अग्नि आलोक

राम मंदिर में छत से टपकने लगा पानी

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नई दिल्ली। अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में सरकार ने जो जल्दबाजी दिखायी उसका नतीजा अब सामने आ रहा है। सूचना यह है कि नये बने मंदिर के गर्भगृह में स्थापित राम की प्रतिमा के ऊपर पानी गिर रहा है। मंदिर का बना ढांचा पहली बरसात का दबाव नहीं झेल सका और वह चूने लगा है। इसको लेकर मंदिर के पुजारी लोग बेहद परेशान हैं। इतना ही नहीं गर्भगृह में स्थित राम की प्रतिमा के पास इकट्ठा होने वाले पानी के निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। 

ये दोनों खुलासे किसी और ने नहीं बल्कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने किए हैं। उन्होंने कहा कि राम लला जहां विराजमान हैं वहां पहली ही बारिश में पानी टपकने लगा। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए कि जो मंदिर बना है उसमें कौन सी कमी रह गयी है। जिसके चलते यह पानी टपक रहा है। उन्होंने कहा कि जो बना है उस पर भी ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि पानी निकलने की भी जगह नहीं है। और ऊपर से पानी भी टपकता है। इस समस्या का समाधान आजकल में ही हो जाना चाहिए। वरना बारिश शुरू होने पर पूजा अर्चना और दर्शन सब बंद हो जाएगा।

इसके पहले कल सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही थी। जिसमें अयोध्या रेलवे स्टेशन का दृश्य दिखाया गया था। और उसके सामने स्थित चाहरदीवारी पूरी तरह से धाराशायी हो गयी थी। बताया गया कि ऐसा पानी बरसने की वजह से हुआ। यानि एक छोटी सी बारिश भी नयी बनी दीवार नहीं झेल सकी और वह गिर गयी। ऐसे में अयोध्या में हुए कामों की गुणवत्ता का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। 

इतना ही नहीं राम मंदिर के लिए जाने वाले रास्ते में 19 जगहों पर गड्ढे बन गए हैं। और इनमें तो कुछ ऐसे हैं कि पूरी गाड़ी ही उसमें समा जाए। और ऊपर से देखने में बिल्कुल सुरंग जैसे दिख रहे हैं।

ये घटनाएं इस बात को साबित करती हैं कि वहां जल्दबाजी में किया गया निर्माण का फैसला बहुत गलत था। इसके साथ ही पूरे निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की भी बू आ रही है। वरना इस कदर घटिया रूप सामने नहीं आता। हालांकि इस पर अभी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन बीजेपी के सबसे बड़े एजेंडे और चुनाव में उसके फोकस के बाद इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी किसी तरफ से संज्ञान न लिया जाना बेहद परेशान करने वाला है।

अब इसके पीछे क्या वजह हो सकती है उसके बारे में कुछ भी बता पाना मुश्किल है। लेकिन अयोध्या में मिली बीजेपी की शर्मनाक हार ने दिखाया कि किसी तरह से बीजेपी और उसके भक्त अयोध्यावासियों के पीछे पड़ गए थे। और उन्हें सोशल मीडिया से लेकर हर मंच पर कोस रहे थे। ऐसे में इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन समस्याओं को देखकर भी नजरंदाज कर दिया जाए। यह अयोध्या और उसके निवासियों के लिए एक सजा के तौर पर पेश किया जाए।

पीएम मोदी ने वैसे भी चुनाव नतीजों के बाद दिए गए अपने भाषण में इस दौर के बीजेपी के मुख्य नारे जैश्रीराम की जगह जय जगन्नाथ का नारा दिया था। इस नारे के लगाने के साथ ही राजनीति के गलियारों में नये-नये कयास लगने शुरू हो गए थे। कहीं इन समस्याओं के प्रति सरकार की अनदेखी उसकी किसी छुपी नीति का नतीजा तो नहीं है।

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