उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के खत्म हो जाने के साथ ही अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी की स्थिति पहले से और मजबूत हुई है। चार राज्यों में सत्ता बरकरार रखने के साथ ही राज्यसभा में भी बीजेपी की स्थिति बेहतर हुई है।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है ऐेसे में बीजेपी को यहां मिली जीत का असर राज्यसभा चुनाव और जुलाई में संभावित राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ना तय है। यूपी के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्लस गठबंधन को 273 सीटें मिली हैं, ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उसे विजय हासिल करने में कोई बहुत ज्यादा कठिनाई नहीं होने वाली है।
अब सवाल ये हैं कि राष्ट्रपति पद के लिए अगला उम्मीदवार कौन? एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वैसे तो उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। अगले राष्ट्रपति के बारे में फैसला बीजेपी नेतृत्व को लेना है। अब देखना है कि क्या बीजेपी नेतृत्व मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दूसरे कार्यकाल की पेशकश करती है या नहीं।
आपको बता दें कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद इकलौते ऐसे शख्स थे जिनको दो बार कार्यकाल मिला था। मतलब वो 10 साल तक भारत के राष्ट्रपति रहे। आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा की बीजेपी अगले राष्ट्रपति के रूप में कोई नए नाम का ऐलान करती है या फिर मौजूदा राष्ट्रपति के नाम के साथ ही चुनाव में उतरती है।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव?
अब बात कर लेते हैं भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे किया जाता है। भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि लोकसभा और राज्यसभा के 776 सांसदों और राज्यों के कुल 4120 विधायकों से मिलकर। इलेक्टोरल कॉलेज की कुल ताकत 10,98,903 वोट है। वहीं, बीजेपी की क्षमता 50 फीसदी से ज्यादा है। जिसता मतलब हुआ है कि चुनाव में बीजेपी भारी रहने वाली है। चुनाव में हर सांसद के वोट की ताकत 708 होती है। विधायकों के ताकतों की बात करें तो यह राज्यों के हिसाब से तय होती है। अब चूकी यूपी में एक बार फिर बीजेपी आ गई है तो उसे इसका लाभ मिलेगा।