भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पहल अमृत सरोवर ने प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम किया है। आजादी के 75वें वर्ष में लक्ष्य तो एक जिले में 75 सरोवर बनाने का था, लेकिन प्रदेश में इसकी उपयोगिता को देखते हुए पांच हजार से अधिक अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अमृत सरोवर बनाने में मध्यप्रदेश, देश का दूसरा बड़ा राज्य बन गया है। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है। प्रदेश में अबतक 2,657 अमृत सरोवर बनाए जा चुके हैं और इस साल के जून माह तक टारगेट के अनुसार सभी 5,372 सरोवरों का निर्माण पूरा हो जाएगा। यह सरोवर जल संरक्षण का काम तो करेंगे ही, किसानों की आय बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाएंगे। दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा। वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मछली पालन और सिंघाड़ा की खेती भी होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का प्लान राज्यों को दिया था। माध्यम 75 का आंकड़ा इसलिए तय किया था कि देश आजादी का अमृत पर्व मना रहा है। देश में पानी बनाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश में वर्ष 2022-23 में टारगेट से अधिक 5,372 अमृत सरोवर बनाने का काम हाथ में लिया गया। सबसे ज्यादा सरोवरों का निर्माण ग्राम पंचायतों में किया गया है।अमृत सरोवर बनाने के पीछे बड़ा उद्देश्य है कि तालाबों में सिंघाड़ा की खेती के साथ मत्स्य पालन भी हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मध्य प्रदेश में बनाए गए अमृत सरोवर की तारीफ कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने मन की बात में मंडला जिले में कान्हा-किसली ग्राम पंचायत के मोचा में बनाए गए अमृत सरोवर का उल्लेख करते हुए कहा था कि इससे जल और पर्यावरण संरक्षण होगा और वन्यजीव भी अपनी प्यास बुझाएंगे
ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी होगी मजबूत
आजादी के अमृत महोत्सव काल में निर्मित किए जा रहे अमृत सरोवर जल संग्रहण के उद्देश्य के साथ-साथ स्थल विशेष से जुड़ी गौरव गाथाओं, इतिहास, विरासत, स्थानीय महान विभूतियों, धरोहरों, सामाजिक व धार्मिक आंदोलन, वैचारिक, संस्कृति व क्षेत्र की अन्य विशेषताओं को चिर स्थाई बनाने के लिए भी निर्मित किए जा रहे हैं। यह सरोवर पर्यावरण, जैव विविधता तथा पर्यटन के व्यापक उद्देश्य को पूरा करने के लिए भी उपयोगी रहेंगे। इन जल संग्रहण के कार्यों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया जा सकेगा। यह सरोवर आजादी के अमृत महोत्सव की स्मृति के साथ-साथ प्रदेश की समृद्धि एवं विकास के लिए शुरू किए गए एक नए अध्याय के रूप में भी जाने जाएंगे।
5372 अमृत सरोवर के निर्माण कार्य प्रगति पर
प्रदेश में 5372 अमृत सरोवर के निर्माण कार्य प्रारंभ हुए, जिनमें से 2657 पूर्ण हो गए हैं। अमृत सरोवर निर्माण के लिए मध्यप्रदेश में योजना में केवल नवीन कार्य ही लिए गए और अंतर्विभागीय समन्वय पर भी जोर दिया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ जल-संसाधन, वन, मत्स्य विकास सहित नेशनल हाइ-वे अथारिटी एवं रेलवे जैसे संस्थान सहयोगी बने हैं। वित्तीय स्त्रोत के रूप में मनरेगा, वॉटर शेड विकास, 15वें वित्त आयोग और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की