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पश्चिम बंगालः शोभन और बैशाखी ने थाम ही लिया भाजपा का दामन

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कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी और उनकी बहुचर्चित महिला मित्र बैशाखी बैनर्जी ने आखिर भाजपा का दामन थाम ही लिया। यहां यह याद दिला दें कि वफा का फर्ज निभाते हुए शोभन चटर्जी ने बैशाखी के लिए ही मेयर की कुर्सी का प्रेम की बेदी पर बलिदान कर दिया था। करीब एक साल कोर्टशिप के बाद भाजपा को यह कामयाबी मिली है।

धूम-धड़ाके से आयोजित और बहुप्रचारित रैली में जब शोभन और बैशाखी ने हिस्सा नहीं लिया तो भाजपा नेताओं के चेहरे पर मायूसी छा गई थी। अब उनके आने से रौनक लौट आई है। शोभन और बैशाखी भी ममता बनर्जी पर हमला करते हुए अपना फर्ज अदा करने लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस से कई नेताओं का आयात करने के बावजूद भाजपा नेता शोभन को लेकर इतना बेचैन क्यों थे, इसकी एक खास वजह है।

विधानसभा चुनाव में दो सौ से अधिक सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा के लिए कोलकाता नगर निगम अभी भी मुश्किल साबित हो रहा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी की आंधी के बावजूद कोलकाता नगर निगम के 144 वार्ड में से भाजपा को कुल 47 सीटों पर ही बढ़त मिली थी, जबकि तृणमूल 97 सीटों पर आगे थी। उधर कोलकाता नगर निगम का चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।

भाजपा नेता प्रताप चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है। राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव कराने की तैयारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है। अब शोभन चटर्जी के आने के बाद भाजपा को लगता है कि अगर कोलकाता नगर निगम के चुनाव हुए तो शोभन चटर्जी उनकी नाव को पार करा देंगे। अब यह बात दीगर है कि भाजपा नेताओं की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव के साथ ही कोलकाता नगर निगम के चुनाव भी कराए जाएं।

भाजपा नेताओं को भरोसा है कि शोभन चटर्जी सिर्फ कोलकाता नगर निगम ही नहीं कोलकाता और दक्षिण 24 परगना के विधानसभा सीटों के लिए भी मददगार साबित होंगे। शोभन चटर्जी ने 2019 के अगस्त में ही बैशाखी के साथ भाजपा का झंडा थाम लिया था। पार्टी में बैशाखी की हैसियत के सवाल को लेकर बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी। बैशाखी को सम्मानजनक हैसियत दिलाने के लिए शोभन चटर्जी ने जनवरी के दूसरे सप्ताह से मोर्चा संभाल लिया है।

यह याद दिला दें कि शोभन और बैशाखी की प्रेम कहानी बहुत पुरानी है। जब उनकी मित्रता को लेकर पार्टी में सवाल उठने लगे तो ममता बनर्जी के कहने पर उन्होंने 1998 में मेयर के पद से इस्तीफा दे दिया था। भगवा जामा पहनने के बाद शोभन चटर्जी और बैशाखी ने ममता बनर्जी और उनके बहुचर्चित सांसद भांजे अभिषेक बनर्जी के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया है।

अब यह बात दीगर है कि एक वह भी दौर था जब शोभन चटर्जी के मोबाइल में ममता बनर्जी का नाम मां के नाम से सेव हुआ करता था और ममता बनर्जी के मोबाइल स्क्रीन पर शोभन चटर्जी का नाम कानू के नाम से नजर आता था। खैर राजनीति में रिश्तों का टूटना और दरकना कोई खास मायने नहीं रखता है। पर यहां तो शोभन चटर्जी के घर में ही रिश्ते इस कदर दरक गए हैं कि उनकी पत्नी रत्ना चटर्जी ने उनके खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। अब शोभन चटर्जी खुलेआम कहते हैं कि रत्ना के अन्य पुरुषों से रिश्ते हैं। जवाब में रत्ना कहती हैं कि जरा साबित तो करो और वहां तो बैशाखी उनके बाजू में सभी को नजर आती हैं।

पर बात यहीं खत्म नहीं होती है। भाजपा सांसद सौमित्र खां की बीवी सुजाता मंडल ने भी अपने पति के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का झंडा थाम लिया है और जमकर प्रचार कर रही हैं। वे अपने पति के खिलाफ बेवफाई का आरोप लगाते हुए कहती हैं कि भाजपा में महिलाओं को सम्मान देने की परंपरा नहीं है। मिसाल रत्ना का हवाला देते हुए कहती हैं कि बैशाखी ने एक घर को तोड़ दिया है। यह ड्रामा चालू आहे, अब इंतजार है मंच पर तीसरे पात्र के आने का।

जेके सिंह 

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