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मेहुल चोकसी को भारत वापस लाने में कहां फंसा है कानूनी पेंच?

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मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल का कहना है कि जिस वक्त गीतांजलि समूह के अध्यक्ष चोकसी ने एंटीगा की नागरिकता हासिल कर ली, वह भारत का नागरिक नहीं रह गया है. इसलिए कानूनी रूप से वह केवल एंटीगा भेजा जा सकता है.

पंजाब नेशनल बैंक में 13 हजार करोड़ का फ्रॉड (PNB Scam) करने वाले भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Fugitive jeweller Mehul Choksi) को भारत लाने की तैयारी शुरू हो गई है. चोकसी फिलहाल कैरेब‍ियाई देश डोमिनिका के एक अस्पताल में पुलिस की निगरानी में है. भारत के अधिकारियों की एक टीम मेहुल चोकसी को वापस लाने के लिए डोमिनिका गई है. इस बीच चोकसी के वकील विजय अग्रवाल का कहना है कि जिस वक्त गीतांजलि समूह के अध्यक्ष और व्यापारी चोकसी ने एंटीगा की नागरिकता हासिल कर ली, वह भारत का नागरिक नहीं रह गया है. इसलिए कानूनी रूप से इमिग्रेशन और पासपोर्ट एक्ट के सेक्शन 17 और 23 के अनुसार उसे सिर्फ एंटीगा ही भेजा जा सकता है.

आइए जानते हैं कि मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पण में अभी कौन-कौन सी कानूनी दिक्कतें आ सकती हैं और इनसे कैसे निपटा जा सकता है:-

कानूनी बाधा क्या है?

मेहुल चोकसी की लीगल टीम ने दावा किया है कि एंटीगा के अधिकारियों के बयान के विपरीत चोकसी डोमिनिका भागा नहीं था. उसे हनी ट्रैप के जरिये फंसाया गया था और अगवा कर लिया गया था. लीगल टीम ने दावा किया है कि चोकसी की पिछले छह महीनों से एक महिला के साथ दोस्ती थी, जिसे 23 मई को एंटीगा के एक अपार्टमेंट में बुलाया गया था. वहां से ही चोकसी को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था. फिर डोमिनिका ले जाने से पहले उसे कथित तौर पर पीटा गया. एक यॉट में बंधक बनाकर रखा गया और कई तरह से टॉर्चर किया गया.एंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा है कि तीन दिनों तक लापता रहने के बाद डोमिनिका में पकड़े गए भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को वापस भारत भेज दिया जाना चाहिए, जहां वह अपने खिलाफ लगे आपराधिक आरोपों का सामना कर सके. हालांकि, बाद में ब्राउन ने कहा कि उसे सीधे भारत नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि वो अब भारत का नागरिक नहीं है, बल्कि एंटीगा का नागरिक है. चोकसी ने 2018 में भारत छोड़ने के एक साल पहले 2017 में एंटीगा की नागरिकता ले ली थी. यहां तक कि उसने अपना इंडियन पासपोर्ट भी सरेंडर कर दिया था.

फिर भारत के केस में अभी क्या है?

मेहुल चोकसी का पीछा करने वाली भारतीय एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि उसने अपना पासपोर्ट सरेंडर कर दिया हो, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया है. उसे पासपोर्ट सरेंडर का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है. सूत्रों का कहना है कि इंटरपोल ने भारत में किए गए वित्तीय अपराधों के लिए चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है और इस पर अदालत में बहस होगी. भारत पहले ही सभी प्रासंगिक केस में जरूरी दस्तावेज डोमिनिका भेज चुका है.

इस पर नागरिकता कानून क्या कहता है?

जहां तक ​​चोकसी की नागरिकता का सवाल है, कानून बहुत स्पष्ट है: भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है. भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की सेक्शन 9 के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जो विदेशी नागरिकता प्राप्त करता है, भारतीय नागरिक नहीं रह जाता है.

सेक्शन 9 के मुताबिक, ‘भारत का कोई भी नागरिक जो पंजीकरण या समीकरण के द्वारा किसी और देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, उसकी भारतीय नागरिकता रद्द हो जाएगी. भारत का कोई भी नागरिक जो स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, उसकी भारतीय नागरिकता रद्द हो जायेगी. विशेष रूप से, समाप्ति का प्रावधान त्याग के प्रावधान से अलग है, क्योंकि यह भारत के किसी भी नागरिक पर लागू होता है और वयस्कों के लिए ही प्रतिबंधित नहीं है. इसीलिए भारतीय बच्चे भी स्वतः ही अपनी भारतीय नागरिकता को खो देते हैं.’

इसलिए, सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए चोकसी एंटीगा का नागरिक बना हुआ है. भले ही वहां की सरकार ने उसकी नागरिकता रद्द करने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी हो. इसे चोकसी ने एंटीगा कोर्ट में चुनौती दी है.

चोकसी के भारतीय पासपोर्ट के बारे में क्या?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अनुसार, सभी भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के तुरंत बाद अपने पासपोर्ट नजदीकी भारतीय मिशन/पोस्ट को सौंप दें. भारतीय पासपोर्ट का दुरुपयोग पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12(1ए) के तहत एक अपराध है. मंत्रालय का वेबसाइट कहता है, ‘भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955, दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है… ऐसे में विदेशी राष्ट्रीयता प्राप्त करने के बाद भारतीय पासपोर्ट पर की गई यात्राओं, पासपोर्ट नियमों के उल्लंघन और विदेशी राष्ट्रीयता प्राप्त करने के बाद तीन साल से अधिक समय तक भारतीय पासपोर्ट को बनाए रखने पर भारत सरकार एक श्रेणीबद्ध पैमाने पर जुर्माना लगाने और सजा का प्रावधान करता है.’विदेश मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘कुछ देश जो दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देते हैं, अपने देश की नागरिकता को औपचारिक रूप देने से पहले भारतीय पासपोर्ट के सरेंडर पर जोर देते हैं. हालांकि, एंटीगा में ऐसा नहीं है. यहां किसी भी मामले में यह मायने नहीं रखता कि आपने अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किया है या नहीं. लेकिन, भारत में नियम अलग है. अगर किसी दूसरे देश ने आपको नागरिकता प्रदान की है, तो भारतीय कानून के तहत आप भारतीय नागरिक नहीं रह जाते हैं.’

ऐसे में भारत क्या उम्मीद कर सकता है?

चोकसी को भारत वापस लाने का भारत का सबसे अच्छा मौका है. डोमिनिका के अदालत को यह समझाना है कि उसके खिलाफ एक मजबूत कानूनी मामला है और वह एक भगोड़ा अपराधी है. सूत्रों ने कहा कि भारत यह भी तर्क देगा कि एंटीगा की नागरिकता हासिल करने का उनका एकमात्र इरादा भारत में कानून के शिकंजे से बचना था.

एक अधिकारी ने कहा, ‘चोकसी के खिलाफ इंटरपोल का नोटिस है, यह उसे भारत को सौंपने के लिए पर्याप्त आधार है. जहां तक ​​उसकी पिटाई के मुद्दे का सवाल है, यह हमसे जुड़ा नहीं है. हमें नहीं पता कि उसे किसने पीटा है.’ हालांकि, डोमिनिका के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है. फिर भी भारत ने अदालत में प्रत्यर्पण की कार्यवाही का पालन किया, जो एक वर्ष से अधिक समय तक चली. ऐसे में भारत के पास चोकसी को लाने के लिए पर्याप्त पॉइंट हैं.

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