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आज देश में गांधी और विनोबा जैसी संस्थाएं नष्ट और ध्वस्त किए जा रहे हैं,विनोबा और प्रभाष जोशी के मूल्य नई पीढ़ी को बताना जरूरी

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इंदौर प्रेस क्लब और प्रभाष परम्परा न्यास ने वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी की पुस्तक विनोबा दर्शन का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया। यह पुस्तक प्रभाष जोशी द्वारा विनोबा भावे के साथ बिताए गए 39 दिनों के अनुभवों पर आधारित है।

पुस्तक लोकार्पण के मौके पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा की हमारा अतीत कितना समृद्धशाली है। इसमें गांधी, विनोबा, प्रभाष जोशी शामिल हैं। हमें उनके कार्य आगे बढ़ाना हैं। जितने भी महापुरुष हुए वो मैं नहीं हम कहते हैं। वो अंतिम व्यक्ति के बारे में सोचते हैं। इसलिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है। 

इससे पहले गांधीवादी कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी ने कहा विनोबा भावे अपने लिए कभी कोई आग्रह नहीं करते थे, जबकी आज हमारी जिंदगी हमारे बारे में बात करते ही निकल जाती है। एक बार गांधीजी को ज्वर हुआ तो उन्होंने कहा आज विनोबा प्रवचन लेंगे। जब विनोबा ने बोलना शुरू किया तब वहां मौजूद लोग तन, मन, धन से उनमें समर्पित हो गए। उनके जेल के जीवन में नागपुर जेल में उन्होंने गीता के जो प्रवचन दिए वो हमेशा याद किए जाएंगे। त्रिवेदी ने कहा आज हम पढ़ना, लिखना, सोचना, समझना छोड़ चुके हैं। यह हमें पतन की ओर ले जा रहा है। प्रभाष जोशी को 23 साल की उम्र में इतनी ऊर्जा कहां से मिली यह भी सोचने की बात है। उन्होंने विनोबा के इंदौर आने पर बिना पेन कॉपी कैसे रोज सुबह चार बजे वहां जाकर कैसे रिपोर्टिंग की यह सोचने वाली बात है। विनोबा जीवन और चिंतन का नाम है। विनोबा कहते थे सरकारी कर्मचारियों को सैलरी के साथ दो मन अनाज दे दो। यह उन्हें सरकार, देश और व्यवस्था से जोड़ेगा। विनोबा ने सिखाया की अपने आसपास के लोगों के साथ चैतन्य बनें। 

वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने कहा आज देश में गांधी और विनोबा जैसी संस्थाएं नष्ट और ध्वस्त किए जा रहे हैं। इन्हें पुनर्जीवित करना होगा। मैंने एक भी ऐसा रिपोर्टर नहीं देखा जो 23 साल की उम्र में सुबह से रात तक बिना मोबाइल, गाड़ी के खुश होकर काम करता था। आज ऐसे पत्रकार नहीं बचे हैं। प्रभाष जी का पत्रकार मूलतः कथाकार था, इसलिए उनकी कहानियों का भी संग्रह होना चाहिए। 

वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा की वह सबसे दूर जाएगा जिसे मालूम नहीं कहा जाना है। यही प्रभाष जोशी का जीवन था। वो सनातनी गृहस्थ वैरागी थे। इंदौर में पत्रकारिता की नर्सरी से तीन बड़े नाम निकले राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी, राजेंद्र माथुर। इन्होंने देश की पत्रकारिता को नई दिशा दी। उन्होंने श्रवण गर्ग की बात पर कहा की पीएम मोदी अब गांधी के ग्राम स्वराज को आगे बढ़ा रहे हैं।कार्यक्रम के अंत में स्वर्गीय प्रभाष जोशी की पत्नी उषा जोशी को सम्मानित किया गया।

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