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 पश्चिम बंगाल … बेटियां बेचकर भरते हैं पेट, देह व्यापार में अव्वल… मंत्री की करीबी के घर नोटों का ढेर

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी का ऐक्शन जारी है। ईडी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर और अन्य ठिकाने से अब तक करीब 50 करोड़ रुपये बरामद किए हैं। ईडी की छापेमारी के बाद बंगाल की सियासत में भूचाल आ गया है। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को कैबिनेट और टीएमसी से हटा दिया है। मगर ऐसे राज्य में जहां आज भी लोग भूखमरी की मार झेल रहे है। वहां इतना पड़ा भ्रष्टाचार का खेल चल रहा हो तो बंगाल ही नहीं पूरे देश में इसकी चर्चा होनी चाहिए।



जनता बच्चे बेच रही, नेता के घर नोटों का अंबार

राजनीतिक विश्लेषक सुजाता पाण्डेय कहती हैं कि बंगाल के कई राज्यों में आज भी लोग पेट की भूख मिटाने के लिए अपनी बेटियों को बेचने पर मजबूर हैं। उन्होंने एक टीवी डिबेट में दावा किया कि बंगाल के पुरुलिया जिले में इतनी गरीबी है कि मां अपने बच्चों को चूहे मारकर खिलाती है। प्रदेश के कई जिलों में गरीबी के कारण देह व्यापार का धंधा चल रहा है और उस राज्य में मंत्री की करीबी से करोड़ों-करोड़ रुपये निकल रहे हैं।

रिपोर्ट से जानिए कितना गरीब राज्य है बंगाल

यूनिसेफ के अनुसार, पश्चिम बंगाल भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जिसकी आबादी 91.3 मिलियन है, जिसका पांचवा हिस्सा गरीब है। यह भारत के कुल भूमि क्षेत्र का केवल 2.7 प्रतिशत हिस्सा है और इस जनसंख्या घनत्व के कारण अक्सर सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता के संदर्भ में कई मुश्किलें आती हैं।

स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुवाधिओं का अभाव

पश्चिम बंगाल देश के आठ सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे सामाजिक संकेतकों में उच्च अभाव स्तर को दर्शाता है। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से राज्य में एक मजबूत पंचायती राज प्रणाली थी, जो जमीनी स्तर पर बच्चों के अधिकारों की प्राप्ति को प्रभावित करने का अवसर प्रदान करती है। हालांकि 2005 के बाद पश्चिम बंगाल में गरीबी में तेजी से कमी आई है, लेकिन राज्य के भीतर उच्च गरीबी वाले क्षेत्र बरकरार हैं। भूमि-सुधार के उपायों को फिर से लागू करने के बावजूद, कमजोर सामाजिक-आर्थिक और औद्योगिक नीतियां खासकर बच्चों से संबंधित विकास को बाधित करती हैं।

पश्चिम बंगाल देह व्यापार में भी अव्व्ल

जानकारी के अनुसार, बंगाल के कई इलाके देह व्यापार के लिए मशहूर हैं। राजधानी का सोनागाछी तो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है। अंग्रजों के शासन काल से इस इलाके में देह व्यापार का धंधा चल रहा है। गरीबी से मजूबर महिलाएं यहां रोजगार की तलाश में आती हैं और यहां कुछ दलाल उन्हें देह व्यापार के धंधे में डाल देते हैं। ताज्जुब की बात है कि पुलिस भी यहां चल रहे देह व्यापार को रोकने में मजबूर है, क्योंकि महिलाएं घर खर्च चलाने के लिए खुद अपनी मर्जी से यहां आती हैं। कई सामाजिक संगठन इन महिलाओं को नया जीवन देने के लिए प्रयासरत हैं।

भूख मिटाने के लिए बेच दी जाती है नवजात बेटियां

बंगाल के कुछ जिलों में आज भी भूखमरी के कारण लोग अपनी नवजात बेटियों का सौदा कर देते हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई थी। यहां 4 दिन की बच्ची को तस्करों को बेचने के मामले का खुलासा हुआ था। दिल दहला देने वाली घटना उत्तर 24 परगना के बामनगाछी दशपाड़ा में हुई थी। चार दिनों की नवजात को 50 हजार रुपये के एवज में बेचने (Children Trafficking) का आरोप लगा था। इस घटना पर पुलिस ने बताया था कि दशपाड़ा के निवासी कबीर मंडल और मार्जिना खातून दोनों को कुछ दिन पहले एक बच्ची हुई थी। पेशे से राजमिस्त्री कबीर के 4 और छोटे बच्चे हैं, फिर दूसरी बेटी हुई है, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। दंपति को अपनी 4 दिन की बेटी को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

आज भी चूहे खाकर भरते हैं पेट

बंगाल के पुरुलिया जिले में आज भी अधिकांश आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। यहां बाढ़ और प्राकृतिक त्रासदी के चलते लोगों को भूखमरी की सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां के लोगों को सरकार की ओर से मिलने वाली मुफ्त राशन की सुविधा भी नहीं मिल पाती है। हालात इतने गंभीर हैं कि लोग अपना पेट भरने के लिए चूहों को मारकर खा लेते हैं। चूहे का मीट खाने से लोग गंभीर रोग के शिकार भी हो जाते हैं।

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