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अमेरिका में अन्याय:पुलिस के हाथों मौतों के मामलों में बहुत कम सजा

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जेनेल रॉस

36 साल की केली बर्न्स 19 साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। 2002 में मिनियापोलिस में एक पुलिस अधिकारी ने उनके पिता को गले पर पैर रखकर मार डाला था। लेकिन,अधिकारी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चला था। मई 2020 में एक अन्य अश्वेत जार्ज फ्लॉयड की इसी तरह एक पुलिस अधिकारी के हाथों मौत हो गई। बर्न्स ने फ्लॉयड की मौत के वीडियो फुटेज सामने आने के बाद अपने पिता की मौत की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी।

इधर, जब फ्लॉयड की हत्या के आरोपी अफसर डेरेक शाउविन के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही शुरू हो रही है तब बर्न्स जैसे लोग जानते हैं कि पुलिस के हाथों मारे जाने वाले लोगों के परिजनों को अक्सर न्याय नहीं मिलता है। पहली बात तो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक आरोप लगना दुर्लभ है और सजा तो असाधारण बात है।

आपराधिक न्याय के प्रोफेसर फिलिप स्टिंसन द्वारा तैयार विश्लेषण के अनुसार जनवरी 2005 से 11 मार्च 2021 तक सामान्य वर्ष में अमेरिका में पुलिस की गोली से एक हजार व्यक्तियों की मौत हुई। इनमें केवल 138 पुलिस अधिकारियों पर ऑन ड्यूटी शूटिंग करते हुए हत्या का आरोप लगा था। 138 अधिकारियों में से मात्र 44 अफसरों को सजा हुई है।

फ्लॉयड के मामले में शाउविन पर हत्या, मानव वध का अभियोग लगाया गया है। पहले आरोप खारिज करने के बाद 11 मार्च को बहाल कर दिया गया। 29 मार्च को मुकदमे में शुरुआती बयान हो जाएंगे। पुलिस के हाथों मौतों के अधिकतर मामलों में ज्यूरी सजा नहीं देती है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री पेट्रिक बेयर ने अपनी ताजा रिसर्च में हैरिस काउंटी टेक्सास में 2005 से 2012 के बीच हत्या के 2400 मुकदमों के डेटा पर गौर किया है। उन्होंने पाया कि ज्यूरी में श्वेतों और संपन्न वर्ग के लोगों का बोलबाला था। रिसर्च का निष्कर्ष है कि इन वर्गों का प्रतिनिधित्व ज्यादा होने से अश्वेतों को सजा का प्रतिशत 50 से अधिक रहा।

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