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पंजाब में नशा, कृषि, पलायन सवालों को कौन कितनी मजबूती से हल कर पायेगा यह अभी भी यक्ष प्रश्न

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जगदीप सिंह सिंधु 

हरित क्रांति से देश को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव अंतिम चरण में 1 जून को होगा। पंजाब की राजधानी केंद्र शासित चंडीगढ़ की एक सीट पर भी 1 जून को चुनाव होगा।

राजनीतिक तौर पर पंजाब ने ही केंद्र की भाजपा सत्ता को ललकारते हुए अपने दृढ़ निश्चय से गंभीर चुनौती दी और किसान आंदोलन के जरिये तीन कृषि कानूनों को वापस करने के लिए बाध्य किया। प्रदेश की राजनीति में 20 वीं सदी के आरम्भ से कांग्रेस के समांतर ही पंथक राजनीति अकाली दल सशक्त रही है। जनसंघ के भरपूर प्रयासों के बावजूद भी भाजपा यहां की धरती में अपना राजनीतिक आधार कभी बना नहीं पाई।

पंजाब को भौगोलिक दृष्टि से 3 क्षेत्रों में देखा जाता है। माझा जिसमें ब्यास दरिया के पश्चिमी किनारे से लेकर सीमा तक का इलाका माना जाता है यहां लोकसभा की तीन सीट इस क्षेत्र में आती हैं गुरदासपुर, श्री अमृतसर, खडूर साहिब।

मध्य पंजाब को दोआबा कहा जाता है जो सतलुज दरिया के पश्चिमी किनारे से ब्यास के पूर्वी किनारे के बीच का क्षेत्र है। यहां लोकसभा की 2 सीटें आती हैं जालंधर और होशियारपुर, ये दोनों ही आरक्षित सीटें भी हैं। इनको अक्सर एनआरआई सीट भी कहा जाता है। क्योंकि इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग विदशों में बसे हुए हैं।

सतलुज के उत्तरी किनारे से हरियाणा की सीमा तक लगता हुआ इलाका मालवा कहलाता है। यहां से 8 सीटें लुधियाना फ़िरोज़पुर, फरीदकोट, बठिंडा, संगरूर, पटियाला, श्री फतेहगढ़ साहेब, आनंदपुर साहेब हैं।

वर्तमान में पंजाब में 2 सीट गुरदासपुर और होशियारपुर भाजपा के खाते में और 2 सीट फिरोजपुर, बठिंडा शिरोमणि अकालीदल के पास व संगरूर की शिरोमणि अकालीदल (अ ) के खाते में 7 सीट आनंदपुर साहेब, श्री फतेहगढ़ साहेब , लुधियाना, पटियाला, फरीदकोट, खडूर साहेब, अमृतसर साहेब से कांग्रेस के सांसद है। जालंधर की सीट पर उपचुनाव में आम आदमी ने जीत हासिल की थी। केंद्र शासित चंडीगढ़ की सीट वर्तमान में भाजपा के खाते में है। पंजाब की प्रत्येक सीट पर वर्तमान में चुनावी समीकरण अलग-अलग है।

माझा

गुरदासपुर सीट पर पिछली बार सनी देओल भाजपा से सांसद बने थे लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र में वो कभी सक्रिय दिखाई नहीं दिए। भाजपा ने स्थानीय मतदाताओं की नाराजगी को आंकते हुए अपना प्रत्याशी बदल दिया और दिनेश सिंह बब्बू को नया उम्मीदवार बनाया है जो की सुजानपुर विधानसभा से विधायक रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पठानकोट इकाई के सचिव रहे बब्बू पंजाब विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे हैं। यहां 9 विधानसभा सीट में से आम आदमी पार्टी केवल 2 सीट ही विधानसभा चुनाव में जीत पाई थी।

कांग्रेस से सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के दिग्गज नेता मैदान में हैं। सुखजिंदर सिंह रंधावा कांग्रेस की और से राजस्थान के प्रभारी भी रहे हैं। अकाली दल ने यहां से दलजीत सिंह चीमा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि डा दलजीत सिंह चीमा अपने गृह क्षेत्र के लोकसभा सीट आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ने के अधिक इच्छुक थे। आम आदमी पार्टी की अमन शेर सिंह शैरी कलसी जो की बटाला विधानसभा से जो वर्तमान विधायक हैं उनको टिकट दिया है। यहां भाजपा को संभवतया शहरी व कस्बाई स्थानों से हिन्दू वोट मिलने के आसार हैं।

