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गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि बनाए गए ब्रिटेन के पीएम ने रद्द की अपनी भारत यात्रा

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एक तरफ जहां किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है वहीं इस बीच सबसे बड़ी खबर यह है कि इस साल गणतंत्र दिवस पर मुख्य अथिति के तौर पर आमंत्रित किये गये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी है।इस बारे में खुद बोरिस जॉनसन ने आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर जानकारी दी।

डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा कि “प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आज सुबह यह पछतावा जाहिर करने के लिए पीएम मोदी से बात की कि जैसी की योजना थी वह इस महीने भारत का दौरा नहीं कर पाएंगे।”

एजेंसियों के अनुसार, ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर अपने देश में कोरोना महामारी और देशव्यापी लॉक डाउन का हवाला देकर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि वह भारत नहीं आ पायेंगे।

लेकिन क्या सच में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अपने देश में कोरोना और लॉक डाउन के चलते अपनी यात्रा रद्द कर दी है? यह एक स्वाभाविक सवाल है। क्योंकि यह यात्रा वे और पहले भी रद्द कर सकते थे। जब उनके देश में कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे थे और जब वहां लॉक डाउन की घोषणा हुई थी।

ध्यान देने की बात यह है कि यहां भारत में किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की है। जिसके बाद ही बोरिस जॉनसन की यात्रा रद्द होने की खबर आई है।

गौरतलब है कि, भारत में विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में किसान आंदोलनरत हैं और बीते 42 दिनों से लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं को घेर कर बैठे हुए हैं। ऐसे में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा रद्द होना एक बड़ी घटना है। क्योंकि पहले ऐसा शायद ही हुआ हो जब गणतंत्र दिवस के मौके पर आमंत्रित किसी विदेशी अतिथि ने अपनी यात्रा को रद्द किया हो।

बता दें कि, किसानों ने कहा था कि वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को भारत की यात्रा रद्द करने के लिए कहेंगे। किसानों ने कहा था कि, वे बोरिस जॉनसन को पत्र लिख कर कहेंगे कि वे तब तक भारत न आयें जब तक किसानों की मांगें मान नहीं लेती सरकार।

बीते 22 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से किसान ने कुलवंत सिंह संधू ने कहा था कि, 26 जनवरी के लिए मुख्य अतिथि के रूप में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत आने वाले हैं, हम उन्हें पत्र लिख रहे हैं कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती वे भारत न आएं।

हालांकि बोरिस जॉनसन की यात्रा रद्द होने के पीछे इंग्लॅण्ड में फैले कोरोना और लॉक डाउन को कारण बताया गया है। किंतु यह भी सत्य है कि भारत के किसान आंदोलन को ब्रिटेन से भी समर्थन मिला है और वहां के संसद में भी इस मामले में चर्चा हो चुकी है।

लेबर पार्टी के ब्रिटिश सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से भारत में किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर संसद में सवाल पूछा था।

हालांकि इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जो जवाब दिया था वह हैरान करने वाला था।

दरसअल, धेसी ने भारत में किसानों का मुद्दा उठाते हुए संसद में पूछा कि क्या जॉनसन, ब्रिटेन में रहने वाले सिख समुदाय की चिंताओं से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराएंगे।

इस सवाल के जवाब में जॉनसन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी विवाद का हल वहां की सरकारें कर सकती हैं।

वहीं लेबर पार्टी के नेता वीरेंद्र शर्मा जो लंदन के ईस्ट साउथॉल से सांसद हैं उनके साथ 35 ब्रिटिश सांसदों ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब को पत्र लिख कर कहा था कि, वो किसानों के मुद्दे को भारत सरकार के सामने उठाएं।

इसके अलावा, लगभग 25 सामुदायिक और चैरिटी प्रतिनिधियों, धार्मिक और व्यापारिक नेताओं, भारतीय पृष्ठभूमि के पार्षदों और पेशेवर लोगों ने लंदन में भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार और ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब को एक संयुक्त पत्र भी भेज चुके हैं।

पत्र में उन्होंने भारतीय किसानों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है और उन किसान और मजदूरों पर प्रशासन द्वारा आंसू गैस और वॉटर कैनन के उपयोग की निंदा की थी।

इधर भारत में किसानों ने कल से दो सप्ताह तक ‘देश जागरण अभियान’ चलाने की घोषणा की है और 7 जनवरी को दिल्ली की चारों सीमाओं पर ‘ट्रैक्टर मार्च’ का ऐलान किया है।

इसके पहले 1993 में जॉन मेजर थे जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने थे।

(पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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