अग्नि आलोक

 ज़रुरी है ढोंगी, धंधे बाज बाबाओं पर सख्त कार्रवाई 

Share

सुसंस्कृति परिहार

हमारे देश में आध्यात्मिकता के नाम पर बाबावाद जिस तरह से फल-फूल रहा है तथा अंधभक्तों की संख्या में जिस तरह लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है वह चिंताजनक है इसका फायदा राजनीति में भरपूर लिया जा रहा है ।कहा तो यहां तक जा रहा है इन्हें भरपूर मदद भी राजनैतिक लोगों के ज़रिए प्राप्त होती है। योग के ज़रिए लोगों को लूटने वाला बाबा रामदेव आज विश्व के प्रमुख उद्योगपतियों की सूची में है।जबकि राम-रहीम , आसाराम बापू जैसे बाबाओं ने  भगवान के नाम पर ना केवल जिस्म फरोशी की बल्कि बड़े मठाधीश बनकर सत्ता को अपना गुलाम बना लिया है।आज़ वे जेल में हैं इसके बावजूद बेशर्मी के साथ ये कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। चमत्कारी बागेश्वर बाबा भी अब रामदेव की तरह अन्तर्राष्ट्रीय बाबा बनता जा रहा है उसको भी सरकारी पोषण बराबर मिल रहा है। बहुत से इस तरह के बाबा सभी मर्जों और सामाजिक  परेशानियों यहां तक कि बेरोजगारी दूर कराने के सपनों में ऐसा उलझा रहे हैं कि कि लाखों लोग दीवाने हो यहां पहुंचते हैं।अज्ञान और भगवान के नाम पर लोगों ठगते हैं तथा अंधविश्वास फैलाते हैं।

हाथरस में ऐसे ही एक ब्रह्मत्व को प्राप्त भोलेबाबा नारायण हरि का किरदार सामने आया है जिसकी चरण रज पाने के चक्कर में 150 से अधिक बच्चे, महिलाएं भगदड़ में कुचल के मर गए। यह भी एक वीआईपी बाबा है जो अपने को आईबी का कर्मचारी   बताता रहा जबकि वह पुलिस में था बताया जाता है यौन शोषण मामले में सूरज पाल को सजा हुई थी ।उससे मुक्त होने के बाद वह भोले बाबा के रूप में अवतरित हो गया साथ में उसकी पत्नि भी है जो मां देवी के स्वरूप में मौजूद रहती हैं।

आमतौर पर जितने भी बाबा अचानक प्रगट होते हैं वे सब के सब इसी तरह किसी ना किसी  जघन्य अपराध से जुड़े होते हैं और धर्मभीरु लोगों को अपने चंगुल में फंसा लेते हैं। इनकी पूरी टीम होती है हजारों सेवादार होते हैं,आरमी होती है जो बाबा की कथित शक्तियों और चमत्कारों का भरपूर प्रचार करते हैं।।नेता,दबंग लोगों का इन्हें पूरा संरक्षण होता है।इनके ज़रिए वे अपनी स्वार्थ सिद्धि भी करते हैं। आजकल तो बाबा धामों में कारपोरेट की चमक भी देखी जा सकती है।इनके आश्रमों, दूकानों के लिए जबरिया गरीबों की जमीन भी अधिग्रहीत की जाती है। 

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का रंग-ढंग अन्य बाबाओं से थोड़ा अलग है यह भगवा नहीं पहनता सूट बूट वाला है। आजकल श्वेत कुर्ता पायजामा ज़्यादातर पहनता है। मैनपुरी जिसका नाम अखिलेश से जुड़ा है वहां इसका बड़ा आश्रम है। किसी शानदार बंगले से भी शानदार और कई एकड़ में फैले इस आश्रम में हाथरस दुर्घटना के बाद वह वहां पहुंचा उसके पथ पर पुष्प बिछाए गए। मृतक भक्तों से दूरी बना ली।जब पुलिस यहां पहुंची तो फिर भाग गया।कहा जा रहा है सैफई में है।इधर लोग उसे अखिलेश से जोड़कर देख रहे हैं।

ज्ञात हुआ है कि पुलिस ने इस भगदड़ के लिए  कार्यक्रम के जिम्मेदार कुछ आयोजकों को गिरफ्तार किया है क्योंकि 15,000 लोगों की अनुमति मिलने के बाद कहा जा रहा है वहां दो लाख से अधिक लोग पहुंचे थे।जिनकी सुरक्षा की के कोई इंतजाम नहीं थे ।वहां उपस्थित लोग बाबा की गिरफ्तारी और उसके ख़िलाफ़ एफ़आईआर लिखने की मांग कर रहे हैं। निश्चित तौर पर यह पक्का है कि उसे ख़बर देकर भगाया गया है।  भोले बाबा ने मई 22 में जब करोना चरम पर था तब एक सत्संग के लिए शासन से 50 लोगों की अनुमति ली थी तब भी यहां हजारों जुटे थे पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विशेष बात ये है मृतक परिवार जो अमूमन गरीब तबके के ही होते हैं हमेशा की तरह मुआवजे की प्राप्ति के संघर्ष  में लगकर शांत हो जाएंगे ये समस्या का समाधान नहीं हो सकता।इसके लिए पाखंडी, धूर्त बाबाओं की पड़ताल कर उन पर सख्ती से रोक लगानी होगी। जो धर्मनिरपेक्ष  देश के  सद्भाव को  सम्प्रदायिक बना रहे हैं। समाज को अज्ञान के अंधकार में ढकेल रहे हैं।इन पर नकेल कसना चाहिए।इसकी इजाज़त संविधान नहीं देता। ज्ञानी संतों के उद्गार हों तो बात बने। कोई भी धर्म झूठ फरेब की बात नहीं करता। जहां इस तरह की बात हो उस पर लगाम लगाने की ज़रूरत है।

इस भीषण दुर्घटना के बाद बाबाओं पर सख्ती बहुत ज़रूरी है दूसरी ओर समाज सेवी कार्यकर्ताओं, शिक्षा विदों, समाज सुधारकों  और समस्त शिक्षा संस्थानों को देश भर में पाखंड और अज्ञान फैलाने वालों के विरुद्ध एकजुट होकर जागृति अभियान चलाना होगा।तभी चरण रज लेने वालों की भगदड़ पर विराम लगेगा।एक बार ईमानदार कोशिश प्रतिपक्ष को भी करना चाहिए। ऐसे बाबाओं के पसीने छूट जाएंगे।काश! देश में ऐसे सत्संग बंद हो जाते।

Exit mobile version