सनत जैन
अमेरिका में गौतम अडानी और अडानी समूह के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। अमेरिका के अटॉर्नी ऑफिस और वाशिंगटन न्याय विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में टिप्पणी करने से मना कर दिया है। अमेरिका का कानून, अपने अधिकारियों को विदेश में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में क्रास एग्जामिनेशन और दस्तावेजों की जांच करने की अनुमति देता है। अमेरिकी कानून के अनुसार इस तरह की किसी भी जांच के लिए एक शर्त होती है। अमेरिका के निवेशक का पैसा यदि उसमें लगा हुआ है, तो इस तरह के मामले में जांच की जा सकती है।
24 जनवरी 2023 को हिडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर मनी लांड्रिंग के जरिए शेयर मैनिपुलेशन करने के आरोप लगाए गए थे। केस की जांच अमेरिका में अब शुरू हुई है। भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने 16 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच करने के लिए कहा था। सेबी ने एक हिसाब से अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला लगभग ठंडे बस्ते में चला गया है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में जानकारी दी गई है, रिन्यूबल एनर्जी कंपनी, एज्योर पावर ग्लोबल की जांच की जा रही है। न्यूयॉर्क के पूर्वी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस और वाशिंगटन के न्याय विभाग द्वारा धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।
भारत में हाल ही में इलेक्टोरल बांड का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तूल पकड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्टोरल बांड के संबंध में समस्त जानकारी स्टेट बैंक आफ इंडिया को चुनाव आयोग को देनी पड़ी है। चुनाव आयोग ने स्टेट बैंक से मिली जानकारी को पोर्टल में अपलोड कर दिया है। उसके बाद से ही भारत में कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार, ईडी और सीबीआई की संलिप्तिता को लेकर तूफान मचा हुआ है। इलेक्टोरल बांड भारत का अभी तक का हुआ सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का घोटाला बताया जा रहा है। विपक्षी दलों द्वारा इस मामले में अडानी समूह के साथ-साथ सरकार को भी निशाने पर लिया गया है। भारत सरकार की अडानी समूह पर मेहरबानी रही है। इलेक्टोरल बांड के साथ-साथ अब पीएम केयर फंड के घपले-घोटाले में शामिल किया जा रहा है। जिस तरह से इलेक्टोरल बांड की जानकारी को गुप्त रखा गया था, उसी तरह पीएम केयर फंड की जानकारी को भी गुप्त रखा गया है। सूचना अधिकार कानून के तहत इसकी कोई जानकारी अभी तक उजागर नहीं की गई है। पीएम केयर फंड का कोई भी ऑडिट केग तथा सीए द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। भारत में इलेक्टोरल बांड के खुलासे के बाद अब पीएम केयर फंड को भी विपक्ष ने निशाने पर ले लिया है।
अमेरिका में गौतम अडानी के आचरण तथा अडानी समूह की कंपनी द्वारा भारतीय अधिकारियों को एनर्जी प्रोजेक्ट में अपने मन मुताबिक काम करने के लिए रिश्वत देने का आरोप है। अमेरिकी न्यायालय तथा कानून विभाग की जांच में अडानी समूह को सारी जानकारी अनिवार्य रूप से देना पड़ेगा। अमेरिकी न्यायालयों और जांच एजेंसी का काम करने का तरीका भारत से अलग है। भारत में अडानी समूह के बचाव में सरकार खड़ी हो गई थी। अमेरिका में यह संभव नही हो पाएगा। भारत में रिलायंस समूह और अडानी समूह के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा भी अमेरिकी जांच को नया मोड़ दे सकती है। अडानी समूह का अंतरराष्ट्रीय व्यापार है। उसके अंतरराष्ट्रीय निवेशक हैं। हिन्नडबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के ऊपर मनी लांड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन के आरोप हैं। उनकी जांच शुरू हो जाने से भविष्य में अडानी समूह की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। अडानी समूह द्वारा अमेरिका में इस तरह की जांच से इनकार किया है, लेकिन जो रिपोर्ट आई है, उसके अनुसार अमेरिका में जांच शुरू हो गई है। भारत के आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है, अमेरिका में अडानी समूह का बच पाना बहुत मुश्किल है। अमेरिका में भी राष्ट्रपति पद के चुनाव इसी वर्ष होना है। अमेरिका का मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस तरह की खबरों को उजागर करने में जी-जान लगा देता है। ऐसा लगता है कि अब अडानी समूह की मुसीबतें बढ़ती चली जा रही हैं।