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हर भारतवासी को 33 सवाल पूछने चाहिए…..!

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मुनेश त्यागी

आजकल जब भी सांप्रदायिक हिंसा, दलित हिंसा और महिला हिंसा पर बात होती है तो इनमें से अधिकांश में मुसलमानों, दलितों और महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया जाता है मगर निम्न सूची बताती है कि यहां पर हुए हमलों और मानव विरोधी हरकतों के लिए मुसलमान, दलित या महिलाएं जिम्मेदार नहीं थे। सांप्रदायिक ताकतों के लगभग सौ साल के प्रचार ने मुस्लिम विरोधी धुआंधार प्रचार, नफरत और हिंसा ने मुसलमानों को टारगेट किया हुआ है और वे जनता के सामने प्रदर्शित कर रहे हैं कि जैसे हमारे देश में फैली गरीबी, शोषण, अन्याय, जुल्म, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, अपराध, हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा, जातिवादी हिंसा सब कुछ के लिए केवल मुसलमान ही जिम्मेदार हैं जबकि ऐसा नहीं है।  भारत के अनेक ऐतिहासिक तथ्य, उनकी नफरत भरी मुहिम के विपरीत हैं।,,,,,
1.  जिन लोगों ने द्रौपदी का अपमान किया क्या वे मुसलमान थे?
2. पांडव जिन्होंने अपनी पत्नी पर जुआ खेला और कौरवों से हार गए थे क्या वे  मुसलमान थे?
3. महाभारत, जिसमें लाखों लोग मारे गए क्या वह युद्ध मुसलमानों की वजह से हुआ था? और उस में भाग लेने वाले मुसलमान थे?
4. गुरु द्रोणाचार्य ने छल कपट से एकलव्य  को अंगूठा काटने को मजबूर किया था तो क्या द्रोणाचार्य  जातिवादी मुसलमान था?
5. क्या भगवान राम को मुसलमानों द्वारा बनवास के लिए मजबूर किया गया था?
6. सीता माता का हरण एक अपराधी मुसलमान ने किया था क्या? 
7. लंका को मुसलमानों ने जलाया था क्या? 
8. क्या वह मुसलमान थे जिन्होंने गांधी की हत्या की थी? 
9. क्या हिंदुत्व की टोली वीर सावरकर ने 6 बार  ब्रिटिश शासकों से माफी मांगी थी वह  मुसलमान था?
  1. सावरकर के नेतृत्व में हिंदू महासभा ने बंगाल, सिंध और एन डब्ल्यू एफ में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर जो सरकार बनाई थी, वह मुसलमान थे?
    1. जब सुभाष चंद्र नेता जी भारत को सैन्य रूप से मुक्ति कराने की कोशिश कर रहे थे, हिंदू महासभा ने ब्रिटिश सेना के लिए अनगिनत भर्तियां शिविर आयोजित किए जिसमें ब्रिटिश सेना में एक लाख से अधिक हिंदुओं की भर्ती हुई, इस अंग्रेज सेना ने सैकड़ों आजाद हिंद सेना के देशभक्त सैनिकों की हत्या की, क्या हिंदू महा सभा मुसलमानों का संगठन थी?
  2. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर r.s.s. ने मांग की थी कि लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष भारतीय संविधान को मनुस्मृति द्वारा संचालित होना चाहिए,
    1. कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह और रणवीर सिंह जिन्होंने 1857 में दिल्ली पर कब्जा करने के लिए अंग्रेजों की मदद की सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी थी, क्या वे मुस्लिम थे?
    2. नेली हत्याकांड क्या मुसलमानों की करतूत थी?
    3. 1984 का सिख नरसंहार क्या मुसलमानों का आपराधिक काम था ?
  3. हर 30-40 मिनट में एक भारतीय किसान 1995 से शोषण के कारण आत्महत्या कर रहा है क्या यह मुसलमानों द्वारा शोषित हैं?
  4. दलितों के उत्पीड़न और नरसंहार की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं, क्या यह सारी घटनाएं मुसलमानों ने की है?
