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आज़ादी का 75वां वर्ष क्या खोया क्या पाया ?

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*सुसंस्कृति परिहार

वसीम बरेलवी का एक शेर अर्ज़ है—
न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है

वाकई इस शेर के मुताबिक खोना पाना तो दुनिया की हकीकत है उसे तो कुछ ना कुछ होने से मतलब है।
आज जब हम आज़ाद भारत के 75 वां वर्ष 15अगस्त को पूर्ण करने जा रहे हैं तो एक मूल्यांकन ज़रुरी हो जाता है लोगों को फर्क पड़े या ना पड़े। मूल्यांकन इसलिए भी ज़रुरी होता है ताकि हम अब तक हुए कार्य की समीक्षा कर सकें।जिसे साधारण तौर पर आम आदमी यह जानने में दिलचस्पी रखता है उसने अब तक क्या हासिल किया है और क्या खो दिया है।

एक सबसे बड़ी बात जो हमारे दिलों में आज भी जब तब कौंधती है तो हम सोचते रह जाते हैं कैसी रही होगी आज़ादी की खुशी की रात।जब शायद ही देशवासी सोए हों।ऐसा हमारे बुजुर्गवार बताते हैं। कितनी खुशी हुई हो जब अंग्रेजों की गुलामी का झंडा भारत में यूनियन जैक का उतरा होगा और हमारा तिरंगा का फहराया होगा। तमाम देशवासी कितने गदगद हुए होंगे?काश उसे हम देख पाते।
आज़ाद भारत की घोषणा के बाद ही पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे महान व्यक्तित्व को महात्मा गांधी जी की सहमति से प्रधानमंत्री बनाया गया।वे बैरिस्टर एवं गांधी के मित्र स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू के लाड़ले राजकुमार ज़रुर थे किन्तु आजादी के आंदोलन में उन्होंने धरना प्रर्दशन किया, लाठियां खाईं जेल में वर्षों गुजारें पत्नी कमला बीमार रहीं तब भी देश सेवा में अग्रणी रहे।यही वजह है उन्हें जनता ने सन्1947 से मृत्यु 27 मई 1964 तक सर आंखों पर बैठाया।

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह हुई कि सन 1950 की 26जनवरी को भारत ने अपना संविधान पा लिया। जिसकी प्रस्तावना हम भारत के लोग से शुरू होती है।एक मज़बूत लोकतांत्रिक संविधान और सुदृढ़ प्रधानमंत्री को पाकर देश समृद्ध हुआ।याद कीजिए आज़ादी के तत्काल बाद कबाईले हमले ने मुजफ्फराबाद और सियाचिन पर कब्ज़ा कर लिया ।तब राष्ट्रसंघ का यथास्थिति का फैसला हुआ।नेहरू ने इसे मज़बूरी में स्वीकार तो किया लेकिन उन्होंने अपने संविधान के ज़रिए नये भारत निर्माण हेतु जिस तीव्रता से काम किया ।वह आश्चर्यचकित है विज्ञान, तकनीकी, चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान,भारी उद्योगों ,भाभा परमाणु केंद्र,भाखरानंगल बांध आदि बनाकर सिर्फ दस वर्षों में कृषि और उद्यम के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बना दिया। उन्होंने कमज़ोर विपक्ष को मज़बूत करने चाणक्य नाम से अपनी सरकार के खिलाफ लिखा।उनको ही अटल जी को विपक्ष का सक्रिय नेता बनाने का श्रेय जाता है।उनके दामाद फ़ीरोज़ गांधी उनकी पसंद थे क्योंकि वे सदन में महत्वपूर्ण सवाल उठाकर नीतियों में उम्दा परिवर्तन करवाने की क्षमता रखते थे। लोकतांत्रिक परिपाटियों की सर्वश्रेष्ठ परम्परा की उन्होंने बुनियाद रखी।

