Site icon अग्नि आलोक

_दाम्पत्य जीवन और मेडिटेशन_

Share

पूर्व~ कथन :*
●हमारे देश में सियासत सब खा गई, खाये जा रही है।
●क्वालिटी के मामले में विश्व की बेस्ट यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में हमारे यहाँ की एक भी यूनिवर्सिटी स्थान नहीं पा सकी है।
●यहां की प्रतिभाओं की कद्र नहीं होती। अवसर नहीं मिलते। वे विदेशों में जाकर उन्हें डेवेलप करती हैं।
ऐसे में प्राच्य विद्या पर स्टडी/रिसर्च का सवाल कहां उठता है।
●हमारे पूर्वजों का ‘योग’ वहां से योगा बनकर आया तब हमारे गले उतरा।
●ऋषियों का रिसर्च ‘ध्यान’ वहां से मेडिटेशन बनकर आया तब हमें समझ आया।

●हमारे आराध्य डॉ. मानवश्री के शब्दों में कहें तो : “मैं खुद मेडिटेशन ट्रेनर के रूप में मेडिटेशन रिसर्च फाउंडेशन यूएसए से ऑथराइज्ड हुआ, तब कद्र हुई यहां के मूर्खों द्वारा मेरी। जबकि सबकुछ मैं यहीँ से सीखा/साधा। कई चीजें तो USA वाले मुझ से ही जाने।”

    _अपने यहाँ लोग न श्रम करना चाहते हैं, न साधना। यहाँ सॉर्टकट चलता है। कुछ को अपवाद मान लें तो : यहां अमूमन मेल पर्सन घूस देकर कामयाबी हासिल करना चाहता है और फ़ीमेल पसर्न नर-भेड़ियों को अपना ज़िस्म परोसकर।_
      ■अब तंत्रिक सेक्स का प्रचलन बढ़ रहा है। यह भी भारत की विद्या है। लेकिन अब विदेश से ब्रांड बनकर रिलीज होने लगी है तो यहां भी कुलबुलाहट हुई है। 
 कई लोगों ने इस बाबत हमें लिखा है। नाम के कारण कई लोगों को लगता है कि यह ओझा/शोखा/तांत्रिक का मामला है जो नींबू, लवंग, मदिरा, मुर्गा, हवन, मंत्रजप आदि से संबंधित है।
बता दूँ :

तांत्रिक सेक्स ऐसी बकवासों से नहीं, ध्यान से संबद्ध है। यह मेडिटेशन का ही एक आयाम है। तो आज की हमारी पोस्ट इसी टॉपिक पर।

~ डॉ. प्रिया : संचालिका, ‘चेतना मिशन’

*यौन संबंध* में प्रयुक्त होने का एक नवीन और मेडिटेटिव तरीका  है तांत्रिक सेक्स है। 

