लखनऊः बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सोमवार को अपने जन्मदिन के मौके पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। उन्होंने दावा किया कि गठबंधन से बसपा को फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का मोर्चा बनाने की इंडिया गठबंधन की कवायद खटाई में पड़ती नजर आ रही है। मायावती के इस फैसले पर जनता का क्या सोचना है, इसे लेकर एबीपी-सी वोटर की ओर से एक सर्वे किया गया है। इसमें जनता ने अपनी राय खुलकर जाहिर की है।
अकेले क्यों लड़ेंगी मायावती
सर्वे में पहला सवाल था कि मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला क्यों किया? ज्यादातर लोगों ने इसका जवाब बताया है कि उन्होंने अपना वोटबैंक बचाने के लिए यह फैसला लिया है। तकरीबन 32 फीसदी लोगों ने इसे ही मायावती के इंडिया गठबंधन से अलग-थलग रहने का बड़ा कारण बताया है।थ 22 फीसदी लोगों ने बताया कि मायावती को अखिलेश यादव का साथ पसंद नहीं है। 17 फीसदी लोगों ने कहा है कि मायावती ने पिछले चुनावों से सबक लेते हुए यह फैसला लिया है। 16 फीसदी लोगों का कहना है कि मायावती को इंडिया गठबंधन ने उतना महत्व नहीं दिया, जितना दिया जाना चाहिए था। 13 प्रतिशत लोगों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
छोटे दलों से गठबंधन से मिलेगा फायदा?
ओवैसी के एआईएमआईएम और प्रदेश के बाकी छोटे दलों के साथ गठबंधन कर नया मोर्चा बनाने से बीएसपी को फायदा होगा? 50 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर ‘नहीं’ का विकल्प चुना है। यानी कि लोगों का मानना है कि छोटे-छोटे दलों को संगठित कर तीसरा मोर्चा बनाना बीएसपी के लिए फायदे का सौदा नहीं है। हालांकि, 32 फीसदी लोगों को लगता है कि यह बीएसपी के लिए फायदेमंद हो सकता है। 18 फीसदी लोगों ने पता नहीं का विकल्प चुना है।
मायावती की पीएम उम्मीदवारी से फायदा?
इंडिया गठबंधन अगर मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाती तो क्या मोर्चे को इसका फायदा मिलता? तकरीबन 42 फीसदी लोगों ने कहा है कि इससे इंडिया गठबंधन को कोई फायदा नहीं होता। 36 फीसदी लोगों को लगता है कि यह इंडिया मोर्चे के लिए काफी फायदे का सौदा हो सकता था। वहीं 22 फीसदी लोगों ने इस पर अपनी राय रखने से परहेज किया।
अकेले चुनाव लड़ने से होगा नुकसान
मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से किस पार्टी को नुकसान होगा? इस सवाल के के जवाब में 25 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे बीजेपी नीत एनडीए को ज्यादा नुकसान होगा। तकरीबन 29 फीसदी लोगों ने ‘INDIA’ अलायंस को, 22 फीसदी लोगों ने किसी को नहीं और 14 फीसदी लोगों ने दोनों को नुकसान होने की बात कही है। 10 फीसदी लोगों ने इस पर राय व्यक्त करने में असमर्थता जताई है।