अग्नि आलोक

4 कविताएं (मेरी मम्मी लगती प्यारी / यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं / हम बेटियां वरदान सी / मेरी भोली भोली माँ)

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मेरी मम्मी लगती प्यारी



गुंजन
सैलानी, उत्तराखंड

मेरी मम्मी मानो एक कहानी है,
मुझे लगती बहुत प्यारी है,
जब तुम दूर जाती हो,
क्यों नहीं मुझे बताती हो,
आपके साथ में रहना अच्छा लगता है,
दूर तुमसे अब कुछ नहीं भाता है,
तुम्हीं मेरा विश्वास हो, तुम्हीं हिम्मत हो,
क्यों नहीं रहती हर दम मेरे साथ हो,
अपनी सब तकलीफों मुझे बताया करो,
मैं अब समझने लगी हूँ, मुझे समझाया करो,
बहुत मुश्किलों से पाला है, यह समझ में आया है,
इतना आसान न था, बस यही बात बतानी है,
मेरी मम्मी मानो एक कहानी है।।

यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं

आंचल
कपकोट, उत्तराखंड

यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं,
यूं ही दुनिया हमें सताती नहीं,
पल भर की है ये चहचहाहट,
जिसमें ये हमे तड़पाती नहीं,
बेटी होना पाप है, ये हमें बताती नहीं,
क्या हमारा भाग्य खराब है?
या हमें दुनिया में लाना पाप है?
क्या ये क़सूर हमारा है?
या फिर डर हमारा है,
क्या लोग इतने स्वार्थी हैं?
या फिर हम इनसे घबराती हैं?
यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं,
यूं ही दुनिया हमे सताती नहीं,
बेटी होना कोई पाप नहीं,
क्यों लोगों को बताती नहीं?

हम बेटियां वरदान सी

मीनाक्षी
चौरसो, उत्तराखंड

हम बेटियां वरदान सी,
मानो तो सब कुछ
ना मानो तो कुछ नहीं,
पापा की राजकुमारी,
लगती हम सबको प्यारी,
जब जब जन्म लिया हमने,
अंधकार में ख़ुद को पाया हमने,
हर बाग बगीचा किया गुलज़ार हमने,
दुनिया में ख़ुद को कामयाब किया हमने,
नहीं रुकी हम किसी के डर से,
ना देखा पीछे मुड़कर हमने,
आगे बढ़ी और ऐसी बढ़ी,
छोड़ कर आई पीछे कहानियां हमने॥

मेरी भोली भोली माँ

तनीषा मिश्रा
कक्षा-10
सैलानी, उत्तराखंड

माँ तुम कितनी भोली हो,
समझती मेरी हर बोली हो,
तुम क्यों नहीं हंसती रहती हो?
क्यों हरदम उदास रहती हो?
तुम अपनी दुखभरी कहानी,
मुझे क्यों नहीं सुनाती हो?
क्यों छुपाती हो मुझसे हर बात,
क्यों समझती हो मुझे नादान?
माना कि मैं नादान हूँ,
पर समझती आपकी हर बात हूँ,
मेरी नस नस में तुम घुली हो,
माँ, तुम कितनी भोली हो॥

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