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चक्रव्यूह में फंसी आप: मालीवाल बनीं पतवार; दिल्ली पर भाजपा का कब्जा

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चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी जहां धनुर्धर की तरह बाण चला रहे थे तो केंद्रीय नेतृत्व हर समय सारथी की भूमिका में नजर आया। केंद्रीय नेतृत्व चुनावी दांवपेच के हर गुर सिखाता रहा। विपक्ष को भाजपा ने कहीं चक्रव्यूह में फंसाया तो कहीं विपक्ष के चक्रव्यूह को भेदकर सातों सीटों पर विजय हासिल कर ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का भी चुनाव के दौरान जादू चला। दोनों की ओर से संसदीय क्षेत्रों में की गईं सभाओं ने असर दिखाया।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में प्रधानमंत्री की पहली रैली के बाद ही भाजपा जीत के प्रति आश्वस्त हो गई थी। ढाई माह के प्रचार में वार-पलटवार के कई बाण दोनों तरफ से चले। कई ऐसे मोड़ आए जहां आम आदमी पार्टी पूरी तरह से भाजपा प्रत्याशियों को घेरे हुई थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने और सुनीता केजरीवाल के प्रचार अभियान में जुटने सहानुभूति वोट लेना भारी पड़ रहा था।

भाजपा को इसकी काट नहीं मिल रही थी। इस काट के लिए भाजपा ने बांसुरी स्वराज और कमलजीत सहरवात को मैदान में उतारा। जेल का जवाब वोट वाला नारा भी भाजपा के लिए एक समय भारी पड़ रहा था। जैसे ही स्वाति मालीवाल का मामला उठा भाजपा पूरी तरह से आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई और प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा को सड़क पर विरोध-प्रदर्शन के लिए उतार दिया।

आप और कांग्रेस का गठबंधन होने से भी भाजपा में एक समय निराशा हाथ लगी, लेकिन अरविंद सिंह लवली के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का भाजपा में शामिल होना और प्रदेश कांग्रेस का एक तरह से बिखरना भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में काम आया। जेल से जमानत मिलने पर केजरीवाल ने धुआंधार प्रचार कर जब पार्टी के पक्ष में सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह माहौल बना रहे थे। इस बीच उन पर हमला तेज करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चुनाव प्रचार में उतार दिया।

गठबंधन को घेरने का काम किया
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर वार रूम को संभाल रहे थे। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी समेत कई नेताओं ने आप व कांग्रेस पार्टी को कठघरे में खड़ा किया। चुनाव में भाजपा ने न केवल गठबंधन को सोशल मीडिया के माध्यम से घेरने की नीति पर काम किया, बल्कि भीषण गर्मी में भी कार्यकर्ताओं की फौज को जनसभा, रैली, घर-घर संपर्क अभियान में झोंके रही। भीतरघात के खतरे से भी केंद्रीय नेतृत्व ने उबारने का काम किया।

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