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उत्तराखंड-गुजरात सरकार दीपावली बाद लागू करेगी समान नागरिक संहिता

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समान नागरिक संहिता यानी UCC की चर्चा के बीच उत्तराखंड सरकार ने इसे लागू करने की तैयारी कर ली है। उत्तराखंड सरकार दीवाली के बाद विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर UCC विधेयक को पारित कर सकती है। विधेयक पारित होने के बाद कानून बन जाएगा। इसके साथ ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।


उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में समिति गठित कर रखी है। यह समिति जल्द ही राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंप देगी। समिति अध्यक्ष देसाई ने पहले ही कहा था कि समान नागरिक संहिता का पूरा मसौदा तैयार हो चुका है। विशेषज्ञ समिति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपेगी।


रंजना देसाई समिति ने 2 साल में पांच दर्जन से अधिक बैठकें की। ढाई लाख लोगों ने लिखित सुझाव भेजे हैं। उप समितियों ने सीमांत क्षेत्रों का दौरा किया। प्रचलित प्रथाओं को समझा और दुनिया के कई देशों में लागू कानून का अध्ययन भी किया। समिति ने लैंगिक और दैहिक भेदभाव खत्म करने और संपत्ति में समान हक देने की सिफारिश की है। इसके साथ ही लड़कियों की शादी के लिए 18 के बजाय 21 वर्ष की उम्र करने की भी सिफारिश शामिल है।

गुजरात भी तैयार
लोकसभा चुनाव 2024 में समान आचार संहिता ही बड़ा मुददा बनता दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड के बाद गुजरात में भी समान नागरिक संहिता की मांग उठ रही है। उत्तराखंड में संहिता लागू होने के बाद गुजरात सरकार भी अपने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू कर सकती है।

क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता। पहले शब्द से स्पष्ट है कि एक समान कानून सभी के लिए लागू किया जाए। लिंग, रंग, दैहिक,धर्म, कर्म या फिर अन्य किसी भी आधार पर कानून में बदलाव न किया जाए। अभी विवाह, तलाक और उत्तराधिकार मामलों में सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वे उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद यह नहीं होगा।

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