हालांकि यहां बड़े शहर पठानकोट गुरदासपुर बटाला ही हैं लेकिन दीनानगर सुजानपुर डेरा बाबा नानक फतेहगढ़ चूड़ियां कादियां बड़े कस्बे भी हैं। पूर्व में भाजपा अकालीदल गठबंधन के संयुक्त वोट पूरे पंजाब में प्रत्याशियों को मिल जाते थे इसलिए उनके प्रत्याशियों को जीत प्राप्त होती रही। लेकिन इस बार स्थितियां अलग हो गई हैं। हिन्दू वोट के आसरे भाजपा पंजाब में अपनी जमीन तलाशने में लगी है तो कांग्रेस भी हिन्दू वोटों में खासी पैठ रखती है। ग्रामीण इलाकों में किसान समुदाय की वोटर निर्णायक होंगे। कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा इन समीकरणों में अन्य प्रत्याशियों से कुछ आगे दिखाई देते हैं।

श्री अमृतसर साहिब से कांग्रेस ने वर्तमान सांसद गुरजीत सिंह औजला पर फिर से अपना विश्वास रखते हुए प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने पूर्व राजनयिक तरनजीत सिंह संधू जैसे नए चेहरे को मैदान में उतारा है। पंजाब के प्रतिष्ठित पंथक परिवार तेजा सिंह समुद्री की विरासत लिए हुए तरनजीत सिंह संधू राजनीति के मैदान में बिल्कुल नए हैं। अकाली दल ने अमृतसर के तेज तर्रार माने जाने वाले अनिल जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अनिल जोशी भाजपा का एक प्रमुख चेहरा पंजाब में रहे है।

किसान आंदोलन के समय उनकी किसानों के पक्ष की प्रतिक्रियाओं के चलते भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। 2021 अगस्त में अनिल जोशी अकाली दल में शामिल हुए थे। आम आदमी पार्टी ने वर्तमान सरकार में कृषि किसान कल्याण, ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। अबकी बार शहरी ग्रामीण वोटों को संतुलित रूप से अपने पक्ष में करना सभी प्रत्याशियों की चुनौती बनेगी।

नवजोत सिंह सिद्धू यहां से संयुक्त समीकरण के चलते जीतते रहे। वर्तमान सांसद कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला के खिलाफ़ कोई नाराजगी स्थानीय लोकसभा क्षेत्र में है नहीं जिसका लाभ उनके पक्ष को मजबूत करता है। शहरी हिन्दू वोट पर भाजपा निर्भर है लेकिन अकाली दल के अनिल जोशी को शहरी हिन्दू वोट का लाभ तथा अकाली दल के ग्रामीण वोटों का भी लाभ मिलने के आसार हैं। वहीं आम आदमी पार्टी ने अपना पूरा जोर सरकार की उपब्धियों पर रखा है। कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला को अकाली भाजपा वोटों का विभाजन चुनावी लाभ निश्चित तौर पर दे सकता है।

माझा की तीसरी सीट खडूर साहिब सबसे अधिक चर्चा में है। यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अमृत पाल चुनाव में है। पंजाब में कुछ समय पहले जिस तरह का एक घटनाक्रम हुआ था जिसमें तीव्र पंथक विमर्श को लेकर अमृत पाल की सक्रियता रही और उसकी गिरफ्तारी हुई। उसने पूरे पंजाब में एक नयी धारा को उत्पन्न करने की कोशिश की थी। हालांकि अलगाववादी सोच को पंजाब ने विगत में ही पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया था। कांग्रेस ने कुलबीर सिंह जीरा को इस बार अवसर दिया है। आम आदमी पार्टी ने अपने मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को यहां प्रत्याशी बनाया है।

