अग्नि आलोक

एक ऐसा दिन जो ज़िन्दगी भर के लिए एक कविता सा दर्ज हो गया..

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और कविता का शीर्षक था – “रे मिता”...

विजय अग्रवाल, धारवाला

इंदौर के गाँधीहॉल में लिट् चौक फेस्ट के आखरी दिन अपने बचपन के दोस्त Raunak के साथ अचानक से बिना किसी सेलिब्रिटी व्याख्यायन का शेड्यूल जाने, बस एक बार जाने का मन था सो लास्ट सेशन में जाना हो ही गया..

और जब शेड्यूल देखा तो लगा कि चलो यार 1 न. शख़्सियत आने वाली है ।

“स्वानन्द किरकिरे”  साहब

इंदौर में जन्मा एक व्यक्तित्व जिसने इसी गांधी हॉल के ग्राउंड में आने मुफलिसी के दौर में नाटकों की रिहर्सल की..

और आज एक सबसे सार्थक गीतकारों में से एक है..

सिर्फ गीतकार ही नहीं, एक लेखक, गायक, निर्देशक, संवाद लेखक, संगीतकार व अभिनेता भी..

2012 में भ्रूण हत्या और महिला अपराध पर लिखा गाना “ओरी चिरइया”  को कौन नही जानता, और एक ऐसा व्यक्तित्व जो खुदके लिखे गाने पर ये बोले कि ‘बड़ा दुख है कि ये गाना आज भी सार्थक है, जबकि इस गाने की समाज में ज़रूरत ख़त्म हो जानी चाहिए.. 

 

इन्होंने स्टेज पर जब हाल ही लिखी किताब के एक कविता सुनायी “रे मिता” तो लगा हर इंसान की कविता है ये तो, और वहीं स्टॉल पर जाकर किताब ख़रीद डाली, जबकि पढ़ने में आलसी हूँ तो किताब खरीदता ही नही कभी..

फ़ीर सोचा की इनके हस्ताक्षर लेंगे इस कविता पर तो..पर वो भीड़ वाला सेल्फी में तो मजा ही नही आता अपने को.. और जब कोई चीज़ शिद्दत से चाही तो कायनात ने हमारे इंदौर की समाज सेवी Pooja मैम (प्रयास संस्था) से इत्तफाकन मिला दिया जो वहाँ इंदौर ही के स्टार ब्लॉगर Chacha चाचा चटोरे वाले वीनित सर के साथ आयी हुई थीं और स्वानन्द सर से मिलने जा ही रही थीं..

जब स्वानन्द सर को मैनें बताया कि की मिटा का अर्थ मित्र आज पता लगा और शायद पहली किताब ख़रीदी होगी मैंने क्योंकि पढ़ने में आलसी हूँ तो आप खुद ही देखिये फ़ोटो में उन्होंने क्या आशीर्वाद दिया…

स्वानन्द किरकीरेजी के चमकते कला के चन्द उदाहरण –

1) बावरा मन (हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, गीतकार व गायक)

2) बन्दे में था दम, वंदे मातरम (मुन्नाभाई, गीतकार)

3) बहती हवा से था वो  (3 इडियट्स, गीतकार)

4) पीयू बोले (परिणीता, गीतकार)

5) तू किसी रेल सी गुज़रती है (मसान, गायक)

6) लूट पूट गया (डंकी, गीतकार)

7) 3 ऑफ अस (अभिनेता)

     

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