इंदौर शहर के *14 हजार कालेज के विद्यार्थी* अपनी पढ़ाई रोकने पर मजबूर हो रहे हैं। ये विद्यार्थी वंचित और आरक्षित वर्गों के हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई रोकना पड़ रही है क्योंकि सरकार इनकी छात्रवृत्ति जारी नहीं कर रही है। इंदौर का आंकड़ा तो एक बानगी है। पूरे जिले और प्रदेश में छात्रवृत्ति के लिए इंतजार कर परेशान होते विद्यार्थियों की संख्या इससे गई गुना ज्यादा है। प्रदेश की शिवराज सरकार विद्यार्थियों और पढ़ाई के लिए धन संकट की कमी का बहाना बना रही है। इसके पहले लगातार दो वर्षों से छात्रवृत्तियां रोकी जा रही। जो आ रही है वो भी किस्तों में।
शिवराज सरकार की दोगली नीति है कि उसके पास शिक्षा और युवाओं के भविष्य के लिए रुपया नहीं है। जब युवाओं की शिक्षा पर खर्च की बात आती है तो दोगली सरकार धन की कमी का बहाना बनाकर छात्रवृत्ति रोक रही है। जबकि हर महीने प्रदेश में राजनीतिक लाभ के लिए करोड़ों-अरबों रुपये का आयोजन (मेगा इवेंट) करने के लिए सरकार के पास धन की कमी नहीं होती।सरकार की इस दोगली नीति से प्रभावित होने वाले विद्यार्थी ओबीसी, एससी, एसटी और आर्थिक पिछड़े वर्ग से हैं। युवा कांग्रेस सरकार को जगाकर अब इन युवाओं की नाराजगी से रूबरू करवाने जा रही है। द
दरें पुनर्निधारित हो
युवा कांग्रेस मांग कर रही है कि न सिर्फ छात्रवृत्तियां तुरंत जारी की जाए बल्कि दरों का पुनर्निधारण कर महंगाई के हिसाब से दर भी बढ़ाई जाए।आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी बंद पड़ी है। उसे शुरू किया जाए
प्रवेश की लिंक खोले
संयुक्त प्रवेश प्रक्रिया सीईयूटी के चक्कर में कालेज के सत्र लेट हो गए हैं। विद्यार्थी यूटीडी में प्रवेश के लिए अब भी कतार में है। इस बीच सरकारी निजी कालेजों में आनलाइन प्रवेश की लिंक बंद कर दी गई है। सीईयूटी के बाद यूटीडी में प्रवेश से वंचित अभ्यर्थियों के लिए सरकारी कालेजों निजी कालेजों में प्रवेश की आनलाइन लिंक फिर से खोली जाए।
*बेरोजगारी* के लिए जिम्मेदार सरकार
प्रदेश में सरकारी भर्तियों पर अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगा दी गई है। ओबीसी आरक्षण की आड़ में सरकार प्रवेश प्रक्रियाएं रोक रही है। व्यापमं से लेकर पटवारी, शिक्षक, पुलिस की भर्ती परीक्षाएं नहीं हो रही। पीएससी में परीक्षाएं करवाने की घोषणा की है लेकिन ओबीसी आरक्षण की आड़ लेकर अंतिम चयन रिजल्ट ही जारी नहीं किए जाएंगे। यानी नौकरियां नहीं दी जाएगी। सरकार आरक्षण की आड़ लेकर बेरोजगारों से छल बंद करे। भर्ती परीक्षाएं तुरंत शुरू करे। शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार कार्यालय के पंजीयन के आधार पर *प्रतिमाह पांच हजार रुपये का बेरोजगारी भत्ता* दिया जाए।