खडूर साहिब की नौ विधानसभा में आम आदमी पार्टी के वर्तमान में 6 विधायक हैं। एक विधायक निर्दलीय तथा एक विधायक कांग्रेस पार्टी से है। भाजपा से यहां मनजीत सिंह मन्ना प्रत्याशी हैं जिन्होंने हाल ही इमें भाजपा का दमन पकड़ा है। दो बार अकाली दल से विधायक में रहे मन्ना ने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया से तकरार के चलते काफी मुखरता से मजीठिया को पंजाब में ड्रग्स के मामलों में संलिप्तता के आरोपों पर विगत में सार्वजनिक मंचों से घेरा था। यहां की सीट पर समीकरण काफी पेचीदा दिखाई दे रहे हैं। किसान वर्ग में जट्ट जाति का झुकाव धार्मिकता के भाव से प्रेरित अमृत पाल की ओर लगता है जबकि दलित समुदाय जो मुख्यता श्रमिक कामगार हैं इनमें कुछ भाग भाजपा की ओर बढ़ सकता है। सेक्युलर वोट जो जाति धर्म की परिधि के बाहर हैं उनका झुकाव आम आदमी पार्टी की ओर अधिक दिखाई देता है। इस वर्ग में अधिकतर कर्मचारी छोटे व्यापारी शिक्षक व् अन्य कार्यों सेवाओं से जुड़े लोग शामिल हैं।

दोआबा

दोआबा की जालंधर अनुसूचित जाति की आरक्षित सीट में पंजाब के कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के आने से यह सीट काफी रोचक हो गयी है। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 विधानसभा में कांग्रेस के वर्तमान में 5 विधायक हैं। आम आदमी पार्टी से पहले घोषित प्रत्याशी सुशील कुमार रिंकू ऐन समय पर आम आदमी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने अब सुशील कुमार रिंकू को अपना प्रत्याशी बनाया है। आम आदमी पार्टी से पवन कुमार टीनू प्रत्याशी हैं जिनके बारे में कहा जाता है के वो अवसर के अनुसार दल बदल लेते है।

लम्बे समय तक बहुजन समाज पार्टी में रहे और 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले अकाली दल में शामिल हो गए थे लोक सभा टिकट के लिए अब अकाली दल से आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। शिरोमणि अकाली दल ने मोहिन्दर सिंह के पी जो कांग्रेस के नेता थे और चुनाव से ऐन पहले अकाली दल में शामिल हुए को टिकट दी है। दलित नेता जगजीत सिंह चौधरी व उनके भाई संतोख सिंह चौधरी जिनका भारत जोड़ो यात्रा में हृदयघात से मृत्यु हो गई थी, का यह क्षेत्र कर्मभूमि रहा है लेकिन उनके परिवार में से अबकी कोई चुनाव में नहीं है। मतदाता के सामने चुनौती अब कांग्रेस प्रत्याशी या बेहतर दलबदलू को चुन कर संसद में भेजने की है। जालंधर में मतदाता काफी देखने परखने के बाद ही वोट देने के लिए जाने जाते हैं।

होशियारपुर लोक सभा की सीट आरक्षित सीट है। दरबारा सिंह (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री), ज्ञानी जैल सिंह (पूर्व राष्ट्रपति), कांशीराम (बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक) यहां से सांसद रह चुके हैं। 1967 में एक बार जनसंघ ने भी यहां से जीत प्राप्त की थी। पिछली दो बार से यह सीट भाजपा के खाते में है। अबकी बार भाजपा ने यहां से अपना प्रत्याशी अनीता सोमप्रकाश को बनाया है जो निवर्तमान सांसद सोमप्रकाश की धर्मपत्नी हैं। 9 विधानसभा सीटों में 5 आम आदमी 2 कांग्रेस 1 भाजपा व एक सीट अभी खाली है। आम आदमी पार्टी ने यहां से हॉल ही पार्टी में कांग्रेस से आये डॉ राजकुमार चब्बेवाल को प्रत्याशी बनाया है।

2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ राजकुमार चब्बेवाल कांग्रेस के टिकट पर पुलवामा की लहर में भी भाजपा के सोमप्रकाश से लगभग अठावन हजार मतों से हारे थे। कांग्रेस ने यहां से अबके यामिनी गोमर को उतारा है। यामिनी गोमर ने 2014 में आम आदमी की टिकट पर लोकसभा का चुनाव यहीं से लड़ा था लेकिन तीसरे स्थान पर रहीं। यामिनी गोमर आम आदमी पार्टी से प्रारम्भ में जुड़ी रहीं लेकिन 2016 में आम आदमी पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गईं। शिरोमणि अकाली दल ने यहां सोहन सिंह ठंडल जो अकाली दल की सरकार में पूर्व मंत्री रहे, को चुनाव मैदान में उतारा है। होशियारपुर दसुया फगवाड़ा मुकेरियां के क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों का जोर रहेगा। यहां काफी संख्या में हिन्दू आबादी भी है।

