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बिना प्रशासन की मंजूरी के ही ओरेवा कंपनी ने ब्रिज को आनन-फानन में खोल दिया

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पुल रिपेयरिंग करने वाली कंपनी के 9 लोग अरेस्ट

मोरबी केबल ब्रिज हादसे के बाद ओरेवा नाम की कंपनी की लापरवाही की चर्चा हो रही है। आरोप है कि कंपनी ने बिना प्रशासन की मंजूरी के ही इस ब्रिज को आनन-फानन में खोल दिया। कंपनी ने 26 अक्तूबर को नए साल पर फीता काटा और इस ब्रिज पर सैर-सपाटे के लिए टिकट बेचनी शुरू कर दी। कंपनी के लालच पर सवाल खड़े हो रहे हैं। तो वहीं सोशल मीडिया में एक फोटो सामने आई है। इसमें ओरेवा कंपनी के ट्रस्ट से जुड़े लोग ब्रिज का उद्घाटन करते दिख रहे हैं। इसमें वे ब्रिज को खोलने का फीता काट रहे हैं। ब्रिज के खुलने के बाद हादसा हुआ और इसमें 143 लोगों की मौत हो चुकी है

गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मृतकों की संख्या सोमवार सुबह 134 पहुंच गई। इनमें 45 की उम्र 18 साल से कम है। बच्चे हैं। मृतकों में महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ, जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा केबल सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। 143 साल पुराना पुल ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था।

यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत की गई थी। हादसे से 5 दिन पहले 25 अक्टूबर को यह ब्रिज आम लोगों के लिए खोला गया। रविवार को यहां भीड़ क्षमता से ज्यादा हो गई। हादसे की भी यही वजह बताई जा रही है। हादसे का 30 सेकंड का वीडियो भी सामने आया है। इसमें 15 सेकेंड के बाद पुल टूट गया और लोग मच्छू नदी में समा गए।

मोरबी हादसे के बड़े अपडेट्स…

कंपनी पर मनमानी का आरोप
हादसे के बाद जिला प्रशासन और पालिका प्रशासन से जो आधिकारिक बयान सामने आए हैं उसके हिसाब से ओरेवा कंपनी की लापरवाही साफ दिख रही है। कंपनी ने पालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया और इसे जल्दबाजी में शुरू कर दिया। जयसुख भाई ओरेवा कंपनी के सर्वेसर्वा हैं। जानकारी के अनुसार उन्होंने जिंदल ग्रुप की मदद से इस पुल को कुछ रेनोवेट किया और इसका नाम ओरेवा झूलतो पुल रखा। रेनवोवेशन के लिए उन्होंने जिंदल ग्रुप को आठ करोड़ रुपये दिए। प्रारंभिक जांच में कहा जा रहा है कि अगर ओरेवा ट्रस्ट ने अगर नियमों का पालन किया होता तो यह हादसा टाला जा सकता था। कंपनी के लालच और जल्दबाजी भरे रवैए ने 143 लोगों की जान ले ली। मार्च 2022 में ओरेवा कंपनी को मैनेजमेंट का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। कंपनी के इसके तरह अगले 15 साल इसका रखरखाव करना था।

हादसे पर राजनीति भी शुरू
कांग्रेस नेताओं की तरफ से मोरबी केबल ब्रिज हादसे पर सवाल उठाए जाने के बाद अब आम आदमी पार्टी (आप) ने भी हमला बोला है। पार्टी के गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने ट्वीट करने पूछा है कि इसॉसे भयानक क्या हो सकता है? जब मोरबी जिले के डीएम ने खुद इस पुल को प्राइवेट कंपनी को देने का इनकार कर दिया तो गांधीनगर से कोई बड़े नेता का फोन आया और फिर निगम ने पुल प्राइवेट कंपनी को सौंप दिया। कौन है वो बड़ा नेता? उसका कंपनी से क्या सम्बन्ध है? डीएम के आदेश को अनदेखा क्यों किया? इटालिया ने यह ट्वीट इस खुलासे के बाद किया है, जिसमें कहा गया है कि डीएम ने प्राइवेट कंपनी को यह पुल देने से इनकार कर दिया था, बाद में गांधीनगर से फोन आया और फिर यह पुल डीएम को प्राइवेट कंपनी को देना पड़ा। कांग्रेस ने ब्रिज को देने में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।

कंपनी के खिलाफ केस दर्ज
मोरबी हादसे को लेकर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसमें आईपीसी की 304, 308, 114 लगाई गई हैं। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी। मोरबी के दर्दनाक हादसे की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया है। इस पांच सदस्यीय दल में आर एंड बी के सचिव संदीप वसावा, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, चीफ इंजीनियर के एम पटेल के साथ डॉ. गोपाल टांक को रखा गया है। यह विशेष जांच टीम हादसे के कारणों का पता लगाएगी। मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरा बड़ा हादसा है। 11 अगस्त को 1979 में मच्छू नदी का डैम टूटने पर 1,800-25,000 लोगों की मौत हुई थी।

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