कल्पना कीजिए भारत पाकिस्तान एक साथ आज़ाद हुए पाकिस्तान अभी तक किस स्थिति में हैं और नेहरू ने भारत को कहां पहुंचा दिया कि देश आगे चलकर कांग्रेस के शासन तक विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। नेहरु ने देश को जो विदेश नीति दी वह आज भी बरकरार है उसमें हेर फेर की ताकत कोई सरकार नहीं जुटा पाई।उनका गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पंचशील के सिद्धांत आज भी दुनिया मानती है। नेहरू जी के कार्यकाल में चीनी हमला दगाबाजी का एक ऐसा मसला था जब चीनी हिंदी भाई भाई कहते चीन ने1962में, हमारे नेफा के हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया।इस छल ने नेहरू के दिल पर गहरा आघात किया और1964 में वे चल बसे। उसके बाद कांग्रेस के नेताओं लाल बहादुर शास्त्री से लेकर मनमोहन सिंह तक सरकार ने देश को सदैव अग्रिम पंक्ति में रखा। लालबहादुर शास्त्री जब विजयी देश की हैसियत से जीती हुई पाक भूमि वापस करने ताशकंद समझौता करने गए तब वे वहीं कहते हैं,बलिदानी सैनिकों के ग़म में हृदयाघात चले गए।वे नेहरू जी की पसंद थे। दोनों नेताओं में देशप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
उसके बाद राजनीति में वंशवाद का नेहरू भक्तों ने कांग्रेस में एक सिल सिला चलाया बाद में कांग्रेस दो फाड़ हुई लेकिन नेहरू की बेटी इंदिरा ने देश को बखूबी संभाला।उनकी सबसे बड़ी देन कश्मीर मसले को राष्ट्रसंघ के चंगुल से निकालना था।प्रिवीपर्स की समाप्ति, पोखरन में परमाणु परीक्षण, अंतरिक्ष में राकेश शर्मा से बात, र्बैंकों का राष्ट्रीयकरण,सिक्किम देश को राज्य बनाना,कश्मीर में प्रधानमंत्री की जगह मुख्यमंत्री बनाना और पड़ोसी पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति वाहिनी की मदद कर बांग्लादेश का निर्माण करा कर भारत की पूर्वी सीमा को सुरक्षित करना था। आपातकाल लगाना उनकी सबसे बड़ी लोकतांत्रिक भूल थी।उसके बाद मोरारजी भाई की जो सरकार आई वह चल नहीं पाई। लोगों ने एक बार फिर नेहरू की बेटी को सत्ता सौंपी।उसके बाद अस्थिरता का दौर रहा खालिसस्तान की मांग फिर इंदिरा गांधी का मारा जाना। कांग्रेस का राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाना उनके कार्यकाल में देश में जहां कम्प्यूटर क्रांति ,18वर्ष मतदान आयु, ग्रामीण बच्चों के लिए नवोदय विद्यालय जैसे महत्वपूर्ण काम हुए किंतु श्रीलंका सरकार को लिट्टे गुट खात्मे में सहयोग देने की वजह से वे मारे गए। वहीं मनमोहन सिंह ने जब आर्थिकमंदी के दौर से दुनिया त्रस्त थी तब अपने कुशाग्र अर्थशास्त्र के ज्ञान और कौशल की वजह से देश को मंदी से सुरक्षित रखा।आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए बीते दशकों में कई प्रधानमंत्री बने जिनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्र शेखर,अटल बिहारी वाजपेई, नरसिंह राव आदि की सरकारों ने भी जनकल्याणकारी नीतियां और योजनाएं बनाईं। योजनाओं का लाभ गरीबों एवं कमजोर वर्गों तक पहुंचाया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा जैसे कार्यक्रमों एवं योजनाओं ने आम आदमी को सशक्त बनाया है। इन महात्वाकांक्षी योजनाओं से विकास की गति तेज हुई। लेकिन यह भी सच है कि सरकार की इन योजनाओं को पूरी तरह से आम जन तक नहीं पहुंचाया जा सका। फिर भी इन योजनाओं का लक्ष्य आम आदमी को राहत पहुंचाना ही था। इन विकास योजनाओं के बावजूद देश में गरीबी, पिछड़ापन दूर नहीं हुआ है। विकास से जुड़ी समस्याएं अभी भी मौजूद हैं। इसकी वजह भ्रष्टाचार को प्रतिपक्ष ने माना।