मालवा

पंजाब के मालवा में आम आदमी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता मिली थी। अकाली दल का भी यहां मजबूत आधार रहा है। इस क्षेत्र को किसान आंदोलन का बड़ा गढ़ भी माना जाता है। मालवा में 8 लोक सभा की सीटें हैं। लगभग हर सीट पर यहां चतुष्कोणिय मुकाबला है। पंजाब में अकाली दल क्षेत्रीय पार्टी रूप में मजबूत रही है और अबकी बार भाजपा से गठबंधन नहीं किया है। दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। फिरोजपुर की सीट पर पिछली बार अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल चुनाव जीते थे लेकिन अबकी बार वो चुनाव ही नहीं लड़ रहे।

फिरोजपुर परंपरागत रूप से अकाली दल की मजबूत सीट मानी जाती है। शेर सिंह गुभाया 2009-2014 में यहां से अकाली दल से सांसद रहे लेकिन 2019 में सुखबीर सिंह बादल के प्रत्याशी बनाने के कारण अकाली दल छोड़ कांग्रेस पार्टी में चले गए और कांग्रेस की टिकट पर सुखबीर बादल के विरुद्ध चुनाव लड़े परन्तु हार गए थे। अबकी बार कांग्रेस पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अकाली दल ने यहां से नरदेव सिंह बॉबी मान को प्रत्याशी बनाया है।

आम आदमी पार्टी से जगदीप सिंह काका बराड़ उमीदवार हैं। कांग्रेस पार्टी से भाजपा में आये राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी यहां से मैदान में हैं। 4 बार कांग्रेस के विधायक रहे पूर्व खेल मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के काफी करीबी विश्वसनीय रहे लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद पार्टी से किनारा कर भाजपा में शामिल हो गए। यहां एक ओर अकाली दल की साख दांव पर है तो दूसरी तरफ कांग्रेस को चुनौती शेर सिंह गुभाया से है। सभी दलों के प्रत्याशी यहां अपने-अपने समर्थन को जुटाने में लगे हैं। जातीय समीकरण व सामाजिक समीकरण किसके पक्ष में सधते हैं यह देखना रोचक होगा।

फरीदकोट की सीट भी आरक्षित सीट है। आम आदमी पार्टी के समर्थन का गढ़ माना जा रहा है ये लोकसभा क्षेत्र। हालांकि कांग्रेस और अकाली दल पहले यहां से जीतते रहे हैं। पंजाब के इतिहास में सिखों के श्री गुरु ग्रंथ साहेब की बे अदबी के मामले में यही वो क्षेत्र है जहां प्रकाश सिंह बादल की सरकार के यह समय घटना हुई थी। बेअदबी मामले में इंसाफ का दावा आम आदमी पार्टी ने भी किया था लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम आया नहीं। किसानों का भारी विरोध यहां भाजपा प्रत्याशी हंस राज हंस को झेलना पड़ रहा है। बेअंत सिंह जिसने इंदिरा गांधी की हत्या की थी के पुत्र सरबजीत सिंह खालसा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में उसे काफी समर्थन मिल रहा है।

कांग्रेस ने गायक मोहमद सादिक को फिर से उम्मीदवार न बना के यहां चेहरा बदल दिया और अमरजीत कौर सहोके को प्रत्याशी बनाया है। आम आदमी पार्टी के करमजीत अनमोल जो पंजाबी के गायक हैं, को यहां मैदान में उतारा है। भाजपा और आम आदमी पार्टी के दोनों ही प्रत्याशी यहां बाहर के माने जाते हैं। कांग्रेस पार्टी में आपसी गुटबाजी यहां तीव्र है। किसानों का बड़ा वर्ग यहां भाजपा विरोध में है। लेकिन डेरा प्रेमी भी यहां काफी संख्या में हैं। चुनावी समीकरण काफी उलझे हुए है इस सीट पर।

बठिंडा में आखिर अकाली दल ने काफी गुना-भाग करने के बाद बीबा हरसिमरत कौर बादल को उतार ही दिया। हरसिमरत कौर बादल यहां से चौथी बार भाग्य आजमाएंगी। यहां मुकबला 5 कोणीय हो रहा है। कांग्रेस पार्टी ने जीत मोहिन्दर सिंह सिद्दू को टिकट दिया हैं। जीत मोहिन्दर सिंह पार्टी बदलते रहे हैं। अकाली दल से भी विधान सभा का चुनाव लड़ चुके हैं विधायक भी रहे। लेकिन इन पर पंजाब के एक बड़े घोटाले के आरोपी होने की छाया भी चस्पा है।

