इंदौर में एक एक मरीज की मौत के बाद परिजन ने निजी अस्पताल में हंगामा कर दिया। हंगामे के दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ भी की गई। परिजन का आरोप है कि उसे दवा का ओवरडोज दिया गया। वहीं डाक्टरों का कहना है कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं। मरीज को कई तरह की परेशानियां थी।
मामला केयर सीएचएल हॉस्पिटल का है। यहां पर मरीज अर्जुन चौहान (34) निवासी मोती तबेला की मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। मरीज पेट की बीमारी के कारण अस्पताल आया था। उसे खून की कमी के कारण पहले 29 मार्च को एडमिट किया गया था। पेट संबंधी भी परेशानी थी। 2 अप्रैल को उसे ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। परिजन का कहना है कि डॉक्टरों ने गुरुवार को एंडोस्कोपी के लिए बुलाया था लेकिन नहीं हो सकी। शुक्रवार को उसे एंडोस्कोपी के लिए बुलाया और चार इंजेक्शन लगाए गए। इंजेक्शन लगाने के बाद उसकी हालत बिगड़ी और दो घंटे में ही मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साये परिजन ने हंगामा किया और गेट का कांच तोड़ दिया। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति नियंत्रित की।
हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि मरीज अल्कोहलिक था। उसे लीवर सिरोसिस, नसों के गुच्छे, मिर्गी आदि की बीमार थी। कई परेशानियां होने की वजह से उसने दम तोड़ दिया। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. अमिताभ पटेरिया ने बताया इलाज के सारे दस्तावेज, मेडिकल हिस्ट्री सहित मरीज का पूरा रिकॉर्ड है। सारे आरोप निराधार हैं। हम हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। इंजेक्शन (ग्लू) मरीज की जरूरत के हिसाब से 0.5 एमल के चार लगाए थे। इलाज करने वाले डॉ. नीरज जैन ने बताया कि मरीज अल्कोहलिक था। उसका लीवर खराब हो चुका था। परिजन को बता दिया था कि आगे ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके साथ ही पेट में नसों का गुच्छा बन गया था। उसे मिर्गी की बीमारी भी थी। सुबह भी उसे मिर्गी का दौरा आया था।
परिजन ने लगाया आरोप
पत्नी कंचन और मौसी मंजू का आरोप है कि डॉक्टरों ने बताया कि उसे इंजेक्शन का डोज लगाया जाएगा। इसके बाद चार इंजेक्शन लगाए और दो घंटे बाद ही मौत हो गई। मौत के कारण जानने के लिए परिजन ने पोस्टमॉर्टम की मांग की। इसके बाद शव एमवाय हॉस्पिटल रवाना कर दिया गया।