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_व्यतीत का जर्मनी व वर्तमान का भारत :_*गवर्नेंस, फासिज़्म और नाजीवाद!

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पुष्पा गुप्ता

    _2022 के पूर्व तक के इतिहास में केवल एक ही उदाहरण मिलता है जब चुनी हुई सरकार ने जनता को नफरत फ़ैलाने वाली फिल्म देखने के लिए प्रेरित किया  हो. यहां हम बात कर रहे हैं नाजी जर्मनी की._
    नाज़ी पार्टी ने 1933 में जर्मनी में Department of Film की स्थापना की. इसका मुख्य कार्य "सार्वजनिक ज्ञान और शिक्षा के लिए उपयुक्त" फिल्म शो आयोजित करना था, ऐसी फिल्मों का मुख्य लक्ष्य जातीय और नस्लीय "सफाई" का था.
    _उस दौर में डाक्यूमेंट्री, न्यूज़रील, शॉर्टफिल्म्स और फीचर फिल्म मिलाकर लगभग 1000 फिल्मे बनाई गई. नाजी फिल्म विभाग द्वारा निर्मित यहूदी विरोधी फिल्म द इटरनल जूयस और जूड सस को 1940 में रिलीज़ किया गया._

आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि जिस तरह से यहां एक राज्य के गृहमंत्री द्वारा ऐसी फिल्म देखने के लिए पुलिस कर्मियों को छुट्टी दी जा रही है वैसे ही होलोकास्ट के मुख्य कर्ताधर्ता और हिटलर के विश्वस्त सहयोगी हेनरिक हिमलर ने एसएस और पुलिस के सदस्यों से एसी फिल्मे देखने का आग्रह किया था.


नाजी जर्मनी में ऐसी प्रोपेगंडा फिल्मों के निर्माण के लिए कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराने के लिए लिए एक फिल्म बैंक ( फिल्म क्रेडिट बैंक जीएमबीएच ) की स्थापना की गई, और ऐसी फिल्मों को टैक्स फ्री भी किया गया, नाजी जर्मनी में ऐसी फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाता था.
हिटलर स्वयं फिल्मों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे समझ रखता था अपनी आत्मकथा” मीन कैम्फ में उसने लिखा है कि लिखे हुए शब्दों की अपेक्षा लोगो को फिल्मों से जोड़ना अधिक आसान है हिटलर और उसका प्रचार मंत्री गॉयबल्स नियमित रूप से अपने घरों में फिल्में देखते थे और अक्सर फिल्मों और फिल्म निर्माण पर चर्चा करते थे.
साफ़ नजर आता है कि फिल्में नाजी जर्मनी में प्रोपेगेंडा प्रचार के सबसे महत्वपूर्ण साधन में थी; आज भारत में भी यही देखने में आ रहा है।
(चेतना विकास मिशन)

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