आम आदमी पार्टी के गुमीत सिंह खुड़ियां यहां उमीदवार हैं जो वर्तमान में पंजाब सरकार में मंत्री भी हैं। खुड़ियां पढ़े लिखे गंभीर व्यक्तित्व के नेता की छवि लिए हुए तथा पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को विधान सभा चुनाव में हराने का तमगा भी साथ लिए हुए हैं। निर्दलीय उमीदवार के तौर पर पंजाब के मालवा क्षेत्र के लिए निरंतर आवाज उठाने वाले लखा सिधाना ने भी अबकी बार लोक सभा के चुनाव में ताल ठोक दी। 2022 के विधान सभा चुनाव में लखा सिधाना मोड़ हलके से चुनाव हार गए थे।

किसान आंदोलन का जोर इस इलाके में बहुत सघन है। किसान वर्ग का भारी विरोध भाजपा को झेलना पड़ेगा। भाजपा से अकाली दल के बड़े नेता सिकंदर सिंह मलूका के परिवार की पुत्रवधू पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बीबी परमपाल कौर जिन्होंने हाल ही में अपने पद से त्यागपत्र दिया और भाजपा में शामिल हुयी हैं, प्रत्याशी हैं। 9 विधान सभा में यहां सभी आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। समाजिक वर्गों में कौन किसके साथ जायेगा यह बड़ा प्रश्न है।

संगरूर की सीट पर सिमरनजीत सिंह मान उपचुनाव में बाजी मार ले गए थे। अकालीदल (अ ) से 84 साल की उम्र में एक बार फिर से मैदान में हैं। किसान आंदोलन का गढ़ संगरूर अबकी बार हर प्रत्याशी के लिए बहुत कठिन पहेली है। कांग्रेस, प्रदेश की आम आदमी पार्टी की सरकार की अक्षमताओं को भुनाने में लगी है। कांग्रेस, प्रदेश में विधान सभा में खोये विश्वास को पुन: हासिल करने की उम्मीद में अपने प्रयासों को धार देने में जुटी है। मतदाताओं में विभिन्न समाजिक वर्ग कहीं एकजुट निर्णय की स्थिति में अभी तक दिखाई नहीं दे रहे। सुखपाल सिंह खैरा को कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी बनाया है। हालांकि सुखपाल सिंह खैरा एक मजबूत छवि रखते हैं लेकिन पिछले दिनों कई विवादों भी रहे हैं। भाजपा ने अरविन्द खन्ना को यहां प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा पूरी तरह से हिन्दू वोट को अपने पक्ष में भुनाने में लगी हुयी है। साथ ही सिख समुदाय के बड़े नेताओं को भी अपनी पार्टी में शामिल कर प्रदेश के कृषक समाज में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। अकाली दल ने यहां से ढींडसा परिवार को किनारा करके इक़बाल सिंह झुन्डा पर दांव खेला है। लेकिन अकाली दल को अपने मजबूत आधार में काफी मशक्कत बड़े अकाली नेताओं की नाराजगी को मिटाने में करनी पड़ेगी तभी स्थानीय मतदातों के विश्वास को हासिल करने में कोई कामयाबी मिलने के आसार हैं। पंथक वोट यहां अभी सिमरनजीत सिंह मान के चुनाव में होने से पूरी तरह से बंटे हुए हैं। आम आदमी पार्टी ने गुरमीत सिंह मीत हेयर को चुनाव में उतारा है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की यह सीट रही है और अब इसको जीतने की बड़ी चुनौती आम आदमी के सामने है।

पटियाला सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर को अपना प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक महत्वाकांक्षा कैसे कैसे रंग बदलती है यह समझना मुश्किल नहीं। कांग्रेस से धर्मवीर गांधी उम्मीदवार हैं। आम आदमी पार्टी ने डा. बलबीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है जो वर्तमान प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं। शिरोमणि अकाली दल से नरेंदर कुमार शर्मा मैदान में हैं। धर्मवीर गांधी 2014 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े थे और उस समय कांग्रेस की प्रत्याशी परणीत कौर के हराया था। स्थानीय समीकरण इस लोक सभा में कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

लुधियाना में रवनीत सिंह बिट्टू कांग्रेस छोड़ चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होकर अब यहां से पार्टी की प्रत्याशी हैं। राजनीति की धारा में नाव बदल कर फिर से पार लगना या मझधार में फंस के रह जाना एक तरह का बड़ा जोखिम ही कहा जाएगा। यहां आदर्श व सिद्धांतों का कोई मायने रह जाता। 9 विधानसभा में से 8 पर यहां आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। एक विधायक अकाली दल से हैं। यहां तेज तर्रार अमरिंदर सिंह राजा वडिंग कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने अशोक पराशर पप्पी को उमीदवार बनाया है। अकाली दल से रंजीत सिंह ढिल्लों मैदान में हैं। अकाली दल ने यहां लोकसभा चुनाव में 16 में से 7 बार जीत हासिल की है। पंजाब का औद्योगिक शहर किन धड़ों में बंटेगा या अपनी विरासत को सहेज कर राजनीति की परिभाषा को सशक्त करेगा यह 4 जून के परिणाम से स्पष्ट होगा।

श्री फतेगढ़ साहेब की सीट आरक्षित सीट है। 2009 में पुननिर्धारण के आधार पर अस्तित्व में आयी। इस सीट पर 3 चुनावों में 2 बार कांग्रेस, एक बार आम आदमी पार्टी विजयी हुयी है। कांग्रेस से डा अमर सिंह यहां प्रत्याशी हैं। दूसरी बार अपनी किस्मत आजमाएंगे। आम आदमी की ओर से कांग्रेस पार्टी छोड़ कर आए गुरप्रीत सिंह जी भाग्य आजमा रहे हैं। अकाली दल ने बिक्रमजीत सिंह खालसा को प्रत्याशी बनाया है। इनके पिता सरदार बसंत सिंह खालसा दो बार रोपड़ से सांसद रहे हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय है। सभी 9 विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने 2022 में जीत हासिल की थी। भाजपा के गजा राम चुनाव मैदान में हैं। हिन्दू वोट इस बार यहां जीत हार तय करेंगे।

श्री आनन्द पुर साहेब लोकसभा 2009 में पुननिर्धारण के तहत अस्तित्व में आई है। अभी तक 3 लोक सभा चुनाव यहां हुए हैं जिनमें 2 बार कांग्रेस एक बार शिरोमणि अकाली दल ने जीत हासिल की। यह इलाका गढ़ शांकर ,नवां शहर, बंगा चमकौर साहेब, बलाचौर आनंदपुर साहेब, रूपनगर, खरड़ मोहाली का है जहां पंथक भावनाएं भी गहरी है और बागी तेवर भी। हिन्दू वोट यहां प्रभावी नहीं है। यहां कांग्रेस के रवनीत बिटू 2009 और मनीष तिवारी 2019 में पुलवामा लहर के बावजूद जीते।

2014 में अकाली दल के बड़े नेता डॉ प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने जीत हासिल की थी। इस बार विजय इन्दर सिंगला यहां कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। आम आदमी पार्टी ने मालविंदर सिंह कंग को प्रत्याशी बनाया है। कंग पहले भाजपा के लिये भी काम कर चुके हैं। अकाली दल से डा प्रेम सिंह चंदूमाजरा फिर से अपना भाग्य 5 साल बाद आजमा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी से यहां जसवीर सिंह गढ़ी मैदान में उतरे हैं। भाजपा के सुभाष शर्मा यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।

पंजाब में अबकी बार अकाली दल की स्थिति कमजोर है। पंजाब हालांकि कभी धार्मिक ध्रुवीकरण में नहीं फंसा लेकिन भाजपा प्रदेश में हिन्दू वोट को साधने में लगी है। पंजाब में सभी धर्मों का सम्मान, समुदायों का सौहार्द और सामाजिक सहयोग को सबसे अहम माना जाता है। राजनीतिक जमीन पर आम आदमी पार्टी अपने वर्चस्व को बनाये रखने की भरपूर कोशिश कर रही है। 2022 में कांग्रेस को ख़ारिज कर आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने वाले पंजाब के मतदाता ने राज्यसभा में चुने गए प्रतिनिधियों को संसद में ज्यादातर चुप ही देखा है। पंजाब के गंभीर मसलों का हल जैसे नशा, कृषि, पलायन, रोजगार, उद्योग उन्नति और आर्थिक सवालों को कौन कितनी मजबूती से हल कर पायेगा यह अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

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