Site icon अग्नि आलोक

एक चिट्ठी अंजना, चित्रा और रुबिका के बच्चों के लिए

Share

अपूर्व भारद्वाज 
प्यारे बच्चों कैसे हो..!!  आप जब यह चिट्ठी पढ़ रहे होंगे तो आप बहुत अच्छे मुड़ में होंगे क्योकि मुझे पता है कि आप सब समर वेकेशन इंजॉय कर रहे होंगे ..आप मे से कुछ तो अपने नाना-नानी या मामा-मामी के यहाँ होंगे और उनके साथ खूब मस्तिया कर रहे होंगे मैं आप लोगो का मूड खराब नही करना चाहता हूँ पर यह कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि आप जैसे बहुत से बच्चे यह सब नही कर पा रहे है उसका कारण तो आप जरूर जानना  चाहोगे न…!!!
उसका कारण है महँगाई, बिजली की कमी और दिनों दिन बढ़ता कम्युनल टेंशन ..जिसके कारण बहुत से बच्चे के माता पिता वो सब नही कर पा रहे है जो आपकी मम्मी पापा आपके लिए कर पा रहे है मुझे पता है इसमें आपका कोई दोष नही है आखिरकार आप कर ही क्या सकते है आप तो छोटे से प्यारे बच्चे है पर बच्चों आपकी मम्मी बहुत कुछ कर सकती है…
बच्चों आज देश मे महँगाई, बेरोजगारी और नफरत सबसे ज्यादा है  बहुत से बच्चों का स्कूल कोरोना के कारण छूट गया है गाँव मे तो बच्चें 2 साल से स्कूल ही नही गए है क्योंकि वँहा आपके घर जैसा इंटरनेट नही था वो सब डिप्रेशन में है उनकी आवाज़ कोई उठा नही रहॉ है न कोई सुन रहा है उनकी आवाज उठाने का काम उन बच्चों ने आपकी मम्मियों को सौपा था पर अफसोस वो सबकूछ भूलकर दिन भर टीवी पर हिदू मुसलमान ही कर रही है 
बच्चों आप पूछोगे ..अंकल मम्मी क्या कर सकती है वो भी तो एक एम्प्लाई ही है और जो उनका ओनर बोलेगा उन्हें वो ही करना होगा ..तो बच्चों अपनी मम्मी से पूछना की अगर उन बच्चों की जगह आप होते तो भी वो अपने मालिक की सुनती क्या ..क्या वो अपने बच्चों को अपने कैरियर से कमतर समझती ..आपको मेरे सवाल का जवाब मिल जायेगा 
बच्चों इस चिट्ठी का उद्देश्य आपको अपनी मम्मी पापा के खिलाफ भड़काना नही है पर आपकी मम्मीया जिस मीडिया को रिप्रेजेंट करती है उसे हमारे देश मतलब हमारे घर की बिल्डिंग का फोर्थ पिलर कहते है बच्चों अगर यह पिलर टूट गया तो पूरा देश टूट जायेगा और आप जैसे बहुत सारे बच्चे बेघर हो जायेगे ..
प्यारे  बच्चों जब मैं यह चिट्ठी आपको लिख रहॉ हूँ  आपकी मम्मीया सारे जरूरी सवाल भूलकर समाज मे वो ही नफरत का बीज बो रही है यह उन सब बच्चों की आवाज को दबाना है जो उनसे उम्मीद पालकर बैठे है उन करोड़ो बच्चों के लिए यह सवाल अपनी अपनी मम्मी से जरूर पूछना होगा..
पूछोगे न…

Exit mobile version