घर-घर में कलर टीवी पहुंचाने वाले कारोबारी सीबीआई की गिरफ़्त में कैसे पहुंचे?
नई दिल्ली। शेयर बाजार की निगरानी करने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने लगभग 68.5 लाख रुपये का बकाया वसूलने के लिए वेणुगोपाल धूत और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की प्रमोटर यूनिट इलेक्ट्रोपार्ट्स (इंडिया) के बैंक खातों, शेयरों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग को कुर्क करने का आदेश दिया है। इससे पहले सेबी ने 30 सितंबर को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की प्रवर्तक इकाई इलेक्ट्रोपार्ट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और इसके मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) वेणुगोपाल धूत को नोटिस भेजा था।
नोटिस में उन्हें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग गतिविधियों के एक मामले में 15 दिन के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने को कहा गया था। धूत और इलेक्ट्रोपार्ट्स (इंडिया) के जुर्माने न देने पर ताजा कार्यवाही की गई। हाल ही में जारी दो कुर्की आदेशों में बाजार नियामक ने लंबित बकाया राशि की वसूली के लिए वेणुगोपाल धूत और इलेक्ट्रोपार्ट्स (इंडिया) के बैंक, डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग को जब्त करने का आदेश दिया है। कभी भारत के अमीरों की सूची में 61वें स्थान पर रहे वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत लोन फ्रॉड केस में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं लेकिन अब उनकी कंपनी वीडियोकॉन दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। भारत में पहला कलर टेलीविजन पेश करने वाली वीडियोकॉन और इसके मालिक वेणुगोपाल धूत आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में आरोपी हैं। साल 1985 में वेणुगोपाल के पिता नंदलाल माधवलाल धूत ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल की स्थापना की थी। कुछ ही सालों के अंदर यह कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और होम एप्लायंसेज में भारत की टॉप कंपनी बन गई। वेणुगोपाल की लीडरशिप में वीडियोकॉन का कारोबार खूब बढ़ा। भारत के अलावा वीडियोकॉन ने चीन, मैक्सिको, पोलैंड और इटली में भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किए।
भारत में जिस तरह 1980-90 के दशक में बजाज कंपनी स्कूटर का पर्याय बन गई थी कुछ उसी तरह एक जमाने में रंगीन टीवी के लिए वीडियोकॉन को जाना जाता था.
सोनी और एलजी जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों के रंगीन टीवी बाज़ार में आ गए थे लेकिन आम लोगों के लिए सस्ते नहीं थे.ऐसे में घरेलू कंपनी वीडियोकॉन ने बाज़ार में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी.
बाद में वीडियोकॉन कंपनी केवल टीवी बनाने तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उसने बिजली के उपकरणों में भी अपना नाम बनाया और अंततः इस कंपनी ने मराठवाड़ा के औरंगाबाद शहर से निकल कर पूरे भारत में अपनी पहचान बनायी.
इसी वीडियोकॉन कंपनी के प्रमुख वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया है. सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक ऋण घोटाले के सिलसिले में धूत को गिरफ़्तार किया है.
सीबीआई ने चार दिन पहले यानी 23 दिसंबर को इसी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ़्तार किया था.
इन गिरफ्तारियों से साफ़ होता है कि सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक ऋण घोटाले में अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है. इस घोटाले में वेणुगोपाल धूत का नाम बार-बार सामने आया. क्योंकि ये पूरा मामला वेणुगोपाल धूत की वीडियोकॉन कंपनी को दिए गए लोन से जुड़ा है.
वेणुगोपाल धूत को क्यों गिरफ़्तार किया गया?
सीबीआई ने चंदा कोचर पर वीडियोकॉन समूह को लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का ऋण देने में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था. जिस समय यह लोन दिया गया उस समय चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख थीं.
चंदा कोचर द्वारा स्वीकृत ऋण राशि को न्यूपावर रिन्यूएबल्स में निवेश किया गया था. न्यूपावर रिन्यूएबल्स वेणुगोपाल धूत और दीपक कोचर के स्वामित्व वाली कंपनी थी. चंदा कोचर के पति दीपक कोचर हैं. साथ ही वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए इस कर्ज को बाद में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में तब्दील कर दिया गया.
आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था. 15 मार्च, 2016 को लिखे गए इस पत्र में उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के कारोबार करने के तरीक़ों पर संदेह जताया था.
पत्र में कहा गया है कि वीडियोकॉन समूह को दिए गए 3 हजार 250 करोड़ रुपये के कर्ज में हितों के दुरुपयोग की आशंका है. इसकी वजह चंदा कोचर के पति दीपक कोचर का वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के साथ व्यापारिक संबंधों का होना बताया गया.
फिर यह सारा मामला पूछताछ के दौर में आया. सीबीआई की जांच और पूछताछ के बाद चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत को गिरफ़्तार किया गया है.
इस गिरफ़्तारी के बाद न तो वेणुगोपाल धूत की ओर से और न ही धूत परिवार की ओर से मीडिया में कोई प्रतिक्रिया आयी है, प्रतिक्रिया आने पर यह स्टोरी अपडेट की जाएगी.
बहरहाल यह जानना दिलचस्प है कि धूत परिवार का कारोबारी साम्राज्य महाराष्ट्र से शुरू हुआ है लेकिन उनके परिवार की जड़ें राजस्थान में हैं.
कारोबार की विरासत
वेणुगोपाल धूत, धूत परिवार के पहले कारोबारी नहीं हैं.
उनके पिता नंदलाल माधवलाल धूत ने सबसे पहले कारोबारी दुनिया में क़दम रखा था. धूत परिवार औरंगाबाद शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर गंगापुर का रहने वाला है.
लेखक हरीश दामोदरन की लिखी ‘इंडियाज न्यू कैपिटलिस्ट’ किताब के अनुसार, नंदलाल माधवलाल धूत ने 1955 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गंगापुर शुगर फैक्ट्री की स्थापना की.
इस कारखाने ने महाराष्ट्र में सहकारी आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस गंगापुर चीनी कारखाने के लिए नंदलाल धूत ने जरूरी मशीनरी यूरोप से मंगाई थी. उस दौरान औरंगाबाद में नियमित बिजली का बड़ा संकट था. नंदलाल धूत ने इस संकट के बीच फैक्ट्री को चलाया.
वीडियोकॉन की वेबसाइट पर ‘फाउंडिंग फादर्स’ सेक्शन के अनुसार नंदलाल धूत की पढ़ाई अहमदनगर और पुणे से हुई थी और उन्होंने बाद में वीडियोकॉन की आधारशिला रखी थी.
नंदलाल धूत की 26 अप्रैल 1993 को औरंगाबाद में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. यह हादसा उस वक्त हुआ जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 491 औरंगाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भर रही थी. इसमें 55 यात्रियों की मौत हो गई थी.
धूत ब्रदर्स – वेणुगोपाल, राजकुमार और प्रदीप कुमार
नंदलाल धूत के तीन बेटे हुए – वेणुगोपाल, राजकुमार और प्रदीप कुमार. इन तीनों ने पिता के शुरू किए गए उद्योग धंधों को विस्तार दिया.
वरिष्ठ पत्रकार निशिकांत भालेराव कहते हैं, ”अस्सी के दशक में जब पिक्चर ट्यूब आने लगे तो वेणुगोपाल और प्रदीप कुमार धूत ने उन पिक्चर ट्यूब का इस्तेमाल टीवी को असेंबल करने के लिए किया. फिर कंप्रेशर लाना शुरू किया और उनसे फ्रिज बनाना शुरू किया.”
वेणुगोपाल धूत के करीबियों ने नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, “वेणुगोपाल स्पष्ट व्यक्तित्व के हैं और उन्होंने भगवद गीता का व्यापक अध्ययन किया है.”
हालांकि इन्हीं धूत भाइयों में राजकुमार धूत राजनीति में भी आए. निशिकांत भालेराव कहते हैं, ”तत्कालीन सांसद मोरेश्वर सावे मराठवाड़ा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे.
