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वैभव गहलोत गुर्जरों की सभा में भाषण तक नहीं दे सके

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एस पी मित्तल,अजमेर

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को श्रद्धांजलि देने के लिए 12 सितंबर को पुष्कर में एक श्रद्धांजलि सभा हुई। सभा में कांग्रेस सरकार के मंत्री अशोक चांदना पर जूते चप्पल फेंके गए। लेकिन सबसे बड़ी बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को भाषण नहीं देने की रही। जूते चप्पल वाले माहौल को देखते हुए वैभव गहलोत को भाषण दिए बगैर ही लौटना पड़ा। जिस बेटे का पिता मुख्यमंत्री हो, उस बेटे को पिता के शासन वाले राज्य में भाषण नहीं देने दिया जाए, इससे बड़ी कोई राजनीतिक घटना नहीं हो सकती। 12 सितंबर को पुष्कर में गुर्जरों की सभा में जो कुछ भी हुआ, उससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। यह हालात तब है, जब मात्र 14 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। सवाल उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के पुत्र और सरकार के मंत्रियों को लेकर गुर्जर समुदाय में इतना गुस्सा क्यों हैं? सब जानते हैं कि जुलाई 2020 के राजनीतिक संकट के समय सीएम गहलोत ने बर्खास्त डिप्टी सीएम सचिन पायलट को धोखेबाज, नालायक और मक्कार र तक कहा। यह बात अलग है कि 2018 में गुर्जर समुदाय के सचिन पायलट के कारण ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। पायलट के मुख्यमंत्री बनने को लेकर गुर्जर समुदाय में इतना उत्साह था कि भाजपा के सभी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव हार गए। पायलट के स्थान पर गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने से गुर्जर समाज में नाराजगी देखी गई। यह नाराजगी, तब और बढ़ गई जब गहलोत ने पायलट को नालायक तक कहा। गहलोत माने या नहीं, लेकिन जुलाई 2020 में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, उसी का नतीजा रहा कि गुर्जरों की सभा में वैभव गहलोत को बोलने तक नहीं दिया। सवाल यह भी है कि आखिर वैभव गहलोत गुर्जरों की सभा में क्यों गए? जानकारों के अनुसार पुष्कर को अपनी जागीर मानने वाले आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की रणनीति के तहत वैभव को गुर्जरों की सभा में लाया गया। इसके लिए राठौड़ ने ही कर्नल बैंसला के पुत्र विजय बैंसला से वैभव को फोन करवाया। राठौड़ ने ही सीएम गहलोत को बताया कि वे वैभव को गुर्जरों की सभा में ले जा रहे हैं। राठौड़ को उम्मीद थी कि वैभव गहलोत बड़ी शान से गुर्जरों को संबोधित करेंगे। लेकिन सभा में जो उपद्रव हुआ, उसमें राठौड़ और वैभव को पुलिस संरक्षण में सभा स्थल से सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा।

राजनीति की भेंट चढ़ गई श्रद्धांजलि सभा:
12 सितंबर को पुष्कर के मेला मैदान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुखिया रहे स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम था। यह पूरी तरह सामाजिक आयोजन था, लेकिन सभा से पहले ही कर्नल बैंसला के पुत्र विजय बैंसला ने राजनीति शुरू कर दी। बैंसला ने जिस तरह राजनीतिक बयानबाजी की उससे सभा का माहौल और गर्म हो गया। यही वजह रही कि अनेक नेताओं ने राजनीतिक भाषण दिया। यह सभा श्रद्धांजलि सभा से ज्यादा राजनीतिक मंच बन गई। यही वजह रही कि जब कांग्रेस सरकार के खेल मंत्री अशोक चांदना और उद्योग मंत्री शकुंतला रावत (गुर्जर) भाषण देने आए तो उपद्रव हो गया। राजनीतिक भाषणबाजी के कारण स्वर्गीय कर्नल बैंसला को श्रद्धांजलि भी नहीं दी जा सकी। कहा जा सकता है कि राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान की वजह से श्रद्धांजलि सभा राजनीति की भेंट चढ़ गई। यह बाल अलग है कि अजमेर गुर्जर समाज की ओर से श्रद्धांजलि सभा के लिए माकूल इंतजाम किए गए। समाज के प्रतिनिधि और रिटायर डीजे किशन गुर्जर ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में आए सभी समाज बंधुओं को स्वादिष्ट भोजन करवाया गया। भोजन वितरण में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हुई। समाज को जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे निष्ठा के साथ पूरा किया गया। गुर्जर भवन में ही स्वर्गीय कर्नल बैंसला की प्रतिमा भी स्थापित की गई। गुर्जर ने स्पष्ट किया कि भोजन का समस्त खर्चा अजमेर गुर्जर समाज ने ही किया है।

प्रशासन पर गिर सकती है गाज:
12 सितंबर को जिस तरह पुष्कर में उपद्रव के दौरान सरकार के मंत्रियों को बोलने तक नहीं दिया गया, उस मामले में अब अजमेर प्रशासन पर गाज गिर सकती है। जानकार सूत्रों के अनुसार पुष्कर के प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गंभीर है। उच्च स्तर पर यह माना है कि परिस्थितियों को भांपने में अजमेर प्रशासन विफल रहा है।

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