मुख्यमंत्री मोहन यादव का पहला कार्यकाल प्रदेश के लिए काफी सफल साबित हुआ है। इस एक साल में उन्होंने प्रशासनिक ढांचे में कई अहम बदलाव किए हैं, जिनसे उनके शासन के इरादे और प्राथमिकताएं स्पष्ट हो गई हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सबसे बड़ी प्राथमिकता प्रशासन में कड़ी मेहनत और कार्यकुशलता है। वे केवल उन अधिकारियों को तवज्जो देते हैं, जो काम में दक्ष, निष्पक्ष और समय पर काम करने में सक्षम हैं। मुख्यमंत्री की कार्यशैली और पसंद को प्रमुख सचिव अनुराग जैन और डीजीपी कैलाश मकवाना की नियुक्ति से जाना जा सकता है। इन नियुक्तियों के जरिए सीएम ने यह संदेश दिया है कि वह किसी भी विभाग में किसी विशेष राजनीतिक धड़े या समीकरण से ऊपर उठकर केवल कार्यकुशलता और निष्पक्षता को महत्व देते हैं।
अनुराग जैन को मध्य प्रदेश का 35वां मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। उन्होंने प्रदेश की प्रशासनिक सेवाओं में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। जैन की छवि एक ईमानदार और दक्ष प्रशासनिक अधिकारी के रूप में है। उन्होंने लोक सेवा गारंटी कानून लागू करने में अहम भूमिका निभाई। इसके प्रारूप को उन्होंने ही तैयार किया था। उनकी प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए उन्हें 2011 से 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में जिम्मेदारी निभाने का अवसर भी मिला। जैन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव के रूप में भी काम किया है। उनके नेतृत्व में राज्य में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार हुए और उन्हें पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के लिए एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में प्रधानमंत्री अवॉर्ड भी मिल चुका है।
डीजीपी कैलाश मकवाना की नियुक्ति सीएम मोहन यादव के कड़े और सख्त निर्णय लेने के दृष्टिकोण को दर्शाती है। कैलाश मकवाना को मध्य प्रदेश पुलिस का नया डीजीपी नियुक्त किया गया है और यह नियुक्ति पूर्ववर्ती सरकार के तहत हुई राजनीतिक दबाव के बावजूद हुई है। कैलाश मकवाना, जो एक तेजतर्रार और बेदाग छवि के अधिकारी माने जाते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कड़ी कार्यवाही के लिए प्रसिद्ध हैं। मकवाना ने कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं, जिनमें पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन, लोकायुक्त संगठन में डीजी और विशेष डीजी (सीआईडी और इंटेलिजेंस) जैसी जिम्मेदारियां शामिल हैं। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना का पुलिस सेवा में करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने कर्तव्यों में कभी कोई समझौता नहीं किया। उनके कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता को बढ़ावा मिला है।
चार साल का रोडमैप तैयार कर लिया
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मुख्यमंत्री ने एक साल के कार्यकाल में सरकार चलाना और प्रशासनिक कामकाज को बारीकी से समझने के बाद अब सीएस अनुराग जैन और डीजीपी कैलाश मकवाना के रूप में कडक़, ईमानदार, कार्यकुशल और नवाचार करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति की है। यह दर्शाता है कि अब मुख्यमंत्री भाजपा के संकल्प पत्र को पूरा करते हुए प्रदेश में बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और जनकल्याणकारी सरकार के रूप में अपने आने वाले चार साल को स्थापित करना चाहते हैं। इन निर्णयों से यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने अपने चार साल का रोडमैप तय कर लिया है। भ्रष्टाचार, जनहित के मुद्दों और योजनाओं के अंतिम बिंदु तक क्रियान्वयन जैसे मसलों पर जीरो टॉलरेंस रहेगा। सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई की सतत मॉनीटरिंग से यह साबित भी हो रहा है।
परिणाम देने वालों को मिलेगी पोस्टिंग
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विभिन्न विभागों में भी अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर खास ख्याल रख रहे हैं। वे नियुक्ति में कार्यकुशलता और निष्पक्षता को सबसे ऊपर रख रहे हैं। यही वजह है कि कई विभागों में अधिकारियों की जल्द ही पदस्थापना में बदलाव हो रहा है। अब जिलों में भी बेहतर काम करने वाली की पोस्टिंग और खराब काम करने वालों को लूपलाइन में भेजने की बात कही जा रही है। आने वाले दिनों में इस बदलाव को देखने की बात कही जा रही है।