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 कर्नाटक सरकार जैन आचार्य की हत्या की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवाती?

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एस पी मित्तल, अजमेर 

कर्नाटक में दिगंबर जैन आचार्य काम कुमार नंदी महाराज की हत्या के विरोध में 20 जुलाई को राजस्थान भर के व्यापारिक प्रतिष्ठान आधे दिन बंद रहे। कई शहरों में बंद पूरे दिन का रखा गया। श्वेतांबर जैन समाज और उनके संतों ने भी हत्या का विरोध जताया। 20 जुलाई को अजमेर में भ जुलूस निकाला और नया बाजार पर एक सभा भ हुई। इस सभा को जैन आचार्य विवेक सागर, मुनि वैराग्य सागर, अर्पित सागर, मुनि संकल्प सागर, सद्भाव सागर, मुनि सौम्य दर्शन, हरीश मुनि आदि ने संबोधित किया। सभी जैन संतों का कहना रहा कि हम तो अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं और हमारे ही संत की निर्मम   हत्या की गई है। समाज को उसका प्रतिकार करना चाहिए। जैन संतों और समाज के प्रतिनिधियों ने सवाल उठाया कि कर्नाटक की सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवा रही है। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार को कोई डर नहीं है तो फिर मामले की जांच सीबीआई से करवानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पहले तो साधु संतों को सुरक्षा देने में विफल रही और अब मामले की जांच सही तरीके से भी नहीं की जा रही है। राज्य सरकार को कर्नाटक में ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें साधु संत ही नहीं आम व्यक्ति भी अपने आप को सुरक्षित समझे। देश भर में जैन समुदाय का रोष बताता है कि कर्नाटक की घटना से देशभर में गुस्सा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 6 जुलाई को कर्नाटक के बेलगाम जिले के चिक्कोडी तालुका के हीरेकोडी गांव स्थित नंदी परबत आश्रम में जैन संत कामकुमार नंदी की निर्मम हत्या की गई। आरोप है कि नारायण माली और उसके साथी हसन दलायत ने पहले जैन संत के बिजली का करंट लगाया और फिर तौलिये से गला घोंट दिया। मृत्यु के बाद शव के टुकड़े टुकड़े किए गए। बाद में इन टुकड़ों को एक बोरे में भर कर बाइक पर 35 किलोमीटर दूर ले जाया गया। यहां शव के टुकड़ों को एक बोरवेल में डालने का प्रयास किया ताकि हत्या के सबूत मिटाए जा सके। इस निर्मम हत्या को लेकर जैन समाज ही नहीं सर्वसमाज में नाराजगी है। यही वजह रही कि 20 जुलाई को जब व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्णय जैन समाज द्वारा लिया गया तो प्रदेश भर में अन्य समाजों ने भी एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।

कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:

अजमेर जिले के विभिन्न व्यापारिक संगठनों के समूह उद्योग व्यापार संगठन, विद्युत उपभोक्ता संघर्ष समिति के बैनर तले 20 जुलाई को कलेक्ट्रेट पर विशाल प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि फ्यूल चार्ज और स्पेशल फ्यूल चार्ज के नाम पर बिजली के बिलों में डेढ़ गुना वृद्धि हो गई है, जिसे तुरंत प्रभाव से रोका जाए। फ्यूल चार्ज से लघु उद्योगों के सामने तो आर्थिक संकट खड़ा हो ही गया है, साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं के सामने भी बिल जमा कराने की समस्या हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सौ यूनिट बिजली फ्री देने का जो वादा किया उस पर फ्यूल चार्ज ने पानी फेर दिया है। कई उद्योग तो बंद पड़े हैं, लेकिन फिर भी फ्यूल चार्ज की हजारों रुपए की राशि जमा करानी पड़ रही है। गंभीर बात तो यह है कि यह फ्यूल चार्ज पिछले दस माह का वसूला जा रहा है। व्यापारिक संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि फ्यूल चार्ज पर रोक नहीं लगाई गई तो सरकार के खिलाफ जन आंदोलन किया जाएगा। संघर्ष समिति के प्रतिनिधि   गिरिराज अग्रवाल  ने बताया कि फ्यूल चार्ज के विरोध में सभी को साथ लेकर जन आंदोलन शुरू करने का काम किया जा रहा है। इस आंदोलन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413345456 पर गिरिराज अग्रवाल से ली जा सकती है। 

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