    1. मध्यप्रदेश में जो व्यापम घोटाला हुआ था जिसमें दर्जनों गवाहों ने आत्महत्या कर ली ,है क्या मुसलमानों द्वारा चला गया था?
  5. फरवरी 2016 में जो हरियाणा जला था जिसमें 20 से अधिक भारतीय मारे गए थे और कई महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था, क्या यह मुसलमानों ने किया था?
    1. देश के शासक भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं नष्ट कर रहे हैं वह सभी मुसलमान हैं ?
    2. हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम क्या मुसलमानों का शैतानी काम था?
  6. क्या विश्व में जो दो विश्व युद्ध हुए हैं जिसमें करोड़ों लोग मारे गए थे और करोड़ों अपाहिज हुए थे, करोड़ों घायल हुए थे, क्या वो भी मुसलमानों के कारण हुए थे?
    1. महान बुद्धि वादी लेखक, इतिहासकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, सफदर हाश्मी, नरेंद्र दाभोलकर, एम एम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे और गौरी लंकेश की हत्या मुस्लिम फासीवादियों ने की थी ?
    2. एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में हर रोज 3 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है तो क्या ये सभी बलात्कारी मुसलमान होते हैं?
  7. बलात्कारी जैसे गुरमीत सिंह आसाराम और चिन्मयानंद क्या सभी मुसलमान है?
  8. क्या जेलों में बंद विभिन्न अपराधों के आरोपी सारे मुसलमान है?
    1. सरकार द्वारा बनाए बनाए गए तीन किसान विरोधी काले कानून और मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं क्या मुसलमानों या मुसलमान सरकार ने बनाए हैं?
    2. जब 1857 में भारत की आजादी का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था तो उसमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल थे और वे दोनों मिलकर लड़ रहे थे, तो क्या उस संग्राम को मुसलमानों ने शुरू किया था?
    3. 1915 में जब राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने काबुल में भारत की पहली सरकार बनाई थी और भारत को आजाद करने और गुलामी का खात्मा करने की मांग उठाई थी और वे उसके प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त हुए थे, तो क्या यह सब उन्होंने मुसलमानों के कहने पर किया था?
      1. जब 1927 को 19 दिसंबर को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र सिंह लाहिडी काकोरी कांड में फांसी के फंदे पर चढ रहे थे और इस देश के निवासियों से अपील कर रहे थे कि वे जैसे भी हो भारत में हिंदू मुस्लिम एकता कायम रखें तो क्या वे यह सब मुसलमानों के कहने पर कर रहे थे?
    4. 23 मार्च उन्नीस सौ 31 को जब राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह फांसी के फंदे पर चढ रहे थे और भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से छुड़ाकर भारत को आजाद कराने की मांग कर रहे थे तो क्या वे यह सब मुसलमानों के कहने पर कर रहे थे?
    5. जब सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर और बर्मा में आजाद हिंद फौज बनाकर अंग्रेजों से भारत को मुक्त और आजाद कराने की लड़ाई लड़ रहे थे तो क्या वे यह सब मुसलमानों के कहने पर कर रहे थे?
    6. जब भीमराव डॉक्टर अंबेडकर भारत में समता, समानता, न्याय, भाईचारा, जनतंत्र, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता की मांग कर भारतीय संविधान की संरचना कर रहे थे और हिंदू धर्म को अछूतपन छोट-बडाई, ऊंच-नीच और आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक असमानता की बिमारी से मुक्ति दिलाने के लिए भारतीय समाज में समता, समानता, समरसता और भाईचारे की मांग कर रहे थे तो क्या वे यह सब मुसलमानों के कहने पर कर रहे थे?
