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अडानी की सोने की लंका दांव पर,महुआ मोइत्रा के साहस की तारीफ करनी ही पड़ेगी

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-सनत जैन

गौतम अडानी अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर रहे हैं
निशिकांत दुबे की व्यक्तिगत लड़ाई में अडानी की सोने की लंका दांव पर
महुआ मोइत्रा के चरित्र हनन की इस लड़ाई का अंजाम अडानी और भाजपा को भारी नुकसान

इन दिनों सोशल मीडिया पर महुआ मोइत्रा के बहुत सारे चित्र और वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिसमें महुआ को चरित्रहीन बताया जा रहा है। सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी के माध्यम से महुआ मोइत्रा को चुप करने की जो कोशिश की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी और अडानी समूह की यह सबसे बड़ी गलती साबित होगी। महाभारत के युद्ध में जिस तरह से द्रोपती का चीर हरण किया गया था। ठीक उसी तरह का चीरहरण महुआ मोइत्रा का करने की कोशिश की जा रही है। इसका नुकसान महुआ मोईत्रा को जो भी होगा, वह व्यक्तिगत चारित्रिक स्तर पर हो सकता है। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान अदानी समूह और भाजपा को होने जा रहा है। अदानी ने पिछले एक दशक में जो सफलताएं प्राप्त की हैं। वह इस लड़ाई में दांव पर लगती हुई नजर आ रही हैं । जिस तरह से सीता मॉ के अपहरण के कारण रावण का अंत हुआ। द्रोपती के कारण दुर्योधन और कौरव वंश का अंत हुआ । अब महुआ मोइत्रा के कारण अदानी समूह भी उसी रास्ते पर जाता हुआ दिख रहा है।
महुआ मोइत्रा का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ। उनकी उच्च शिक्षा अमेरिका के सबसे टॉप होलीओक गर्ल्स कॉलेज मे हुई । इस कॉलेज में मेधावी छात्राओं को ही प्रवेश मिलता है । महुआ मोईत्रा पढ़ाई के दौरान इस कॉलेज की सर्वश्रेष्ठ छात्राओं में से एक थी। पढ़ाई के दौरान ही अमेरिका के सबसे बड़े , जेपी मॉर्गन बैंक में इन्हें नौकरी मिल गई। कुछ ही वर्षों में वह जेपी मॉर्गन बैंक की उपाध्यक्ष बन गई। कुशाग्र बुद्धि की मेहनती, हंसमुख और हर चैलेंज को स्वीकार करने वाली महुआ मोइत्रा क़ुछ ही वर्षों में सफलता के ऊंचे मुकाम पर पहुंच गई।
नौकरी के दौरान इन्होंने डेनमार्क के अपने एक दोस्त के साथ शादी की। यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली। 35 साल की उम्र में उनका तलाक हो गया। उसके बाद वह नौकरी छोड़कर भारत लौटकर आ गई।
महुआ मोइत्रा का बचपन पश्चिम बंगाल में बीता। बचपन में जो बंगाल के संस्कार थे, वहां का खानपान संस्कृति का असर आज भी महुआ मोइत्रा में है। लंबे समय तक अमेरिका और यूरोप के कई देशों में रही हैं। इसका असर भी उनकी निजी जिंदगी में पड़ा। वह अपनी जिंदगी को बिंदास तरीके से जीती हैं। सबसे बड़ी खासियत यह है, कि महुआ जैसी होती है, वैसा ही प्रदर्शित करती हैं। जिसके कारण वह हमेशा चर्चाओं में बनी रहती हैं।
जब वह भारत आई, उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 2016 में वह टीएमसी की टिकट पर पश्चिम बंगाल में विधायक निर्वाचित हुई। 2019 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गई । युवा अवस्था से लेकर तलाक तक वह अमेरिका और यूरोप के देशों में रही। वहां पर उनका खाने-पीने रहने और जीने का तरीका पश्चिमी संस्कृति पर आधारित था। भारत आने पर भी वह अपनी निजी जिंदगी को अपने हिसाब से जीती है। अपने राजनीतिक जीवन को जिनके बीच में वह राजनीति करते है। उनके अनुसार जीवन शैली में ढल जाती हैं।

भारत में उनके एक मित्र बने। जिनका नाम जय अनंत शाह है। वह सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हैं। उनके साथ जब वह दिल्ली में होती थी। उनके साथ ही रहती और ज्यादा समय गुजराती थी। उनके साथ निजी और अंतरंग संबंध भी थे। किसी मामले में उनका जय अनंत शाह से मतभेद हुआ। उनके साथ महुआ ने अपने संबंध तोड़ लिये।
महुआ मोइत्रा ने सांसद निशिकांत दुबे की फर्जी डिग्री को लेकर सवाल उठाए थे। जिससे उनकी व्यक्तिगत अदावत निशिकांत दुबे से हो गई। निशिकांत दुबे अडानी के साथ एसोसिएट थे। सांसद निशिकांत दुबे भी महुआ के साथ दोस्ती करना चाहते थे। सफल एवं मेधावी महुआ ने निशिकांत दुबे को कभी पसंद नहीं किया।
इसी बीच महुआ मोईत्रा का संबंध हीरानंदानी से बना । हीरानंदानी समूह और अडानी समूह के बीच में अदावत चल रही थी। इसका मोहरा महुआ मोइत्रा कब बन गई, इसका उन्हें तब पता चला। जब उनके ऊपर संसद में पैसे लेकर अदानी समूह के खिलाफ प्रश्न लगाने के आरोप में घेरा गया । संसद के अंदर यह भी कहा गया कि उन्होंने अपना सांसद का पासवर्ड हीरानंदानी को दे दिया था। इस आरोप में महुआ मोइत्रा की सदस्यता चली गई।


