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राजस्थान में इस बार रिवाज बदलेगा या कायम रहेगा?

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राजस्थान में बम्पर वोटिंग के संकेत मिल रहे हैं। राज्य में शाम पांच बजे तक 68.24 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर लिया था। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार 2018 से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। बढ़े हुए मतदान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बीते पांच चुनावों का ट्रेंड देखें तो भाजपा इन्हें अपने पक्ष में बता रही है। वहीं, रिवाज बदलने की बात कर रही कांग्रेस इस मिथ को भी तोड़ने की उम्मीद जता रही है। हालांकि, तस्वीर 3 दिसंबर को स्पष्ट होगी, जब चुनाव नतीजे आएंगे। आइए जानते हैं कि बीते 25 साल में कैसे अलग-अलग चुनाव में मतदान बढ़ा और घटा और कब किसकी सत्ता आई। 

2013 के मुकाबले 2018 में घटा मतदान, सत्ता में कांग्रेस की वापसी
राजस्थान विधानसभा के लिए 7 दिसंबर 2018 को मतदान हुआ। परिणाम 11 दिसंबर 2018 को आए। अलवर की रामगढ़ सीट छोड़कर बाकी 199 सीटों पर मतदान हुआ। रामगढ़ सीट पर बसपा के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के कारण चुनाव स्थगित हो गया था। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देते हुए 99 सीटें जीतीं। वहीं भाजपा को 73, मायावती की पार्टी बसपा को छह तो अन्य को 20 सीटें मिलीं। 

पिछली बार के मत प्रतिशत के आंकड़े देखें तो राज्य में 74.06% लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से पुरुषों की मतदान में भागीदारी 73.49% और महिलाओं की 74.67% थी। पार्टीवार आंकड़े देखें तो 2018 में राज्य में सत्ता में लौटने वाली पार्टी कांग्रेस को 39.30% लोगों ने वोट दिए थे। वहीं भाजपा के लिए राज्य के 38.77% लोगों ने मतदान किया था। 2013 के मुकाबले वोट प्रतिशत में 0.8 फीसदी की कमी आई। राज्य में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। 

पिछली चुनाव में जिलेवार मतदान के आंकड़े देखें तो जैसलमेर सबसे आगे था। जैसलमेर में 85.28% लोगों ने वोट किया था। इसके बाद हनुमानगढ़ में 83.32% और बांसवाड़ा में 83.01% वोटिंग दर्ज की गई थी। वहीं, सबसे कम मतदान वाले जिले देखें तो पाली में महज 65.35% वोटिंग हुई थी। इसके बाद सवाई माधोपुर में 68.05% और सिरोही में 68.74% मतदान हुआ था। 

2013 में कैसा था मतदान का ट्रेंड?
13 दिसंबर 2013 को राजस्थान में विधानसभा चुनाव कराया गया था। हालांकि, चूरू विधानसभा क्षेत्र में बसपा उम्मीदवार जगदीश मेघवाल के निधन के बाद वहां चुनाव स्थगित कर दिया गया था। इस चुनाव में प्रदेशभर में 75.04% लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। 2008 में हुए मतदान के मुकाबले वोट प्रतिशत में 8.79 फीसदी का इजाफा हुआ। इनमें से पुरुषों का मतदान में योगदान 75.44% और महिलाओं का 74.67% था। जब चुनाव के नतीजे आए तो अकेले 163 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। इस तरह से पूरे राज्य में पार्टी के लिए मतदान 45.17% हुआ था। 

दूसरी ओर, विपक्षी कांग्रेस को महज 21 सीटें ही मिल सकी थीं। देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए यहां 33.07% लोगों ने वोट किए थे। इसके बाद 3.37% वोट शेयर के साथ मायावती की पार्टी बसपा ने तीन सीटें जीती थीं। बाकी 10 सीटों पर निर्दलीय और अन्य उम्मीदवार विजयी हुए थे।

2008 में मतदान के बाद क्या नतीजे रहे?
4 दिसंबर 2008 को राजस्थान में विधानसभा चुनाव कराया गया था। परिणाम 8 दिसंबर 2008 को घोषित हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करते हुए 96 सीटें जीती थीं। वहीं, भाजपा को 78, मायावती की पार्टी बसपा को छह तो अन्य को 20 सीटें मिलीं। 

इस चुनाव में मत प्रतिशत के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में 66.25% लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।  2003 के मुकाबले 2008 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 0.93 प्रतिशत कम रहा। 2008 में पुरुषों की मतदान में भागीदारी 67.10% और महिलाओं की 65.31% थी। पार्टीवार आंकड़े देखें तो कांग्रेस के पक्ष में 36.82% लोगों ने वोट दिए थे। वहीं, भाजपा के लिए 34.27% लोगों ने मतदान किया था।

2003 में 3.79 फीसदी बढ़ा वोट प्रतिशत, सत्ता में आई भाजपा
1998 में 63.39% फीसदी मतदान हुआ था। पांच साल बाद 2003 में मतदान प्रतिशत में  67.18% मतदान हुआ। मतदान प्रतिशत में 3.79 फीसदी का इजाफा हुआ। राज्य में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा की सीटों की संख्या 33 से बढ़कर 120 हो गई। वहीं, कांग्रेस की सीटें  153 से घटकर 56 रह गईं।  2003 में भाजपा को 39.85 फीसदी और कांग्रेस को 35.65 प्रतिशत वोट मिले। पांच साल तक सस्ता में रही कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 5.1% की कमी हुई। वहीं, भाजपा के वोट शेयर में 5.97 फीसदी का इजाफा हुआ। 

किस चुनाव में हुआ था सबसे ज्यादा मतदान?
राजस्थान में अब तक हुए चुनाव में सबसे अधिक मतदान 1967 में हुआ था। इस चुनाव में राज्य के 87.93 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। 1967 के चुनाव नतीजों की बात करें तो उस चुनाव में  कांग्रेस को सबसे ज्यादा 89 सीटें मिलीं थीं। भारतीय जनसंघ को 22 सीटों पर सफलता मिली। स्वतंत्र पार्टी 48 सीटें जीतने में सफल रही थी। राजस्थान के चुनाव इतिहास में सबसे कम मतदान 1951 में हुआ था। उस चुनाव में राज्य के 35.19 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला था। तब कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 82 सीटें जीती थीं। 35 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को सफलता मिली थी।

एमपी में ऐसे रहे हैं मतदान के आंकड़े
मध्य प्रदेश में पिछले पांच विधानसभा चुनावों में हर बार वोटिंग बढ़ी है। 2003 में राज्य में 67.25% मतदान दर्ज किया गया था। 2008 में यह आंकड़ा बढ़कर 69.28% पहुंच गया। 2013 में वोटिंग और बढ़ी और इस बार 72.07% लोगों ने मतदान किया। पिछले चुनाव में फिर अच्छी खासी संख्या में लोग मतदान के लिए घर से बाहर निकले और राज्य में 74.97% मतदान हुआ। वहीं इस बार राज्य में 77.15% वोटिंग दर्ज की गई है।

मतदान के हिसाब से नतीजे देखें तो 2018 को छोड़ दें तो, परिणाम भाजपा के पक्ष में ही रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा को 109 जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं।

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