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वैचारिक संघर्ष से ही किया जा सकता है बेहतरीन दुनिया का निर्माण

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मुनेश त्यागी

      अपने स्कूली दिनों में ही हमने अपने गुरुजनों से सुना था कि आदमी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़कर ही बड़ा बन सकता है, पूरी दुनिया की जानकारी और ज्ञान हासिल कर सकता है और इसी से ही एक बेहतरीन समाज और बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सकता है। उनकी यह बात हमें हमेशा याद रहीं। बाद में जब हम एलएलबी करने दिल्ली विश्वविद्यालय गए तो वहां पर भी हमारे गुरुजनों ने हमें उस समय की बेहतरीन किताबों से कानून का ज्ञान दिया था और दुनिया की बेहतरीन किताबें पढ़ने की जोरदार सिफारिश की थी।

       वहीं पर हमें बताया गया था कि होब्स, लोक, रुसो और वोल्तायर के साथ-साथ मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन की किताबें भी पढ़ना बहुत जरूरी है। इसके बाद हमने अपने विद्यार्थी जीवन में ही मार्क्स, एंगेल्स लेनिन, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र नाथ लाहिडी और ठाकुर रोशन सिंह के बारे में किताबों के माध्यम से जानकारी हासिल कर ली थी।

       उसके बाद यह दायरा बढ़ता चला गया और हमने वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल, माओ, स्टालिन, फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा, पाब्लो नेरुदा, काजी नजरुल इस्लाम, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, हबीब जालिब, मुंशी प्रेमचंद, निराला, दिनकर आदि के बारे में पढ़ा। उन्हीं दिनों भगत सिंह के साथी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी शिव वर्मा का एक लेख पढ़ा जिसमें उन्होंने कहा था कि “किताबें आदमी की सर्वश्रेष्ठ दोस्त होती हैं, इसलिए अच्छी किताबें हमेशा अपने साथ रखो और उनका अध्ययन करो।” इसी के साथ साथ उन्होंने जोर दिया कि जनवादी, धर्मनिरपेक्ष, गणतांत्रिक और समाजवादी संवाद स्थापित करने के लिए जनता के संगठन बनाओ, वैचारिक संघर्ष को आगे बढ़ाओ और एक बेहतर समाज के निर्माण के अभियान और संघर्ष में शामिल हो जाओ।

     उसके बाद हमने बहुत सारे पुस्तकालयों से, नेशनल बुक ट्रस्ट से, विश्व पुस्तक मेलों से, बहुत सारी किताबें खरीदी और उनका अध्ययन किया। पुराने समय में बहुत सारी अच्छी-अच्छी किताबें दुकानों पर मिल जाती थी मगर आज हम देख रहे हैं कि किताबों की अधिकांश दुकानों से क्रांतिकारी साहित्य विलुप्त हो गया है। सरकार को, जो बेहतरीन साहित्य अपनी सारी जनता को किसानों मजदूरों छात्रों नौजवानों और महिलाओं को उपलब्ध कराना था, उसने भी उपलब्ध नहीं कराया। देश और दुनिया की बेहतरीन किताबें तो उसके एजेंडे में ही नहीं है। हां यह बात भी सही है कि आजकल हमारी सरकार सांप्रदायिक और अंधविश्वासी साहित्य को बढ़ाने में लगी हुई है।

      आज की सरकार ने तो दुनिया के बेहतरीन साहित्य से आंखें बंद कर ली है, जैसे उसे दुनिया की बेहतरीन किताबों से चिढ़ हो गई है। इस माहौल में आज हमारे देश के अधिकांश राज्यों में बेहतरीन पुस्तकों का, इस देश और दुनिया को सजाने संवारने वाली पुस्तकों का, बिल्कुल अभाव है। आज तो अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है कि दुनिया की बेहतरीन किताबें कौन सी हैं? यहीं पर हम देख रहे हैं कि देश में धर्मांधता और अंधविश्वास को बढ़ाने वाले साहित्य और किताबों की बाढ़ आई हुई है।

       इस मामले में हम भाग्यशाली रहे कि अपने क्रांतिकारी गुरुओं और साथियों की शिक्षा से हम दुनिया की कुछ बेहतरीन पुस्तकें संग्रहित कर पाए। वैसे तो पुस्तकें भी आज वर्गों में बंट गई हैं यानी कि सामंती, पूंजीवादी और धर्मांध विचारधारा की पुस्तकें और जनवादी, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और क्रांतिकारी विचारों की पुस्तकें। यहां पर यह बात भी सही है कि आज हमारे देश में सामंती, पूंजीवादी और धर्मांध ताकतों का गठजोड़ है, तो वे भला अपनी कब्र खोदने वाली क्रांतिकारी और समाजवादी पुस्तकों और साहित्य का प्रकाशन और प्रचार प्रसार क्यों करेंगे?

