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 चुनाव परिणामों से पहले इंडिया गठबंधन की बैठक

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                                    –सुसंस्कृति परिहार 

चुनाव के अभी अंतिम सातवें चरण का मतदान, एक जून को होना शेष है लेकिन इंडिया गठबंधन ने इसी दिन बैठक आयोजित की है।लोग सवाल कर रहे हैं कि अभी चुनाव परिणाम आए नहीं, कहीं जुलाहों में लठ्ठम लट्ठा ना हो जाए। बात तो गंभीरता लिए हुए है किंतु यह बैठक बहुत ज़रूरी इसलिए भी है क्योंकि अब तक भाजपा का जो राजनैतिक चाल चरित्र सामने आया  है उसको गंभीरता से गठबंधन संभवतः लेने वाला है क्योंकि ये चुनावी ठग हैं ,बनी बनाई सरकार गिराने में माहिर हैं सांसदों की खरीद फरोख्त में ये अरबों रुपए खर्च कर सत्ता बचाने की जुगत में अभी से लगे गए हैं ऐसे गंदले राजनैतिक आचरण वालों से गठबंधन के माननीय सदस्यों को तो बचाना ही होगा।इनकी हां में हां जूं ,हां जूं करने वाले राज्यपाल की तरह अगर राष्ट्रपति हो जाते हैं तो कुछ तो करना ही होगा।

चुनाव आयोग की गतिविधियों पर सुको नज़र बनाए हुए हैं किन्तु यदि परिणामों में गंभीर रूप से कोई समस्या आती है तो जनमत और सुको को सचेत रखना होगा।आम मतदाता इन दिनों मोदी शाह सरकार के ख़िलाफ़ है महिलाओं का रुख भी बदला हुआ है।इसी तरह का परिदृश्य पिछले साल मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में था सभी पत्रकार , बुद्धि जीवी, राजनेता ,सामाजिक कार्यकर्ता भी भाजपा की विदाई  की बात कह रहे थे लेकिन जब परिणाम आए तो लोग सकते में आ गए। कांग्रेस अपने नेताओं में खामियां ढूंढने लगी। कई पदों पर तब्दीली हुई इन पर युवाओं को अवसर दिया गया  लेकिन जनता में जो चल रहा था उसकी ख़बर किसी ने नहीं ली।इस बार ऐसा नहीं हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। हालात देश भर में एक बार फिर भाजपा के ख़िलाफ़ ही हैं।

परिणाम आने से पहले दोनों एलाइंस अपने जीत के दावे कर रहे हैं एक को भरोसा है झूठ पर सत्य की जीत होगी। तो दूसरा अपने द्वारा नियुक्त स्वायत्त संस्था चुनाव आयोग से चार सौ पार की अपेक्षा कर रहा है। फिज़ा में तो सिर्फ एक आवाज़ गूंज रही है इंडिया जीतेगा। इस बार परिणामों से छेड़छाड की जाती है तो लगता है जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। इस बार इंडिया गठबंधन भी डटकर विरोध खड़ा करेगा। बैठक में संभवत इससे निपटने की अग्रिम तैयारी पर भी चर्चा हो सकती है।

ये भी संभावना बनती है कि जैसे ट्रम्प की पराजय के बाद उनके अंधभक्त राष्ट्रपति निवास में ट्रम्प पर भरोसा जताने घुस आए थे वैसा विश्वगुरु के भक्त प्रवर प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लें।इससे निपटने की तैयारी भी पहले से होनी चाहिए।यह भी हो सकता है सब संभावनाओं पर विराम लग जाए तब विश्वगुरु पस्त हो जाएंगे वे देश से भागने की कोशिश करेंगे। इसलिए उन पर सख्त नज़र रखनी होगी।

इस बार सत्ता में बदलाव सहजता से हो पाएगा ऐसी कल्पना करना ग़लत है। लोकतंत्र को ग़लत मोड़ पर विश्वगुरु ने लाके खड़ा कर दिया है। संविधान की धज्जियां उड़ रही है। तब जनता पर ही भरोसा रखना होगा क्योंकि यह भी सच है कि जनता जब बगावत पर उतरती है तो आसमां को भी रुला देती है यह चिंगारी बशर्ते उसकी कमान सच्चे देशभक्त के हाथ में हो।

कुछ लोग इस बात से भी इंकार नहीं करते कि यदि जुगत भिड़ा कर भाजपा सरकार बनती भी है तो विश्वगुरु की छुट्टी पक्की है। तब भी तीन तेरह होगा तथा तब सरकार टूटने के आसार बनेंगे। वजह ये है कि पिछले दस साल में एक अकेले ने किसी को पनपने नहीं दिया। अमित शाह लाईन में आगे है पर उन्हें समर्थन शायद ही मिले।यदि संघ ने टंगड़ी मारी तो किसी विशुद्ध युवा संघी नगपुरिया को यह अवसर मिल  सकता है पर अमित शाह गुट यह नहीं होने देगा।जबकि इंडिया गठबंधन ने अपना नेता पहले से ही मल्लिकार्जुन खड़गे को चुन रखा है।वे दलित समाज से आते हैं।यदि वे बन जाते हैं तो पहले दलित प्रधानमंत्री होंगे।जो गौरव की बात होगी।

यह बैठक इन संभावनाओं के साथ ही भाजपा से भाग कर आने वालों पर गठबंधन क्या नीति अपनाएगा वह भी सब तय करेंगे। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि मोदी-शाह के जंजाल से मुक्ति की तलाश वाले नेता पलटी कुमार की तरह पलटी फिर मार सकते हैं।

बहुत कठिन है डगर पनघट की। इसलिए विश्व गुरु ने विवेकानन्द राक कन्याकुमारी पर 45घंटे का ध्यान शुरू कर दिया है जो एक जून तक चलेगा। वाराणसी की श्रद्धालु जनता के साथ एक बार फिर  फुल मज़ाक।

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