-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
श्रवणबेलगोला। श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के पास के एक गांव साणेनहल्ली के जंगल में 900 साल पुरानी बसदि अर्थात् जिनालय प्राप्त हुआ है। जिसे देखने और साफ-सफाई करवाने श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला के भट्टारक श्री अभिनव चारुकीर्ति पुरातत्त्वविदों के साथ 10 अक्टूबर 2023 को गये। यह जीर्णशीर्ण स्थिति में है। यहां जाने का मार्ग भी नहीं था। इसके कन्नड गजेटियर के अनुसार इसमें बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा की जानकारी मिली। वर्तमान में इसमें एक शिलालेख है, जिससे इसके समय आदि के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। गलतगा के श्री प्रशांत जे उपाध्ये ने कन्नड भाषा में इसका परिचय लिखा है, जिसका हिन्दी रूपान्तर इस प्रकार है-
‘‘साणेनहल्ली में ई. सन्. लगभग 8वीं शताब्दी से जैनाचार्यों का धर्म प्रचार, बसदियों मंदिरों का निर्माण, दान आदि जैसी जैन गतिविधियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। होयसल काल के दौरान इसे गोविंदवाडि, गोविंदपाडि के नाम से जाना जाता था। बेलगोला को बारह उप-प्रशासनिक अभियानों में शामिल किया गया था। यहां तलकाड के गंग काल यानी ई.की में। 10वीं शताब्दी के आसपास निर्मित, बसदि का निर्माण गंगराज के बड़े भाई की पत्नी जक्कियब्बे ने अपने गुरु शुभचंद्रसिद्धांतदेव की प्रेरणा से करवाया था। उन्होंने इसका जीर्णाेद्धार किया और 12वीं शताब्दी के आसपास इसे दान कर दिया। इसकी शीर्ष योजना में गर्भगृह, अंतराल, नवरंगा, खुले बरामदे हैं। यह वास्तु अब जर्जर हालत में है। गर्भगृह में एक प्रभावशाली सिंहासन पर 1008 भगवान् श्री नेमिनाथ तीर्थंकर का पर्यंकासन में जिनबिंब है। नवरंग में रुद्रकांत शैली के चार स्वतंत्र स्तंभ हैं। नवीकरण के दौरान, यह देखा जा सकता है कि पिछले निवास की ईंटों को दीवार की संरचना में जोड़ा गया है। इसी साणेनहल्ली में कुछ दिन पहले स्वस्तिश्री अभिनव चारुकीर्ति भट्टारक स्वामीजी के मार्गदर्शन में सफाई का काम किया गया।’’
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/, रामगंज, जिंसी, इन्दौर
9826091247