उन्होंने राजकुमार धूत को राजनीति में आगे बढ़ाया. मोरेश्वर सावे बाबरी मस्जिद विध्वंस के अभियुक्त हैं. साथ ही वे औरंगाबाद के पहले मेयर थे.
राजकुमार धूत ने शिवसेना से राज्यसभा में सांसद के रूप में तीन कार्यकाल पूरा किए हैं. वे 2002 में पहली बार सांसद बने, इसके बाद 2008 और 2014 में भी वे सांसद रहे.
निशिकांत भालेराव कहते हैं, “औरंगाबाद स्थित सेठ नंदलाल धूत अस्पताल को छोड़कर, धूत परिवार का कोई भी काम औरंगाबाद शहर या ज़िले के लिए बहुत महत्वपूर्ण नहीं कहा जा सकता है.”
वेणुगोपाल धूत का जन्म 30 सितंबर 1951 को हुआ था. यानी वेणुगोपाल का जन्म नंदलाल धूत के कारोबारी दुनिया में आने से चार साल पहले हुआ था. वेणुगोपाल धूत नंदलाल धूत के बड़े बेटे हैं. इसलिए कारोबारी दुनिया में भी वे पहले आए.
वेणुगोपाल धूत ने बाद में कई कंपनियां शुरू कीं और कई संगठनों में मानद पदों पर रहे. हालाँकि, उन्हें दूर-दूर तक वीडियोकॉन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में ही जाना जाता है.
पुणे यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले वेणुगोपाल धूत ने भी वीडियोकॉन कंपनी की स्थापना में योगदान दिया. बाद में उन्होंने इस कंपनी के प्रमुख का पद संभाला.
वीडियोकॉन की स्थापना
नंदलाल धूत ने अस्सी के दशक में अपने तीन बेटों के साथ वीडियोकॉन की स्थापना की थी. इस कंपनी की स्थापना के लिए उन्होंने जापान की तोशिबा कंपनी के साथ साझेदारी की.
कंपनी अभी भी ‘वीडियोकॉन’ के रूप में भारत में पहला रंगीन टीवी लॉन्च करने का दावा करती है. आज वीडियोकॉन कंपनी टीवी, मोबाइल, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन से लेकर तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनी के तौर पर जानी जाती है.
वीडियोकॉन को भारत में घरेलू उपकरणों के बाज़ार में बड़ा प्लेयर माना जाता है.
बाद में वीडियोकॉन समूह घरेलू उपकरणों तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि डीटीएच सेवाओं, तेल और गैस, रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी क़दम रखे. इस कंपनी का काम मैक्सिको, इटली, पोलैंड और चीन जैसे दुनिया के विभिन्न देशों में फैला हुआ है.
सीएनबीसी टीवी-18 के मुताबिक 2015 में, वेणुगोपाल धूत ने वीडियोकॉन डीटीएच का एक-तिहाई हिस्सा यूएस-आधारित सिल्वर ईगल एक्विजिशन कॉर्प को बेच दिया. यह सौदा 2 हजार130 करोड़ रुपये में हुआ था.
वीडियोकॉन की वेबसाइट के मुताबिक वेणुगोपाल धूत, राजकुमार धूत और प्रदीप कुमार धूत तीनों भाई कंपनी के प्रमोटर हैं. इनके अलावा अनिरुद्ध वेणुगोपाल धूत और सौरभ धूत भी प्रमोटरों में शामिल हैं
.फोर्ब्स लिस्ट में नाम
वेणुगोपाल धूत मराठवाड़ा इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने ओडिशा सरकार के औद्योगिक विकास सलाहकार के रूप में भी काम किया है.
2015 में, विश्व प्रसिद्ध फोर्ब्स पत्रिका ने भारत में सबसे अमीर लोगों की सूची में वेणुगोपाल धूत 61वें स्थान पर रहे. उस वक्त उनकी संपत्ति 1.19 अरब डॉलर थी. वेणुगोपाल धूत को 2 अप्रैल 2005 को ‘मराठवाड़ा भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
कभी सम्मानित उद्योगपति रहे वेणुगोपाल धूत की गिरफ़्तारी के बाद वीडियोकॉन कंपनी का भविष्य क्या होगा, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा.