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नैतिकता के आधार पर डीपी जारोली शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा क्यों नहीं देते?

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एस पी मित्तल, अजमेर

अब जब यह साबित हो गया है कि राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) का प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले ही बिक गया, तब डीपी जारोली राजस्थान शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे हैं? हालांकि जारोली जैसे शातिर राजनेता ने नैतिकता की उम्मीद करना बेमानी है, लेकिन रीट परीक्षा के बाद 4 अक्टूबर 2021 को खुद जारोली ने कहा था कि यदि परीक्षा की गोपनीयता भंग होने का आरोप सिद्ध हो जाए तो वे अध्यक्ष पद से ही नहीं बल्कि जिंदगी की कमाई भी छोड़ देंगे। जारोली में थोड़ी सी भी ईमानदारी हो तो 4 अक्टूबर के कथन के आधार पर बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। रीट पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही जांच एजेंसी एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने साफ कहा है कि 25 सितंबर की रात को शिक्षा बोर्ड के जयपुर स्थित शिक्षा संकुल के दफ्तर से ही प्रश्न पत्र आउट हुआ। सब जानते हैं कि बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने अपने शिक्षा सहयोगी प्रदीप पाराशर को जयपुर जिले का प्रभारी बनाया था। रीट के प्रश्न पत्र परीक्षा केंद्रों तक भिजवाने की जिम्मेदारी पाराशर के पास ही थी। जारोली ने नियमों के विरुद्ध पाराशर को जयपुर का प्रभारी बनाया। जानकारों का मानना है कि जारोली अभी इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि तीन मार्च से शुरू होने वाली 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र छप रहे हैं। प्रश्न पत्र की छपाई पर करीब पांच करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। गोपनीयता की आड़ में प्रिंटिंग प्रेस मालिक को कई गुना अधिक का भुगतान किया जाता है।

26 सितंबर को हुई रीट परीक्षा के प्रश्न पत्रों की छपाई के लिए 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। रीट के प्रश्न पत्रों की छपाई के लिए जारोली ने कोलकाता की ऐसी प्रिंटिंग प्रेस का चयन किया, जिस पर पहले कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। जारोली ही बता सकते हैं कि दागी प्रिंटिंग प्रेस को ही रीट परीक्षा का काम क्यों दिया गया? जारोली माने या नहीं लेकिन रीट परीक्षा की वजह से अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार मुसीबत में है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेता लगातार सीएम गहलोत पर हमला कर रहे हैं। सरकार बचाव की मुद्रा में है। हो सकता है कि सरकार खुद भी जारोली से इस्तीफा मांग ले। 

 मई वाली परीक्षा का काम छीना जाए:

सरकार ने रीट की अगली परीक्षा की भी घोषणा कर दी है। 20 हजार शिक्षक पदों के लिए आगामी 25 व 26 मई को रीट की परीक्षा होनी है। अभी तक इस परीक्षा की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पास ही है। सवाल उठता है कि अगली परीक्षा की जिम्मेदारी शिक्षा को दी जा सकती है? वो भी तब जब डीपी जारोली ही बोर्ड के  अध्यक्ष  हों। जब 26 सितंबर की परीक्षा में शिक्षा बोर्ड की लापरवाही और बेईमानी सामने आ गई है, तब मई की परीक्षा की जिम्मेदारी  उसी शिक्षा बोर्ड को देना कितना उचित है? सरकार को चाहिए कि रीट परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से लेकर किसी अन्य संस्थान को दी जाए।

गहलोत का बयान:

राजस्थान में रीट परीक्षा का घोटाला उजागर नहीं होता तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रेलवे भर्ती बोर्ड की एनटीपीसी की परीक्षा में हुई विसंगतियों को लेकर बयान जारी कर देते। गहलोत देश की हर छोटी बड़ी घटनाओं पर सोशल मीडिया पर तत्काल अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। एनटीपीसी की परीक्षा में हुई विसंगतियों को लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश में बेरोजगार युवक प्रदर्शन कर रहे हैं। 28 जनवरी को भारत बंद का आह्वान भी किया गया। बिहार में तो प्रदर्शनकारी युवा टे्रन के डिब्बों को जला रहे हैं तथा रेल मार्ग अवरुद्ध कर रहे हैं। लेकिन इतने बड़े बवाल पर सीएम गहलोत ने अभी तक भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसकी यही वजह है कि राजस्थान में रीट परीक्षा का घोटाला उजागर हो गया है।

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