       इस मामले में हम कई साथियों की तरह भाग्यशाली हैं कि हमारे पास दुनिया की वे कई बेहतरीन पुस्तकें और साहित्य है कि जिनको पढ़कर एक शोषणविहीन, वर्गविहीन, समता समानता जनवादी धर्मनिरपेक्ष, आपसी भाईचारे पर आधारित और समाजवादी समाज की स्थापना की जा सकती है। कुछ किताबों का विवरण इस प्रकार है,,,,,

 मार्क्स और एंगेल्स की कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो, मार्क्स की पूंजी, ऐंगिल्स की असली और काल्पनिक समाजवाद, लेनिन की क्या करें?, एक कदम आगे दो कदम पीछे, राज्य और क्रांति, साम्राज्यवाद पूंजीवाद की अंतिम अवस्था, मैक्सिम गोरकी की मां, निकोलाई आस्त्रोवस्की की अग्नि दीक्षा, विक्टर ह्यूगो की लेस मिजरेबल्स, डॉक्टर जगमोहन सिंह की भगत सिंह और साथियों के दस्तावेज, शिव वर्मा की संस्कृतियां, प्रेमचंद की गोदान और कर्मभूमि, राहुल सांकृत्यायन की भागो नहीं दुनिया को बदलो, साम्यवाद ही क्यों?, तुम्हारी क्षय, जवाहरलाल नेहरु की पिता के पत्र पुत्री के नाम, डिस्कवरी ऑफ इंडिया, विश्व इतिहास की एक झलक, अंबेडकर की जाति विनाश, जेपी की सम्पूर्ण क्रान्ति, दुष्यंत कुमार त्यागी की साये में धूप, माकारैंकों की एक पुस्तक माता-पिता के लिए, फिदेल कास्त्रो की जीवनी और माई लाइफ और एक विराट जुआघर, स्वामी सहजानंद सरस्वती की किसान कैसे लड़ते हैं? समसुल इस्लाम की आर एस एस को जानो।

     गुणाकर मुले की सौर मंडल, भगवतशरण उपाध्याय की खून के छींटे इतिहास के पन्नों पर और भारतीय समाज का विकास, सव्यसाची की कम्युनिस्टों ने क्या किया? यह सब क्यों?, अयोध्या सिंह की भारत का मुक्तिसंग्राम और सुंदरलाल की भारत में अंग्रेजी राज। इसके अलावा देश और दुनिया के इतिहास राजनीति अर्थशास्त्र ज्ञान विज्ञान कानून धर्म और प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी विचारों को जानने की हजारों किताबों की लंबी सूची है। इसी के साथ साथ ईसा मसीह, मोहम्मद साहेब और विवेकानंद के विचारों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

      हमारा यह दृढतम विश्वास है कि शोषण विहीन, न्याय, समता, समानता और आपसी भाईचारे पर आधारित, समाज व्यवस्था कायम करने के लिए, दुनिया की बेहतरीन किताबों का हर घर में होना और उनका अध्ययन करना बहुत जरूरी है। हमारे घर का एक कौना अवश्य ही दुनिया के बेहतरीन साहित्य और किताबों से भरपूर होना चाहिए। आप अपने बच्चों को रुपया पैसा सोना चांदी हीरे मोती के साथ साथ, उन्हें दुनिया की बेहतरीन किताबें जरूर मोहिया कराइए और उनके अध्ययन पर जोर डालिए। याद रखना, देश दुनिया की बेहतरीन किताबों में वर्णित विचारों ने ही इस दुनिया को बेहतर बनाया है। 

     जब रूस में 1917 में क्रांति हुई तो उसके बाद वहां की किसानों मजदूरों की समाजवादी सरकार ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ लाखों किताबों का प्रचार प्रसार और प्रशासन करके हजारों पुस्तकालय खोले थे और अपनी जनता को पूर्ण रूप से शिक्षित किया था। इसके बाद ही सोवियत यूनियन दुनिया की महाशक्ति बन पाया था। ऐसे ही हमारे देश और समाज को बेहतर बनाने के लिए, हमारे देश को और यहां के नागरिकों को दुनिया की बेहतरीन किताबों की जरूरत है।

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