राशि का उपयोग किया गया। जन-सहभागिता से कार्य आसान हुए हैं। अमृत सरोवर निर्माण में जो जिले आगे हैं, उनमें छिंदवाड़ा, मुरैना, बैतूल, मंदसौर और बुरहानपुर शामिल हैं। सरोवर निर्माण में 4 हजार से अधिक पंचायत प्रतिनिधि, 5 हजार से अधिक पंचायत स्तरीय अधिकारी और सवा 2 हजार उपयोगकर्ता समूह सहभागी बने हैं। विकास आयुक्त मलय श्रीवास्तव का कहना है कि वर्ष 2022-23 में 5,372 अमृत सरोवर बनाने का टारगेट हाथ में लिया गया। इनमें 2,657 पूरे हो चुके हैं। हम निर्माण करने में देश में दूसरे स्थान पर हैं। शेष बचे सरोवरों का निर्माण इस साल जून माह तक पूरा कर लेंगे। वर्ष 2023-24 में नए अमृत सरोवर बनाने का प्लान नहीं है।
क्षतिग्रस्त भी हो चुके हैं अमृत सरोवर…
जहां एक तरफ अमृत सरोवरों का निर्माण हो रहा है, वहीं कई जिलों में सरोवर क्षतिग्रस्त भी हो रहे हैं। बैतूल के चिचोली ब्लॉक के आलमपुर में 44 लाख रुपये की लागत से बनाया गया अमृत सरोवर पहली बारिश भी नहीं झेल पाया और फूट गया। यहां के रिटेनिंग वॉल का 10 से 15 फीट हिस्सा फूटा था। हालांकि सबसे अधिक सरोवर बनाने के मामले में बैतूल जिला प्रदेश में टॉप-5 में शामिल है। सिवनी जिले के घंसौर की ग्राम पंचायत पहाड़ी के निचली गांव में तेज वर्षा के कारण अमृत सरोवर योजना के तहत बना अधूरा तालाब फूट गया था। डिंडोरी जिले में बना अमृत सरोवर पहली ही बारिश में क्षतिग्रस्त हो गया। बुरहानपुर जिले के खकनार तहसील के ग्राम नागझिरी में पंचायत द्वारा द्वारा बनाया गया अमृत सरोवर फूट गया जिससे कुछ किसानों की फसल प्रभावित हुई। दमोह जिले के हटा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत दमोतीपुरा के ग्राम सूरजपुरा में बनाए गए अमृत सरोवर के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली थी। इसका कारण मूसलाधार बारिश का होना बताया गया।
43 हजार तालाबों का होगा जीर्णोद्धार
प्रदेश सरकार के पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के अंतर्गत 43 हजार से अधिक जीर्ण-शीर्ण तालाबों का भी जीर्णोद्धार होगा। इस संरचनाओं के जीर्णोद्धार पर लगभग 1100 करोड़ रुपये व्यय होंगे। प्रारंभ में 37,651 ताबालों का चयन किया गया था, लेकिन इसमें वर्तमान में केवल 27 हजार 710 तालाबों का ही जीर्णोद्धार किया जा सका है। शेष 9,941 जीर्ण-शीर्ण तालाबों का जीर्णोद्धार अब तक अधूरा है। 37,651 तालाबों से 28 हजार 933 तालाबों का चयन सिंचाई कार्य के लिए किया है। 6,439 तालाबों में मत्स्य पालन और दो हजार 164 तालाबों में सिंघाड़ा उत्पादन किया जाएगा।
शहीदों को समर्पित हैं सरोवर…
अमृत सरोवरों पर 3 हजार 955 फ्लैग पोस्ट बनी हैं। जहां स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराने का कार्य भी हुआ है। यही नहीं सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए अनेक स्वतंत्रता सेनानियों और अमर शहीदों के नाम 63 अमृत सरोवर समर्पित किए गए हैं। इसी तरह ऐतिहासिक महत्व के 116 स्थान के निकट सरोवर बनाए गए हैं। प्रदेश में धार्मिक महत्व के 231 स्थान के निकट और जैव विविधता-संरक्षण की दृष्टि से 342 अमृत सरोवर निर्मित हुए हैं। बहुउद्देशीय आर्थिक लाभ के लिए भी सरोवर चिन्हित किए गए हैं। मत्स्य उत्पादन में 2409, सिंघाड़ा उत्पादन में 1505 और पर्यटन के उद्देश्य से 199 सरोवर का उपयोग किया जा रहा है।