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4.75 करोड़ में खत्म हुआ युजवेंद्र चहल-धनश्री का रिश्ता

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नई दिल्ली: क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का रिश्ता अब खत्म हो चुका है. बांद्रा फैमिली कोर्ट ने दोनों के तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए ‘कूलिंग-ऑफ’ पीरियड माफ करने की अनुमति दी थी. तलाक के सेटलमेंट के तहत धनश्री वर्मा को चहल से 4.75 करोड़ रुपये की एलिमनी (गुजारा भत्ता) मिली है. यह राशि दोनों की आपसी सहमति से तय हुई थी. कोर्ट ने इस समझौते को मंजूरी दी और सुनिश्चित किया कि दोनों पक्षों को कोई समस्या न हो.

एलिमनी कैसे तय होती है?

भारतीय कानून में एलिमनी तय करने का कोई फॉर्मूला नहीं है. अदालतें मामले के आधार पर गुजारा-भत्ते की रकम तय करती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल एक मामले में साफ किया था कि एलिमनी सिर्फ एक पार्टनर को दंडित करने के लिए नहीं होती, बल्कि इसका उद्देश्य आश्रित साथी की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है. उसी फैसले में कोर्ट ने मुख्‍य रूप से आठ फैक्टर्स तय किए थे.

  1. दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति
  2. उनकी कमाई की क्षमता
  3. शादी के दौरान किए गए योगदान
  4. पत्नी और बच्चों की जरूरतें
  5. पति की वित्तीय स्थिति और देनदारियां
  6. पत्नी की शादी के दौरान की गई जीवनशैली
  7. क्या किसी पक्ष ने अपने करियर से समझौता किया था?
  8. क्या पत्नी के पास खुद की आमदनी के स्रोत हैं?

क्या पुरुष भी एलिमनी मांग सकते हैं?

आमतौर पर यह माना जाता है कि एलिमनी केवल पत्नियों को मिलती है. हालांकि, लेकिन भारतीय कानून के अनुसार, पति भी एलिमनी का दावा कर सकते हैं. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पति एलिमनी मांग सकते हैं, अगर वह साबित कर दें कि वह पत्नी पर आर्थिक रूप से निर्भर थे. हालांकि, ऐसे मामलों में कोर्ट काफी सख्ती से जांच करती है और पति को यह साबित करना होता है कि वह किसी गंभीर कारण से काम नहीं कर पा रहे थे, जैसे बीमारी या विकलांगता.

हाई-प्रोफाइल तलाक और एलिमनी

ऋतिक रोशन-सुज़ैन खान: रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाक के सेटलमेंट में लगभग 400 करोड़ रुपये की मांग की गई थी.

सैफ अली खान-अमृता सिंह: सैफ को करोड़ों रुपये की एलिमनी देनी पड़ी थी.

करण मेहता-निशा रावल: कोर्ट ने 1.5 करोड़ रुपये का सेटलमेंट पास किया था.

बाकी देशों में एलिमनी कैसे तय होती है?

अमेरिका: कुछ राज्यों में एक तय फॉर्मूला है, जबकि कुछ राज्यों में जज अलग-अलग कारकों को ध्यान में रखते हैं.

यूके: कोर्ट का मुख्य मकसद यह होता है कि दोनों पार्टनर्स को तलाक के बाद भी उचित जीवन स्तर मिल सके.

जर्मनी और फ्रांस: यहां कुछ समय के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है.

चीन और जापान: यहां एलिमनी बहुत कम दी जाती है और आमतौर पर एकमुश्त राशि के रूप में होती है.

मध्य पूर्व: यहां इस्लामिक कानून के तहत एलिमनी केवल तलाक के बाद की ‘इद्दत’ अवधि तक सीमित होती है.

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