तांत्रिक सेक्स भावनाओं, संवेदनाओं और ऊर्जा को गहरे स्तर तक पहुंचाने में मदद करता है। स्त्री को यह ऐसा गहन आनंद देता है की जन्नत भी शर्माने लगती है। ऐसे परम-आनंद में डूबी स्त्री को भगवान की कमी तक महसूस नहीं होती। उसे मन-तन के रोग नहीं होते।
शारीरिक सेक्स के तरिके को थोडा परिवर्तित कर के तंत्र के सूत्र मुताबिक सेक्स के मार्ग से परमानंद तक यह ले जाता है। आपको वास्तव आम सेक्स से कई गुणा ज्यादा आनंद मिलता है।
साधारण सेक्स के तुलना में तांत्रिक सेक्स ज्यादा बैज्ञानिक है। इसमें शक्तिक्षय भी नही होता है। तांत्रिक सेक्स से यौन उर्जा को शक्ति के रुप में परिवर्तित किया जाता है। जिसके चलते यौन में अधिक आनंद आता है।
तांत्रिक सेक्स का मार्ग सरल है, लेकिन गहरा भी है। यह खुशी की साझा अभिव्यक्ति के लिए मानसिक जागरूकता की गुणवत्ता बढाने के साथ-साथ हमारे शरीर और इच्छाओं की पवित्रता के लिये भी उत्तम मार्ग है।
इस सेक्स क्रिया से मनुष्य अपने आपको तनाव से मुक्त महसूस करता है। डर, भय, शर्भ आदि आघात से निजात भी पाता है। इससे मनुष्य को सेक्स में पूर्णतया आनंद मिलता है और यह उसे तनाव रहित रखने में मदद करता है।
अपनी कामुक ऊर्जा के परिवर्तनकारी शक्ति को उजागर करने से वह शरम नही करता और उसे अधिक आत्मा विश्वास लगने लगता है। इस मार्ग में मनुष्य कि समग्र दृष्टिकोण बदल जाती है।
उसको कामुकता और यौन एक दिव्य साधना जैसी लगने लगती है।
आखिर तांत्रिक सेक्स क्या है ?
तंत्र एक संस्कृत शब्द है। इद इसका हिंदी अनुवाद “बुनाई” है।
यह मनुष्य के भीतर एक मर्दाना और स्त्री शक्ति को एकजुट करने, स्वर्ग और पृथ्वी, पारगमन के साथ मानव शरीर, ध्रुवों को ढहने को संदर्भित करता है।
तंत्र का उद्देश्य स्वयं की अलग भावना से परे जीवन के साथ एक परमानंद मिलन की खोज करना है।
‘पवित्र-लिंग और योनि-मंदिर तंत्र का एक पहलू है। इनको तंत्र द्वारा एक मुक्तिद्वार के रूप में देखा जाता है।
एक बार जब मनुष्य सीख जाता हैं कि इसका दोहन कैसे किया जाता है : तो वह अद्वैत अवस्था के लिए उस में ही अपने को डुबा देता है।
तांत्रिक सेक्स मैं मनुष्य की यौन ऊर्जा, जुनून और इच्छाओं की आग को सही मार्ग में अग्रसर करके उस उर्जाको क्षय होने से रोककर शक्ति उर्जा मैं परिणत करता है।
साधारण यौनउर्जा की शक्तियाँ कभी कभी मनुष्य समालने में असमर्थ हो जाता है। तांत्रिक सेक्स के द्वारा इन उर्जा शक्तियों का संतुलन करने में आसानी होती है। सामंजस्य बिठाने में सरलता होती है।
पारस्परिक यौन की चिंगारियाँ बिखरने एवं उड़ने लगती हैं तो तंत्र सेक्स उसे समेटकर मनुष्य को सशक्त, पारलौकिक, गहरा सुंदर, अनुभव देता है।

     तंत्र सेक्स में पुरुष (परमात्मा) और स्त्री (प्रकृति) है। वे इस तरह एक दूसरे से  जुड़े होते है, जैसे दो शरीर एक ही हो। दोनों के बीच प्रेम अत्यंत सम्मान भाव और भक्ति से भरा हुआ होता है। इस तरह की आत्मीयता दोनों के बिच उच्चतम आत्म को उद्घाटित करती है और संबंध में प्यार भर देती है।
तंत्र संभोग में समय धीमा हो जाता है और अंतर्ज्ञान फैलता जाता है। मनुष्य संभोग के चरम आनंद तक पहूच जाता है। ऐसा आनंद शरीर तल के भोग से प्राप्त करना असंभव है ।

तांत्रिक सेक्स कैसे काम करता है ?
तांत्रिक सेक्स में कामुक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है। दोनों में एक ही तरह की शारीरिक उत्तेजना जागृत नहीं होती है।
तांत्रिक सेक्स में अक्सर धीमे आलिंगनों, कोमल स्पर्श के साथ सूक्ष्म अहसास शरीर के भीतर मौजूद होना और भागीदार के शरीर के बीच ऊर्जा के संचलन पर ध्यान केंद्रित करना अति आवश्यक होता है।
यह सेक्स तंत्र ध्यान, भक्ति के आयाम पर टिका है । यदि मनुष्य आराम से संभोग में उतरता हैं तो वह संभोग में निरन्तरता देता है। इसमें मनुष्य संभोग में लम्बे समय तक स्थिर रह सकता है। आनंद की कोई सीमा नही रह जाती है।
साधारण संभोग से तांत्रिक संभोग जैसा दीर्ध आनंद और परम संतुष्टी प्राप्त नहीं की जा सकती। आम सेक्स में संभोग सुख के करीब पहुचने से पहले ही शक्ति क्षय हो जाती है और आनंद तक पहुंचना असंभव हो जाता है। तंत्र संभोग में मनुष्य अधिकतम 2 घण्टे तक टिकने की क्षमता रखता है।
जिन्हें प्रयोग समझ कर पारंगत होना है, वे व्हाट्सप्प 9997741245 पर विमर्श करें. हम निःशुल्क सुलभ हैं.
(चेतना विकास मिशन)

Exit mobile version