डोनाल्ड ट्रंप की जीत के साथ ही अब भारत और अमेरिका में कारोबार को नए सिरे से परिभाषित करने और बढ़ावा देने की तैयारी हो सकती है। अगर अमेरिका सकारात्मक कदम उठाता है तो भारत भी अमेरिकी कंपनियों के लिए आसान बाजार पहुंच की पेशकश कर सकता है। दोनों देशों में लंबे समय से उच्च टैरिफ को लेकर विवाद है। सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप ने हाल ही में भारत को व्यापार संबंधों का बहुत बड़ा दुरुपयोगकर्ता बताया था। अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अमेरिका की ओर से सभी आयातों पर टैरिफ बढ़ाने का उन्होंने वादा भी किया था। 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति के अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने टैरिफ को लेकर भारत को आंखे दिखाई थी, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध बनाए रखा।व्यापार मामलों में ट्रंप का नजरिया लेन-देन वाला है। इससे भारत को बातचीत में मदद मिलती है। मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से एक थे, जिन्होंने ट्रंप की ऐतिहासिक जीत के बाद उनसे टेलीफोन पर बात की। 2023 में 120 अरब डॉलर के निर्यात के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का शीर्ष निर्यात गंतव्य है।
हालांकि, ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम समय में भारत और अमेरिका अपने मतभेदों को पाटने के प्रयास में एक सीमित समझौते पर बातचीत करने पर सहमत हुए। एक सूत्र ने बताया, अगर इसका अर्थ भारतीय वस्तुओं के लिए बेहतर व्यापार शर्तों का मतलब है तो भारत अमेरिकी कंपनियों के प्रवेश के लिए टैरिफ घटाने को तैयार है।
निर्यात के मोर्चे पर मिल सकती है मदद
व्यापार मामलों में ट्रंप का नजरिया लेन-देन वाला है। इससे भारत को बातचीत में मदद मिलती है। मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से एक थे, जिन्होंने ट्रंप की ऐतिहासिक जीत के बाद उनसे टेलीफोन पर बात की। 2023 में 120 अरब डॉलर के निर्यात के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का शीर्ष निर्यात गंतव्य है।
और भी बेहतर होगा दूसरा कार्यकाल
अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में आयात शुल्क कम कर सकता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका में भारत के राजदूत रहे हर्ष वर्धन शृंगला ने कहा, उस दौरान हमारे बीच काफी अच्छा तालमेल था। मुझे लगता है कि उनका दूसरा कार्यकाल और भी बेहतर होगा, क्योंकि दोनों पक्षों ने एक आपसी समझ और सम्मान विकसित किया है, खासकर लीडर के स्तर पर।
मुक्त व्यापार समझौता पूरा होने की गुंजाइश
शृंगला ने कहा, ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत ने एक मिनी व्यापार सौदा लगभग पूरा कर लिया था। पर, कोरोना के कारण यह आगे नहीं बढ़ पाया। उनके दूसरे कार्यकाल के समय मुक्त व्यापार समझौता पूरा होने की गुंजाइश है। भारत ट्रंप के इस कार्यकाल में अमेरिका से अपने व्यापार संबंधों को लेकर चिंतित नहीं है, क्योंकि चीन उनके टैरिफ खतरों के लिए मुख्य केंद्र में है। व्हाइट हाउस पर भले ही किसी का भी कब्जा हो, पिछले दशक में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध बढ़ते रहे हैं।
शेयर बाजार : आएगी तेजी, बढ़ेगा निवेशकों का भरोसा
एंजल वन की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की जीत से अमेरिका और भारतीय शेयर बाजार को बढ़ावा मिलेगा। ट्रंप को बाजार समर्थक माना जाता है, इसलिए जीत सोने पर सुहागा है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है। भारतीय शेयर बाजारों में विशेष रूप से चीन+1 रणनीति के कारण अल्पकालिक तेजी देखी जा सकती है, जहां वैश्विक कंपनियां चीन से परे अपने विनिर्माण आधार में विविधता लाने की कोशिश कर रही हैं। भारत एक वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है।