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सौर मंडल के सबसे खूबसूरत ग्रह शनि के 145 चंद्रमा

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मुनेश त्यागी 

      लेटेस्ट जानकारी के हिसाब से अब शनि के पास 145 चंद्रमा हैं और उसने 95 चंद्रमा वाले बृहस्पति ग्रह को पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संगठन ने स्वीकार किया है कि अब शनि के पास 145 चंद्रमा हो गए हैं। छल्लो वाले ग्रह के रूप में मशहूर शनि के नए 62 चंद्रमा की खोज खगोल वैज्ञानिकों के दो समूहों ने की है।

      इनमें शामिल खगोल विज्ञानी स्कोट शेफर्ड के अनुसार दोनों ग्रहों के पास ढेरों चंद्रमा है लेकिन शनि ने इस बार बाजी मार ली है। दूसरे समूह का नेतृत्व ताइवान के वैज्ञानिक एडवर्ड एस्टन कर रहे हैं। नए चंद्रमाओं का आकार महज एक से दो मील है। दिखने में वह आलू जैसे अनियमित गोलाकार हैं। वे शनि ग्रह से 60 लाख से 1.8 करोड़ किलोमीटर दूर कक्षा में रहते हुए उसकी परिक्रमा कर रहे हैं। वैसे शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन है जो करीब 10 लाख किलोमीटर दूरी से परिक्रमा करता है। डॉक्टर शेफर्ड के अनुसार हर एक ऐसा पिंड जो किसी ग्रह की एक निश्चित कक्षा में रहते हुए परिक्रमा करता है, वह उस ग्रह का चंद्रमा कहलाता है। 

     आधुनिकतम वैज्ञानिक जानकारियों के अनुसार हमारे सौरमंडल में बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्चून और प्लेटो इस प्रकार नौ ग्रह हैं। चांद और सूर्य ग्रह नहीं हैं। सूर्य एक तारा है, चांद पृथ्वी का उपग्रह है और राहु और केतु कोई ग्रह नहीं है। ये केवल काल्पनिक बिंदु हैं। आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी के बाद भी बहुत सारे  धार्मिक लोग सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु को देवता मानकर आज भी इनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

       सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि ग्रह की कक्षा है। शनि सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह हमारी पृथ्वी से करीब 750 गुना बड़ा है। शनि के गोले का व्यास 116 हजार किलोमीटर है अर्थात पृथ्वी के व्यास से करीब नो गुना अधिक। सूर्य से शनि ग्रह की औसत दूरी 143 करोड़ किलोमीटर है। हमारी पृथ्वी सूर्य से करीब 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। तुलना में शनि ग्रह दस गुना अधिक दूर है। 

    शनि को “शनैश्चर” भी कहते हैं। यह बहुत ही धीमी गति से चलता है। बाद के लोगों ने इसे “सनीचर” बना डाला। सनीचर का नाम लेते ही अंधविश्वासियों की रुह कापने लगती है। हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं,  भैंसा इनका वाहन है। पाश्चात्य ज्योतिष में शनि को सैटर्न कहते हैं। यूनानी आख्यानों के अनुसार सैटर्न जुपिटर के पिता हैं। हमारे देश में शनि महाराज तेल के देवता बन गए हैं।

     वैसे शनि सौरमंडल का सबसे सुंदर ग्रह है। लेकिन पुराने जमाने के ज्योतिषी अपनी कोरी आंखों से इस ग्रह की सुंदरता को देखने या पहचानने में समर्थ नहीं थे। महान वैज्ञानिक गैलीलियो ने पहली बार “दिव्य दृष्टि” अर्थात दूरबीन से आकाश का अवलोकन किया था। जो कोई भी दूरबीन से शनि को देखेगा, तो इस ग्रह के बारे में उसके पुराने ख्याल आवश्य ही बदल जाएंगे।

     शनि को यदि दूरबीन से देखा जाए तो इस ग्रह के चारों ओर वलय यानी कंकण दिखाई देते हैं। प्रकृति ने इस ग्रह के गले में सबसे खूबसूरत हार डाल दिए हैं। शनि के इन्हीं वलयों ने इस ग्रह को सौरमंडल का सबसे सुंदर एवं मनोहर पिंड बना दिया है। पुराने जमाने के ज्योतिषियों को शनि के इन वलियों की जानकारी नहीं थी। शनि के इन अद्भुत वलयों और इसकी अन्य अनेक विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी हमें आधुनिक काल में ही मिली है।

      शनि क्रमानुसार सौरमंडल का छटा ग्रह है। यह बृहस्पति और यूरेनस के बीच की कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करता है। सूर्य से वृहस्पति जितना दूर है, लगभग उतना ही वृहस्पति से शनि दूर है। शनि ग्रह इतना बड़ा है कि इसमें हमारी 750 पृथ्वियां समा सकती हैं। शनि ग्रह अत्यंत ही धीमी गति से हमारे करीब तीस वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। 