महुआ मोइत्रा के व्यक्तित्व का आकलन करने में भारतीय जनता पार्टी, उनके सांसद निशिकांत दुबे, यहां तक की अदानी समूह असफल रहा है। जिस तरह का महुआ मोइत्रा का व्यक्तित्व है। उसमें सरलता है, सहजता है, लड़ने का सार्मथ्य है। यदि उन्हें कोई अकारण दबाने का प्रयास करता है, तो उनका विद्रोही स्वरूप उभरकर सामने आ जाता है। पश्चिमी सभ्यता में युवास्था में पली और बढी महुआ इस तरह के चरित्र हनन के प्रयास से डरने वाली नहीं है। सत्यता के साथ अपने रिश्ते को स्वीकार करती हैं। जीवन जीना उनका निजी अधिकार है। भारत के लोगों को दोहरे जीवन जीने की आदत है। महुआ उन नेताओं में से नहीं है जो कहते कुछ और है, करते कुछ और है।
2024 के लोकसभा चुनाव में उनके संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने उन्हें भारी मतों से चुनाव जिताकर संसद में भेजा है। वह अच्छी बंगाली बोलते हैं। मतदाताओं के साथ प्रभावी संवाद करती हैं। उनके मतदाता जो अपेक्षा उनसे रखते हैं। उनको पूरा करने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ती हैं । वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को लेकर भी जिस तरह से बोलती हैं । उनको सारी दुनिया में सुना जाता है। वह उच्च धनाढ्य परिवार से आती हैं । उनका रहना, खाना पीना, पहनना, पश्चिमी सभ्यता पर आधारित है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। महुआ जैसी है, वैसे ही लोगों को दिखाती हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेवन्सकी के बीच यौन संबंध थे। 1998 में इसको लेकर अमेरिका में बहुत बड़ा हंगामा हुआ। बात महाभियोग तक पहुंच गई। अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपने रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे थे। जैसे ही मोनिका के साथ राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अपने यौन संबंधों को स्वीकार किया।

अमेरिका के नागरिकों, सांसदों ने उन्हें तुरंत माफ कर दिया। अमेरिका की संस्कृति में इस तरह के संबंधों को गलत नहीं माना जाता है। महुआ मोइत्रा व्यस्क हैं, वह अपनी इच्छा से किसी के साथ भी रह सकती हैं। यह उनका निजी मामला है। जिस तरह से उनकी निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करके उनके चरित्र हनन का प्रयास उनके विरोधियों द्वारा किया जा रहा है। उसके कारण महुआ अब शेरनी की तरह लड़ने के लिए मैदान में है। इस लड़ाई में महुआ को कुछ खोना नहीं है । जो भी खोना है, वह भारतीय जनता पार्टी, उनके सांसद निशिकांत दुबे और अडानी समूह को ही खोना है। केंद्र में अभी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है। सारे विश्व में राजनीतिक एवं आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है। अदानी समूह की केवल हीरानंदानी से अदावत नहीं है। भारत में अंबानी समूह के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा है। दुनिया के और भी धनी-मानी अरबपति अदानी समूह के पीछे पड़े हुए हैं। महुआ मोइत्रा के साथ इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान अदानी समूह के गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को को होगा।

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के चरित्र को लेकर बोलना अशोभनीय माना जाता है। भरतीय इतिहास में नगर बधु अम्रपाली को सम्मान दिया जाता था। निशिकांत दुबे ने महुआ के बारे में जिस तरह नगर बधु कहकर संबोधित किया। इसकी भारत में निंदा हुई है। कहावत है, खरबूजा छुरी पर गिरे या छुरी खरबूजे पर गिरे, कटता तो खरबूजा ही है। यहां महुआ मोइत्रा की स्थिति एक छुरी की तरह है। खरबूजे के रूप में भाजपा और अडानी समूह कि टोल आर्मी है जो चरित्र हनन का जो प्रयास कर रही है। महाभारत और राम -रावण युद्ध की तरह स्थितियां उत्पन्न कर रहा है। वहां एक द्रोपती और एक सीता थी। यहां पर इस लड़ाई में बन रही है। जहां महुआ इनके अहंकार को समूल नष्ट करने का कारण बनने जा रही हैं।

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