका के लिए काम धंधे देने की जिम्‍मेदारी सरकार की होती है लेकिन आज हालत प्रदेश में बदतर होते जा रहे हैं। प्रदेश एक तरफ जहां शिवराज सिंह चौहान माताओं बहनों की खुशियों की दुहाई देते थक नहीं रहे हैं वहां प्रदेश के लोग कर्ज के बोझ तले मौत को गले लगाने को मजबूर हैं।

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