      1. भारत की शादी संस्कृति का इतिहास हिंदू मुसलमान हीरे मोती से भरा पड़ा है इसमें इन लड़कियों में एक तरफ हिंदू और मुसलमान राजा और सेनापति थे तो दूसरी तरफ हिंदू और मुसलमान राजा और सेनापति थे वे दोनों मिलकर अपनी अपनी राजनीतिक लड़ाइयां लड़ रहे थे अपने साम्राज्य की हिफाजत कर रहे थे इन्होंने भी इस हाजी संस्कृति में भी भारतीय इतिहास का भारतीय साझी संस्कृति का निर्माण किया है क्या यह साझी संस्कृति भी केवल मुसलमानों की देन थी?
    7. 1857 की लड़ाई में जीवाजी राव सिंधिया ने महारानी लक्ष्मी बाई को अपने किले में प्रवेश करने से रोक दिया था। वहां की जनता अंग्रेजों से लड़ने का आह्वान कर रही थी मगर जयाजीराव ने अंग्रेजों का साथ दिया और इसके बदले कई उपाधियां ईनाम के रूप में अंग्रेजो से प्राप्त की थीं।उस समय के वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने अपनी रिपोर्ट में लिख कर भेजा था कि अगर जियाजी राव सिंधिया हमारा साथ ना देता तो हमें तत्काल ही वहां से अपना बिस्तर बोरिया बांध कर भारत को छोड़ना पड़ता। क्या यह सब भी मुसलमानों के कहने पर किया जा रहा था?
      ये कुछ सवाल हैं जो भारत के किसानों, मजदूरों, नौजवानों, विद्यार्थियों, मीडियाकर्मियों, बुद्धिजीवियों, जजों और वकीलों को इस देश में हिंसा और नफरत फैलाने वाली और इस देश की हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने वाली, सारी सांप्रदायिक ताकतों से पूछने चाहिए और जनता के बीच अमन चैन, प्यार मोहब्बत, आपसी भाईचारा और हिंदू मुस्लिम एकता के विचारों को फैलाना चाहिए और उसके बीच इनका प्रचार प्रसार करना चाहिए। यह आज के वक्त की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है ऐसा करके ही सांप्रदायिक ताकतों और पूंजीपतियों के लुटेरे गठजोड़ के निजाम को परास्त किया जा सकता है।
      वर्तमान हालातों को ध्यान में रखते हुए इस बात पर भी विचार किया जाना जरूरी है कि क्या भारत की140 करोड़ जनता की समस्याओं के लिए, किसानों मजदूरों नौजवानों महिलाओं छात्रों की समस्याओं के लिए केवल मुसलमान दोषी हैं? क्या हजारों साल से चला रहे गुलामी शोषण, अन्याय जुल्मो सितम बेरोजगारी गरीबी अभावग्रस्त का पिछड़ेपन धर्मांधता अज्ञानता आदि के लिए केवल और केवल मुसलमान जिम्मेदार हैं?
      नहीं हम यहां जोड़ दे कर बताना चाहेंगे कि हमारे देश की 140 करोड़ जनता की उपरोक्त समस्याओं के लिए हिंदू या मुसलमान नहीं, केवल हमारी सरकार द्वारा अपनाई गई जन विरोधी, समाज विरोधी और देश विरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं। इन नीतियों के कारण हमारे देश में चंद पूंजिपतियों की संपत्ति में इजाफा हुआ है, सारा देश उनके मुनाफों को बढ़ाने की नीतियों के हवाले कर दिया गया है, मगर हमारे देश की अधिकांश जनता की समस्याओं को, परेशानियों को दूर करने के लिए नीतियां नहीं बनाई गई हैं और आज इस सबके लिए केवल मुसलमानों को निशाने पर रखकर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो कि हालात और तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है।
      हमारे देश की अधिकांश जनता की लगातार बढ़ रही परेशानियों और समस्याओं का कारण हिंदू या मुसलमान नहीं, बल्कि सरकार की किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, देश विरोधी, समाज विरोधी और जनविरोधी नीतियां हैं। अब यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है कि सरकार की इन जनविरोधी नीतियों से, जनता को अवगत कराएं और उसे सरकार द्वारा और सांप्रदायिक ताकतों के गठजोड़ द्वारा बनाई गई हिंदू मुस्लिम एकता तोड़ने की साजिशों से बचाएं।
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