सुसंस्कृति परिहार
दमोह जिले की पथरिया विधानसभा पिछले पांच सालों से काफी चर्चित विधानसभा रही है जब तक यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही तब तक इसकी कभी कोई खास चर्चा नहीं रही आरक्षित से सामान्य सीट घोषित होने के बाद यह हमेशा सुर्खियां बटोरती रही है।
आपने “बिन पेंदी का लोटा” वाली कहावत तो खूब सुनी होगी, लेकिन राजनीति में यह कहावत दमोह जिले के पथरिया नगर परिषद के नव निवार्चित अध्यक्ष ने सौ फीसदी सच कर दिखाई। उन्होंने एक दिन में तीन पार्टियां बदल डालीं। महज 12 घंटे में उन्होंने पार्षद से अध्यक्ष बनने के दौरान दो पार्टियां बदली, तो अध्यक्ष बनने के चंद घंटो बाद वे तीसरी पार्टी में शामिल हो गए।इस घटना ने भी पथरिया में नया इतिहास रचा। अभी तक के चुनावी इतिहास में इस क्षेत्र से दो महिलाओं यहां से विधानसभा में जीत दर्ज की है जिनमें आरक्षित सीट थी तब सोना बाई भाजपा से सर्वाधिक 43%वोट लेकर जीतीं तथा सामान्य सीट होने पर रामबाई सिंह परिहार ने बीएसपी से 2018 में जीत दर्ज की।दबंग विधायक रामबाई सिंह ने इस सीट पर रहकर बहुत सुर्खियां बटोरी हैं। रामबाई ने कभी कमलनाथ और कभी भाजपा के शिवराज सिंह के साथ अपने भविष्य को सुरक्षित रखने की जो कोशिशें की वह भी चर्चाओं में रहीं।
पथरिया सीट पर अगर पिछले चुनावों की बात करें तो यहां पर 1998 से लगातार 4 चुनाव से बीजेपी का कब्जा रहा था। बीजेपी यहां लगातार नए चेहरे को मैदान में उतारती रही और चुनाव जीतने में सफल भी रही थी. लेकिन 2018 में बीजेपी का ये किला चतुष्कोणीय संघर्ष के कारण ढह गया और बड़ा उलटफेर हो गया पथरिया विधानसभा सीट से 2018 विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए निराशाजनक रहा है टिकट वितरण से नाराजगी के चलते बगावत हुई और निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में कूद गए जिनमें भाजपा से रामकृष्ण कुसमारिया और कांग्रेस से बृजेंद्र राव सिंह बगावत कर चुनाव मैदान में कूद गए। मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया। रामकृष्ण कुसमारिया के कारण बीजेपी को नुकसान हुआ और बृजेंद्र राव सिंह के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ और अप्रत्याशित तौर पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी रामबाई परिहार चुनाव जीत गयी। इस चुनाव में रामबाई परिहार बसपा को 39 हजार 267 वोट मिले तो बीजेपी के लखन पटेल 37 हजार 62 मतों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के गौरव पटेल को महज 25 हजार 438 सीट मिलीं, वहीं कांग्रेस से बगावत करने वाले बृजेंद्र राव सिंह को 27 हजार 74 मत मिले।इस तरह बसपा की रामबाई परिहार 2 हजार 205 मतों से चुनाव जीत गयी।कांग्रेस को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा।
कांग्रेस ने इस बार 2018के चुनाव परिणाम कोगौ आधार बनाकर जो रणनीति बनाई है और जिस तरह समस्त आवेदनकर्ता प्रत्याशियों में इकट्ठे होकर मंदिर में यह शपथ ली है कि कांग्रेस प्रत्याशी कोई भी हो हम सब उसका साथ देंगे। विदित हो यह सीट पिछले चुनाव में कांग्रेस के गौरव पटेल और कांग्रेस के बृजेन्द्र राव की बगावत के कारण ही बसपा को मिली थी। इस बार भाजपा ने लखन पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है बसपा ने अब तक रामबाई का टिकिट भी घोषित नहीं किया है।संभव है तमाम कांग्रेस प्रत्याशी की एकजुटता और कांग्रेस की लहर यदि चली तभी लगातार क्षेत्र में सक्रिय लखन पटेल को मात दी जा सकती है । कांग्रेस यदि इसी तरह की पहल यदि अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ करें तो उसकी सीटों में आश्चर्यजनक वृद्धि हो सकती है।
हालांकि आज ऊपरी स्तर पर कसमें,शपथ और वायदे तोड़क माहौल में इसकी गुंजाइश कम नज़र आती है किंतु यह एक बेहतरीन कोशिश है ।
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