पूर्वांचल की एकमात्र साहित्यिक-वैचारिक पत्रिका ‘आपका तिस्ता हिमालय’ की ओर से प्रत्येक वर्ष दिये जाने वाले पुरस्कार-सम्मानों के क्रम में वर्ष 2023 के लिए प्रबुद्ध साहित्यकारों, जनसेवकों को 14 अप्रैल 2024 को माउंटेन होटल सिलिगुड़ी में सम्मानित किया जायेगा।
1. ‘अमरावती साहित्य सृजन पुरस्कार’ वरेण्यः जय चक्रवती, रायबरेली, उत्तर प्रदेश।
समकालीन नवगीत, हिन्दी ग़ज़ल, मुक्तक एवं दोहा छंद के अभिनव साधक जय चक्रवर्ती का जन्म 15 नवंबर 1958 को उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुआ था। अब तक इनके दो दोहा संग्रह ‘संदर्भों की आग’, और ‘जिन्दा हैं आखें अभी’, दो नवगीत संग्रह ‘थोड़ा लिखना समझना ज्यादा’, ‘जिन्दा हैं अभी संभावनाएं’, एक मुक्तक संग्रह ‘हमारे शब्द बोलेंगे’ तथा एक ग़ज़ल संग्रह ‘आखिर कब तक चुप रहूं’ प्रकाशित हो चुके हैं।
2. ‘आपका तिस्ता-हिमालय सृजन सम्मान’ वरेण्यः शैलेन्द्र चौहान, जयपुर, राजस्थान।
प्रतिरोधी जनधर्मी सृजन के सशक्त हस्ताक्षर शैलेन्द्र चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में 8 फरवरी 1954 में हुआ था। चौहान जी जनवादी, प्रगतिशील साहित्यकार, संवेदनशील कवि, कहानीकार, प्रखर समीक्षक के तौर पर हिन्दी साहित्य-जगत में विख्यात हैं। इनकी सभी रचनाओं में जन-सरोकारों का प्रतिरोधी स्वर प्रबलता के साथ मुखर है। इनके पाँच कविता संग्रह,दो कहानी संग्रह, एक कथा रिपोर्ताज, एक आलोचना पुस्तक और एक पुस्तक भारतीय स्व धीनता संग्राम पर प्रकाशित हुई है।
3. ‘अमरावती-रघुवीर सामाजिक-सांस्कृतिक उन्नयन सम्मान’
वरेण्यः तारावती अग्रवाल, सिलीगुड़ी।
अग्रणी सामाजिक-सांस्कृतिक व्यक्तित्व की धनी तारावती अग्रवाल उदात्त भावनाओं की कवयित्री हैं, इनका समग्र जीवन समाज-संस्कृति के उत्थान में लग रहा है। सामाजिक-सांस्कृतिक सेवा के प्रति इनके कार्यों का फलक काफी विस्तृत है। ये व्यवहार में भी सदाशयी सहज-सरल, मधुर एवं स्नेहशील हैं। ये सदैव प्रचार से दूर रहते हुए एकांत में अपने सृजन सरोकारों के विस्तार में लगी रहती हैं और साथ ही अपने व्यवसाय को भी आगे बढ़ा रही हैं। इनका व्यक्तित्व किसी संकुचित सीमा में नहीं समेटा जा सकता है। समाज के लिए ये एक उज्ज्वल दृष्टांत हैं।
4. ‘उत्तर बंग हिन्दी ग्रंथागार सम्मान’ वरेण्यः रामकिशोर मेहता, अहमदाबाद,गुजरात।
वरिष्ठ साहित्यकार, सामाजिक चेतना के कुशल शिल्पी रामकिशोर मेहता का जन्म 20 सितम्बर 1947 को उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुआ था। इन्होंने कई विधाओं, कविता, उपन्यास, एकांकी समीक्षा, व्यंग्य, निबंध आदि में अपनी कलम चलायी है। अब तक इनकी एक दर्जन से अधिक पुस्तकें विभिन्न विषयों पर प्रकाशित हो चुकी हैं। हिन्दी-जगत इनकी रचनात्मकता व व्यक्तित्व से बखूबी परिचित है। ये कुशल अनुवादक भी हैं। इनकी रचनाएं प्रतिवाद हैं, संवाद हैं, संघर्षधर्मी एवं खरी-खटी हैं।
5. वरेण्यः डा. बिजय कुमार झा, गंगटोक, सिक्किम।
प्रतिभावान बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डा. विजय कुमार झा खासकर अपनी ईमानदारी, निष्ठा एवं कर्तव्यपरायणता के कारण भारत सरकार के एक वरिष्ठ लेखा व परीक्षक अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। श्री झा मृदु भाषी व्यक्तित्व वाले अन्तर्मुखी एक बड़ी शख्सियत हैं। आप भारतीय लेखा परीक्षक विभाग में प्रथम श्रेणी के एकाण्ट जनरल (आडिट) अधिकारी के रूप में सिक्किम के गंगटोक में कार्यरत हैं। भारतीय लेखा परीक्षक विभाग के इतर एवं अंतर्गत बहुत सारे महत्वपूर्ण शैक्षणिक व प्रशासिनक पदों पर कार्य करने का कीर्तिमान आपने स्थापित किया है। श्री झा लेखन से भी सघन रूप से जुड़े हुए हैं और अब तक इनकी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।