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राजस्थान लोक सेवा आयोग का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्या हाल बना दिया है?

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एस पी मित्तल अजमेर

राजस्थान में पिछले पांच वर्षों में करीब 18 परीक्षाओं के जो प्रश्न पत्र आउट हुए उससे कांग्रेस सरकार की पहले ही बदनामी हो रही है। सरकारी नौकरियां देने वाला राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा तक को पेपर आउट करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। आयोग के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब किसी सदस्य को इस तरह गिरफ्तार किया गया है। असल में पिछले पांच वर्षों में आयोग का पूरी तरह राजनीति करण हो गया। आयोग में राजनीति कितनी हावी है, इसका अंदाजा विधानसभा चुनाव में घोषित कांग्रेस के उम्मीदवारों से भी लगाया जा सकता है। आयोग की महिला सदस्य श्रीमती संगीता आर्य के पति प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य इस बार सोजत से कांग्रेस के उम्मीदवार है। एक तरफ पति कांग्रेस के उम्मीदवार है तो दूसरी तरफ संगीता आर्य आयोग में कितनी निष्पक्षता के साथ काम कर रही होंगी, इसका अंदाजा प्रदेश के बेरोजगार युवक लगा सकते हैं। एक और सदस्य प्रो. अयूब खान के पुत्र शहजाद खान जोधपुर के सूरसागर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। प्रो. अयूब वर्ष 2018 में इसी क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। जब उनका पुत्र कांग्रेस का उम्मीदवार है तब आयोग में उनकी भी निष्पक्षता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। इन दिनों आयोग ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के इंटरव्यू भी चल रहे हैं और लिखित परीक्षाएं भी आयोजित हो रही हैं। आयोग के अध्यक्ष  संजय श्रोत्रिय इन राजनीतिकज्ञ सदस्यों से किस प्रकार काम करवा रहे होंगे, यह वे ही बता सकते हैं।

राठौड़ की नियुक्ति पर नाराजगी:

राजस्थान में 9 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई, इससे एक दिन पहले 8 अक्टूबर को जिन तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की गई उन में कर्नल केसरी सिंह राठौड़ का नाम भी शामिल था। इन तीनों सदस्यों ने 9 अक्टूबर की सुबह ही आयोग में आकर सदस्य का पद ग्रहण कर लिया। राठौड़ ने जैसे ही पद ग्रहण किया, वैसे ही सोशल मीडिया में राठौड़ के विवादित वीडियो वायरल हो गए। राठौड़ ने जिस तरह एक जाति के लिए टिप्पणियां की उसके विरोध में राजस्थान जाट महासभा ने भी नाराजगी जताई। जब यह मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष रखा गया तो उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना स्पष्टीकरण जारी किया। गहलोत का कहना रहा कि मैं केसरी सिंह राठौड़ की पृष्ठभूमि को नहीं जानता था। मैंने उनके जो बयान अब देखे हैं, उससे मुझे भी दुख पहुंचा है। गहलोत ने राठौड़ की नियुक्ति पर खेद भी जताया। गहलोत के खेद जताने से भी आयोग के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात अलग है कि अब केसरी सिंह राठौड़ भी आयोग के संचालन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 

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