गुरुग्राम : लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारकर, हरियाणा में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दबाव बनाने की हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला की कोशिश विफल हो गई है, क्योंकि राज्य में उनकी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की सभी 19 सीटों पर जमानत जब्त हो गई है.
पार्टी को मिला 0.14 प्रतिशत वोट शेयर, नोटा के 0.96 प्रतिशत से भी कम है.चौटाला हरियाणा में अपने सहयोगी दल से एक या दो सीटें पाने के लिए उत्सुक हैं, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर कब्जा कर लिया था. भाजपा ने किसी भी सीट को छोड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से सभी 10 चुनाव क्षेत्रों को जीतने का आह्वान किया है.
जेजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव इस दावे के साथ लड़ा था कि पार्टी “विधानसभा की चाबी (जेजेपी का चुनाव चिन्ह भी) अपने हाथ में” लेकर हरियाणा में किंगमेकर के रूप में उभरेगी.संसदीय चुनावों में 6 महीने से भी कम समय बचा है और अगले साल अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, राजनीतिक विश्लेषक और विपक्षी दल यह दिलचस्पी से देख रहे थे कि राजस्थान में दुष्यंत चौटाला का प्रदर्शन भाजपा के साथ उनके समीकरणों को कैसे प्रभावित करेगा.
जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान के फैसले का निश्चित रूप से हरियाणा में जेजेपी पर असर पड़ेगा, खुद चौटाला ने अगले साल पार्टी की संभावनाओं के बारे में विश्वास जताया है.अन्य राजनीतिक दलों में, भाजपा को राजस्थान में 41.69 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी (आप) को 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को 0.01 प्रतिशत, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को 1.82 प्रतिशत, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को 0.04 प्रतिशत, सीपीआई-(मार्क्सवादी) को 0.96 प्रतिशत, सीपीआई-(मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन को 0.01 प्रतिशत वोट मिले, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 0.01 प्रतिशत, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 2.39 प्रतिशत, शिवसेना 0.15 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी 0.01 प्रतिशत और अन्य को 11.90 प्रतिशत.