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किसानों को बदनाम करने की कोशिश

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किसान आन्दोलन, गाजीपुर बार्डर दिल्ली पर जंहा धारा 144 लागू है और भारी संख्या में पुलिसबल भी तैनात है। मुख्य मंच के के पास भाजपा के गुंडो की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो गयी। बीजेपी के झंडा-डंडा और ढोल-मजारों के साथ किसानों के खिलाफ नारा लगाना शुरू कर दिया साथ में भाजपा के गुंडे वहां से किसानों के खिलाफ अपशब्द बोलने शुरू कर दिए। यह सिलसिला तकरीबन आधे घंटे तक चला। जब दूसरे किसानों की इसकी सूचना मिली तब सभी वहां एकत्रित हो हो गए और उनसे पूछने लगे कि आखिर वो क्या चाहते हैं। और यहां किस मकसद से आए हैं। लेकिन उन्होंने किसानों की बात सुनने से इंकार कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान पुलिस पूरी तरह से मौन साधे रही। उसने एक बार फिर उन्हें धरनास्थल से दूर हटाने का प्रयास नहीं किया। हटाना तो बाद की बात उन्हे वंहा जंहा धारा 144 लगी हुई है वंहा इन गुंडो को इकट्ठा होने ही क्यों दिया फिर इकट्ठा होकर सड़क भी जाम कर दिया पर पुलिस तमाशबीन की तरह तमाशा देखती रही, मजे की बात ये है कि वंही जंहा ये भाजपाई गुंडे खड़े होकर, रोड जामकर तमाशा कर रहे थे, वंही बगल में 200 मीटर पर टेन्ट लगाकर अस्थाई कैम्प बना रखा है और उस वक्त भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात थी उन्ही के सह पर ये भाजपा गुंडे कूद रहे थे हालांकि थोड़ी ही देर में जब किसानों की संख्या बढ़ गयी और किसानों से लाठी डंडे के साथ मार-पीट होने लगी और किसान उन गुंडो पर जब भारी पड़ने लगी और भाजपा के गुंडे जब भागना शुरू हुवे तब जाकर पुलिस हरकत में आयी। पर जाते-जाते उन लोगों ने कुछ तोड़फोड़ भी की है। पर अब मीडिया घूम-घूम कर सारा दोष किसानों पर मढेगा। उनका मकसद कामयाब हो गया और मीडिया को किसानों को खालिस्तानी, देशद्रोही लिंक मिल गया। फिर कुछ दिन तक किसान देशद्रोही रहेंगे।

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