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एमपी-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीेएम चेहरे को लेकर रस्साकशी जारी,शिवराज बने रह सकते हैं सीएम

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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की शानदार जीत के बाद अब तीनों राज्य में सीेएम पद के चेहरे को लेकर रस्साकशी जारी है. मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी किसे सीएम बनाएगी इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे सीएम की रेस में हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ में नए नेतृत्व को ही मौका दिया जाएगा। राजस्थान में मुख्यमंत्री के चुनाव में भाजपा राजपूत चेहरे को अहमियत देगी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की दावेदारी बरकार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर मंगलवार रात भाजपा नेताओं की बैठक हुई। करीब चार घंटे तक चली बैठक में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार के गठन और मुख्यमंत्री के नामों को लेकर मंथन हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठक में शामिल हुए।

हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज की है। पार्टी इन तीनों राज्यों में सरकार गठन की कवायद में जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम भी फाइनल कर लिए हैं। हालांकि, पार्टी ने अभी तक इन नामों का खुलासा नहीं किया है।

सीएम पद के लिए इन नामों की चर्चा 
सूत्रों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पद से बने रह सकते हैं, क्योंकि वह राज्य में पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं। सीएम शिवराज ने बुधनी से अपने प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस नेता विक्रम मस्तल शर्मा को 10,4974 मतों के अंतर से हराया। वह 2006 से बुधनी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अलवर के सांसद महंत बालकनाथ योगी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आगे चल रही हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को एक बार फिर कमान सौंपी जा सकती है।

माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंध राजे सिंधिया मुख्यमंत्री की दौड़ में बनी हुई हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में नए नेतृत्व को ही मौका दिया जाएगा। मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनावी चेहरा नहीं बनाने से इस कयास को बल मिला था कि जीत की स्थिति में भाजपा किसी नए चेहरे को नेतृत्व सौंपेगी। सात सांसदों और तीन केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारने से इस कयास को बल मिला था, लेकिन भाजपा को जितनी बड़ी सफलता मिली है, उसमें शिवराज सिंह चौहान सरकार की लाड़ली बहना जैसी लोकप्रिय योजनाओं का भी योगदान माना जा रहा है।

खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभाओं में शिवराज सरकार के कामों का उल्लेख कर रहे थे। इससे शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी उनके रास्ते की सबसे बड़ी रूकावट बन सकती है। शिवराज सिंह चौहान के बाद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के नामों की चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन ओबीसी मुद्दे के राजनीति के केंद्र में आते हुए देखकर किसी ओबीसी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रह्लाद पटेल पहली पसंद बन सकते हैं।

एमपी-छत्तीसगढ़ के लिए ध्यान में रखे जाएंगे ये समीकरण

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चुनते समय छत्तीसगढ़ के समीकरण को भी ध्यान में रखा जाएगा। दोनों राज्यों में से एक में ही ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। मध्य प्रदेश में ओबीसी मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी आदिवासी चेहरे पर दांव खेल सकती है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री रह चुके विष्णुदेव साय, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु साव प्रबल दावेदार हो सकते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में ओबीसी के अलावा दूसरे वर्ग से मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में ओपी चौधरी के नाम आगे आ सकता है।

मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी किसे सीएम बनाएगी इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे सीएम की रेस में हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ में नए नेतृत्व को ही मौका दिया जाएगा। राजस्थान में मुख्यमंत्री के चुनाव में भाजपा राजपूत चेहरे को अहमियत देगी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की दावेदारी बरकार है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व के सहारे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा को मिली भारी जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री कौन होगा। भाजपा तीनों ही राज्यों में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में उतरी थी।

सीएम रेस में शिवराज सिंह और वसुंधरा राजे!

माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंध राजे सिंधिया मुख्यमंत्री की दौड़ में बनी हुई हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में नए नेतृत्व को ही मौका दिया जाएगा। मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनावी चेहरा नहीं बनाने से इस कयास को बल मिला था कि जीत की स्थिति में भाजपा किसी नए चेहरे को नेतृत्व सौंपेगी। सात सांसदों और तीन केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारने से इस कयास को बल मिला था, लेकिन भाजपा को जितनी बड़ी सफलता मिली है, उसमें शिवराज सिंह चौहान सरकार की लाड़ली बहना जैसी लोकप्रिय योजनाओं का भी योगदान माना जा रहा है।

खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभाओं में शिवराज सरकार के कामों का उल्लेख कर रहे थे। इससे शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी उनके रास्ते की सबसे बड़ी रूकावट बन सकती है। शिवराज सिंह चौहान के बाद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के नामों की चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन ओबीसी मुद्दे के राजनीति के केंद्र में आते हुए देखकर किसी ओबीसी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रह्लाद पटेल पहली पसंद बन सकते हैं।

एमपी-छत्तीसगढ़ के लिए ध्यान में रखे जाएंगे ये समीकरण

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चुनते समय छत्तीसगढ़ के समीकरण को भी ध्यान में रखा जाएगा। दोनों राज्यों में से एक में ही ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। मध्य प्रदेश में ओबीसी मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी आदिवासी चेहरे पर दांव खेल सकती है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री रह चुके विष्णुदेव साय, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु साव प्रबल दावेदार हो सकते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में ओबीसी के अलावा दूसरे वर्ग से मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में ओपी चौधरी के नाम आगे आ सकता है।

राजस्थान में इन नामों पर चर्चा

माना जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के चुनाव में भाजपा राजपूत चेहरे को अहमियत देगी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की दावेदारी बरकार है। चुनावी सभा में जिस तरह से प्रधानमंत्री ने माला के बीच में वसुंधरा राजे के साथ फोटो खिंचवाई थी, उसे उनकी दावेदारी की मजबूती के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा राज्यवर्धन सिंह राठौर के नामों पर विचार किया जा सकता है। दिया कुमारी का नाम भी खारिज नहीं किया जा रहा है।

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