जिसके कारण आज़ादी के बाद 2013 तक जो देश दुनिया के विकासशील राष्ट्रों में अव्वल रहा वह भ्रष्टाचार और लोकपाल विधेयक के नाम पर एकजुट हुआ और अनेक झूठे वायदों की दम पर 2014 में केंद्र में काबिज हो गया। इसमें अन्ना हजारे , किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल ,बाबा रामदेव जैसे लोग शामिल थे। आर्थिक सहयोग अंबानी अडानी का रहा। संघ ने पुणे के अन्ना हजारे को इस आंदोलन का नेतृत्व सौंपा । जनता बदलाव के मूड में आ गई तब प्रधानमंत्री हेतु ऐसा नाम सामने आया जिनके मुख्यमंत्री रहते गुजरात में अल्पसंख्यकों का नरसंहार हुआ था।इन सब बातों के ध्रुवीकरण का फायदा भाजपा ने उठाया। दिक्कत इस बात की रही कि इस चंडाल चौकड़ी को दिया जवाब कांग्रेस की शालीनता में समा गया।मन मोहन सिंह को तो मौन मोहन सिंह कहा गया। अनेकों जनहितैषी कामों को कांग्रेस जनता को बता नहीं पाई।लगता है झूठ के इस उठे सुनियोजित तूफान से कांग्रेस सिहर गई और उसके तंबू उखड़ गए।

ये एक नया दौर था जिसमें हमने बहुत कुछ खोया है,।सबसे पहला तो यह शांति गंभीर और कम बोलने वाले प्रधानमंत्री की तरह बड़बोला वाचाल पी एम पाया। झूठ तो ऐसा चला कि 15लाख खाते में आयेंगे ।कहां से आयेंगे,जो धन सोनिया गांधी ने स्विज़रलैंड बैंक में जमा कर रखा ।दो करोड़ लोगों को रोज़गार मिलेगा ।जबकिअब तक दस हजार लोगों को भी रोज़गार नहीं मिला। देश नहीं बिकने देंगेऔर सब कुछ देखते देखते बिक गया।धर्म के नाम मंदिर मस्जिद अज़ान ,नमाज,हिजाब,सड़क पर नमाज, लाउडस्पीकर हटाना,जय श्री राम कहलवाना,भारत मां की जय बोलने विवश करना गोहत्या के नाम पर वध। पैगम्बर पर अनाप शनाप कहना।जबरन दंगा कराना। बुर्के की ओट में गलत काम कर मुस्लिमो को फंसाना।सबसे बड़ी बात लोकतंत्र का आधार विपक्ष कांग्रेस मुक्त भारत की चेतावनी ।चीन ने पैंगाग पर दो पुल बना लिए।फाइव फिंगर की जगह मात्र दो हमारे पास। सियाचिन पर कब्ज़ा बना हुआ है।लद्दाख के सांसद के बयान पर चुप्पी।समन्वयवादी दृष्टिकोण, नैतिक मूल्य, धार्मिक सहिष्णुता, परस्पर प्रेम और भाईचारे का भाव तो बिल्कुल जाता रहा। लोकतांत्रिक और संविधानिक परम्पराओं का कचूमर निकाल दिया गया । राजनीति का सबसे भयानक इस दौर में विधायक करोंड़ों में बिके।

ये कैसा भारत हम देख रहे हैं जिसमें सिर्फ शौचालय बनाने की बात होती है लेकिन उनका उपयोग नहीं होपाता होता वजह साफ है जहां लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं है वहां शौचालयों के लिए दो बाल्टी पानी कहां से आयेगा। मनरेगा नरेगा हुआ पर रोजगार नहीं।मज़दूर हितैषी कई कानून खत्म कर लिए गए।उनकी कोई सुनवाई नहीं।किसान विरोधी तीनों बिल वापिस लिए गए पर गेहूं की सरकारी खरीद आधी से कम हुई फलस्वरूप खाद्यान्न छोटे दूकानदारों से होता हुआ उन्हीं गोदामों में पहुंच गया जहां से आने वाले कल में मनमाने दाम में बिकेगा। मंहगाई तो सुरसा सी बढ़ रही है।कोरोना काल में सरकार की जो भयावह या दुष्ट छवि सामने आई।तौबा तौबा। चुनाव व्यवस्था,न्यायप्रणाली, सरकारी दफ्तर ,शिक्षा संस्थान, स्वास्थ्य केंद्र लूट के अड्डे बने हुए हैं।