     लेकिन शनि का दिन हमारे  दिन से काफी छोटा होता है। यह ग्रह 10 घंटे और 14 मिनट में अपनी धुरी पर एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। शनि ग्रह सूर्य से हमारी अपेक्षा करीब दस गुना अधिक दूर है, इसलिए बहुत कम सूर्यताप उस ग्रह तक पहुंचता है- पृथ्वी का मात्र सौवां हिस्सा, इसलिए शनि के वायुमंडल का तापमान शून्य से नीचे 150 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहता है। शनि एक अत्यंत ठंडा ग्रह है।

     शनि का सबसे बड़ा चंद्र “टाइटन” सौरमंडल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और दिलचस्प उपग्रह है। टाइटन हमारे चांद से भी काफी बड़ा है। इसका व्यास 5150 किलोमीटर है। अभी कुछ साल पहले तक टाइटन को ही सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह समझा जाता था, परंतु वायजर यान की खोजबीन से पता चला है बृहस्पति का “गैनीमीडे” उपग्रह सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।

     हमारे सौरमंडल के शनि ग्रह की सबसे आकर्षक चीज है उसके चारों ओर के वलय यानी कंकण। सबसे पहले गैलीलियो ने इनकी खोज की थी। शनि के ये वलय ठोस नहीं हो सकते। ये छोटे-छोटे टुकड़ों से बने हैं। ये टुकड़े बर्फ से आच्छादित हैं, इसलिए शनि के ये वलय खूब चमकते हैं।

     हमारे समाज में शनि को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। शनि के बारे में तरह तरह के मनमाने अंधविश्वास और धर्मांधता फैला रखी है।बहुत सारे पुजारियों ने शनि को बहुत ही काले रंग में और डरावने तरीकों से दिखाना शुरू कर रखा है, उसकी तरह तरह की मूर्तियां बना रखी है और उनको काले से काले रंग में रंग कर दिखाया जाता है, उसके अनेकों मंदिर भी बना लिए हैं और इनमें अज्ञानी जनता को भयभीत किया जाता है और जनता से पैसे ऐंठे  जाते हैं।

      टीवी चैनलों, व्हाट्सएप और दूसरे मीडिया माध्यमों के जरिए शनि ग्रह के बारे में बहुत सारी नकारात्मक बातें और मनगढ़ंत किस्से सुनाए जाते हैं। शनि ग्रह से शांति के उपायों के बारे में भोली जनता को बताया जाता है जैसे शनि ग्रह नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है, इन से छुटकारा पाने के लिए पूजन करें, भगवान को पूजें, पूजा दान करें, शनिवार के दिन तेल दान करें, हनुमान चालीसा और दशरथ कृत शनि चालीसा पढ़ें और हनुमान को भोग में केले चढ़ाएं। ऐसा करने से शनि का कोप कम हो जाएगा। अब आप देखिए कि हमारे देश के अधिकांश लोग बहुत सारी समस्याओं से ग्रस्त हैं, मगर इन समस्याओं के निदान के बारे में कोई बात नहीं की जा रही है और इन सारी समस्याओं को शनिदेव से जोड़ा जा रहा है। इन समस्याओं के निराकरण का शनि ग्रह से कोई लेना देना नहीं है। मनुष्य की ये सारी समस्याएं राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक हैं ये सारी समस्याएं शनि ग्रह के कारण नहीं है।

      हमारे आधुनिक ज्ञान विज्ञान ने हमारे सौरमंडल के बारे में जनता को विस्तृत जानकारियां उपलब्ध कराई हैं, बहुत सारे अंधविश्वासों और धर्मांधताओं की पोल खोली है जनता को इन ग्रहों के बारे में लेटेस्ट जानकारियों से अवगत कराया है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम मुकम्मल तौर पर कह सकते हैं कि शनि हमारे सौरमंडल का एक बहुत ही अद्भुत और सुंदर ग्रह है। किसी भी ग्रह को शुभ या अशुभ समझने का कोई कारण नहीं है। शनि तो हमारे सौरमंडल का सबसे खूबसूरत ग्रह है।

     शनि ग्रह के बारे में इतनी सारी आधुनिकतम जानकारी होने के बाद अब यह हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि शनि ग्रह के बारे में फैली तमाम अंधविश्वास और धर्मांधता के बारे में जनता को बताया जाए, शनि के बारे में जनता में व्याप्त अंधविश्वास और धर्मांधता को हटाया जाए और उसे अंधविश्वास के आधार पर लुटने पिटने से बचाया जाए। ज्ञान विज्ञान कार्यक्रम के तहत यह हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि हम दूरबीन के माध्यम से जनता को हमारे सौरमंडल के सबसे “सुंदर शनि ग्रह” के बारे में जानकारी दें।

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