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एग्जिट पोल के नतीजे सही निकले तो सचिन-गहलोत विवाद का क्‍या होगा…

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नई दिल्‍ली. अधिकांश एग्जिट पोल यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में भाजपा के हाथों सत्ता से हाथ धो सकती है. माना जा रहा है कि मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायरट के बीच आंतरिक लड़ाई का खामियाजा पार्टी को राज्‍य में भुगतना पड़ सकता है. अगर तीन दिसंबर को आने वाले चुनावी नतीजों में तमाम सर्वे में कही जा रही बात सही साबित होती है तो इस बात की संभावना प्रबल है कि हार का दोष मढ़ने के लिए गहलोत और पायलट गुट के बीच कलह खुलकर सामने आ सकती है.

केवल एक प्रमुख एग्जिट पोल ने राजस्‍थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने की बात कही है. यदि वह जीतती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के पास न सिर्फ जश्न मनाने के लिए एक बड़ी जीत होगी बल्कि 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान निपटने के लिए एक समस्या भी कम होगी. मुख्यमंत्री गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के बीच पीढ़ीगत विवाद चुनाव से पहले के हफ्तों में अपेक्षाकृत कम रहा है. अभी के लिए, पार्टी के हित के लिए, वे एकजुट हुए. एक नुकसान से उसमें तुरंत बदलाव आने की संभावना है.

वरिष्‍ठता के चलते गहलोत बने मुख्‍यमंत्री
वास्तव में, सचिन-गहलोत के बीच झगड़े की जड़ें कांग्रेस की हार में हैं. 2013 विधानसभा चुनाव के दौरान 200 में से केवल 21 सीटें जीत कर जब कांग्रेस राजस्थान में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी, युवा चेहरा पायलट को पार्टी की किस्मत को पुनर्जीवित करने का काम सौंपा गया था. कथित तौर पर गहलोत ने हस्तक्षेप न करने का वादा किया. फिर भी, जब पार्टी ने 2018 का राज्‍य में चुनाव जीता तो लोकप्रियता और वरिष्ठता का हवाला देते हुए गहलोत को सीएम बनाया गया. पायलट कथित तौर पर युवा गांधी परिवार द्वारा समर्थित, उनके डिप्टी बने और उन्हें संगठनात्मक कार्यों का प्रमुख श्रेय मिला.

पायलट को CM नहीं बना पाया गांधी परिवार!
सभी मुद्दों से निपटाने के लिए, कांग्रेस पार्टी ने कथित तौर पर 50:50 का समझौता किया था यानी गहलोत और पायलट के लिए ढाई-ढाई साल सीएम की कुर्सी. हालांकि पायलट और यहां तक कि पार्टी भी कोशिशों के बावजूद उस फॉर्मूले को लागू करने में असमर्थ रही, क्योंकि गहलोत कांग्रेस विधायकों की शीर्ष पसंद बने रहे. पायलट ने 2020 में बगावत भी की और जोर देकर कहा कि पार्टी उन्हें आधे कार्यकाल के लिए सीएम बनाने का अपना वादा निभाए. लेकिन उसका विद्रोह खत्‍म हो गया. उन्होंने डिप्टी का पद खो दिया और अब राज्य पार्टी प्रमुख नहीं रहे.

मेवाड़
भाजपा: 23-27 सीटें
कांग्रेस : 11-15 सीटें
अन्य: 04-06

हाड़ौती
भाजपा: 11-15 सीटें
कांग्रेस : 02-06 सीटें
अन्य: 0

ढूंढाड़
भाजपा: 25-29 सीटें
कांग्रेस : 26-30 सीटें
अन्य:  00- 05

शेखावाटी
भाजपा: 07-11 सीटें
कांग्रेस : 09-13 सीटें
अन्य:  00- 02

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