वर्तमान सरकार ने दो काम अत्यंत महत्वपूर्ण किए हैं एक तो भक्त बनाए ऐसे जिन्हें दुनियादारी से कुछ लेना देना नहीं। दूसरा प्राच्य शिक्षा तंत्र मंत्र,भूत प्रेत ,ज्योतिष ,योग ज्ञान वगैरह को बढ़ावा दिया गया इसमें उलझने के बाद बचता ही क्या है?इस लिहाज से देखें तो चारों ओर चमत्कार ही चमत्कार है।अब तो गांव गांव संघ द्वारा पारित पोषित बाबाओं ही कथाएं, प्रवचनों के ज़रिए ग्रामीणों की बुद्धि का हरण बड़ी तेजी से कर रहे हैं।वे जहां चाहेंगे वोट ले लेंगे।धर्म और आस्था से बड़ी चीज़ नहीं होती।इसे अदालत भी मानती है इसलिए प्रमाण होते हुए भी बाबरी मस्जिद का क्षेत्र राम जन्मभूमि को मिल जाता है। ऐसी ही अटूट आस्था तब देखने मिली जब भाजपा प्रवक्ता ने पैगम्बर साहब को अनाप शनाप कह दिया तो सारे मुस्लिम देश टूट पड़े भारत सरकार पर । भारतीय सामान की बिक्री पर रोक लगा दी आगे क्या होगा आस्था का सवाल तन के देश में खड़ा है।देश में आस्था का फैलाव हर धर्म में हुआ है।यही नफरत बढ़ा रहा है सदियों पुराने सम्बंध टूट रहे हैं। कश्मीरियत हिंदू मुस्लिम सिख एकता की प्रतीक थी आज उसकी फजीहत हो रही है।

कुल मिलाकर कांग्रेस शासन काल में देश ने जितना कुछ पाया था वह 2014 के बाद सब खो गया है।रुपये का अवमूल्यन आने वाली मंदी की ओर इशारा कर रहा है।देश के तमाम रोजगार देने वाले संस्थान बिक रहे हैं।सेना का अग्निपथ भर्ती योजना मज़ाक बन गया है। मंहगाई के आगोश में चंद अमीरों को छोड़कर पूरे देश में खौल है। नफ़रत का बाज़ार सुलग रहा है। सीमाएं असुरक्षित हैं।शिक्षा का दिवाला निकल रहा है। लोगों को मंदिर मस्जिद और इष्टों के अपमान पर उलझाया जा रहा है। संविधान और लोकतंत्र बामुश्किल अपनी सांस कायम रखें हुए है।
इसीलिए तो संविधान और भारत बचाओ और भारत जोड़ो अभियान चल रहे हैं। विदेश में देश की प्रतिष्ठा का ग्राफ किस कदर गिरा है कि कतर जैसा छोटा देश भी भारत से माफी की आस लगाए बैठा है ।देश के अंदर के हालात बदतर है।लोग सच कहने से डरते हैं जो सच बोल रहा है उसे बेवजह परेशान किया जा रहा है। दूसरों को शांति,सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला गांधी का देश आज गोडसे वादियों की विचारधारा की ओर अग्रसर है।यह बदलाव एक सुनियोजित षड्यंत्र लगता है क्योंकि 2024तक देश को कथित हिंदुत्ववादी लोग हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में लगे हैं। सिलसिले वार जिस तरह की घटनाएं एक कौम विशेष के साथ हो रही है इससे ऐसा ही लगता है ।
अब यह जनता जनार्दन के विवेक पर ही निर्भर करता है कि वह लफ्फाजों के साथ रहना पसंद करती है या कि जुझारु संघर्ष शील साथियों को महत्व देती है जो उनके पक्ष में सदैव खड़े रहते हैं।पाने और खोने के बीच का फर्क समझना ज़रूरी है।कुछ ना कुछ तो चलता रहता है यह कहने से अब काम नहीं चलने वाला। आज़ादी की 75वीं सालगिरह पर हमें यह समझ कर तय करना ही होगा कि हम गांधी नेहरू की इस आज़ाद विरासत को बचाने कटिबद्ध हैं या फिर सब कुछ खोने की तरह अपनी आज़ादी को भी तबाह करने की तैयारी में हैं। उम्मीद है देश वासी इस गहरी साज़िश के कथित रहनुमाओं की भली-भांति पहचान कर लिए होंगे।यह आज़ाद भारत की हीरक जयंती हमें ताकत दे।जश्ने आजादी सभी को मुबारक।

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