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जोड़-घटाव- गुणा- भाग नहीं, सिर्फ जोड़ तोड़

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शशिकांत गुप्ते इंदौर 

छोटे बच्चें  मनोरंजन के लिए खेल खेल में एक दूसरें से पहेलियां बूझ रहें थे।एक बच्चें ने पूछा एक मुर्गी अपने आठ चुझों को लेकर सड़क पार कर रही थी।एक वाहन ने दो ने चुझों को कुचल दिया।गमगीन मुर्गी ने एक चुझे से पूछा अब कितने भाई बहन बचें है? चुझे ने कहा सात बचें हैं।बताओ कैसे?बच्चों को जब जवाब नहीं सुझा तब पहेली बूझने वाले बच्चें ने कहा चुझे को गिनती नहीं आती थी।यह बचकाना विनोद है।इसीतरह के बचकाने विनोद राजनीति में हो रहें हैं।

हर बार प्राकृतिक आपदाओं के समय  प्रशासिनक व्यवस्था संभालने वाले अधिकारी  स्वाभाविक रूप से मृतकों की गिनती भूल ही जातें हैं।इसीलिए गैर सरकारी और सरकारी संख्या में अंतर होता  है।ऐसा होता क्यों है?यह एक जिज्ञासा पूर्ण प्रश्न है?इस प्रश्न का जवाब खोजने के लिए हमें Calculation और Manipulation के अंतर को समझना होगा।उदाहरण के तौर पर यह किस्सा प्रासंगिक होगा।एक व्यापारी सज्जन सुबह बेटे के साथ मंदिर जातें हैं।मंदिर में स्थापित भगवान की प्रतीकात्मक मूर्ति के आगे नतमस्तक होतें हैं।बेटे को समझाते हैं कि सदा सच बोलों, बुरे कार्यो से दूर रहों,भगवान की नियमित आराधना करों।यह तो सुबह की बात हुई।जब दुकान खुलती है।यही व्यापारी अपने दुकान में रखे सामान को बेंचता हैं, तब ग्राहक से कहता है।

बगैर बिल के यह भाव और बिल बनवाओगे तो यह भाव लगेगा।बेटा, पिता के इस आचरण से अचंभित होकर पिताश्री से पूछता है। यह क्या सुबह मंदिर में आप बहुत अच्छे उपदेश दे रहे थे।पिता कहतें है बेटा वह परंपरा का निर्वहन था।यह व्यापार है।भावनाओं में व्यावहारिक आचरण में बहुत फर्क होता है।यही फर्क Calculation और Manipulation में है।राजनीति का ‘राज’ यही है।जहां नीति गायब हो जाती है।

एनकेनप्रकारेण नीति बनाई भी जाती है तो यह समझना जरूरी है कि, नीति कितनी भी अच्छी हो नीति घोषणाओं में सीमित होकर जुमलों में परिवर्तित हो जाती है। साथ ही घोषण करने वालों की नीयत पर संदेह होने लगता है।इनदिनों लोकतंत्र की  जो बुनियाद है “असहमति” पर अघोषित  अंकुश लगाया जा रहा है?Fake न्यूज को प्रसारित कर fact न्यूज प्रसारित करने वालों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।राजनीति शुद्ध रूप से Manipulation पर चल रही है।Calculation सिर्फ जबानी जमाखर्च होता है।Manipulation करना ही सत्य को छिपाना है।जो लोग अहंकारी होतें हैं।वे लोग सार्वजिनक रूप से चर्चा नहीं करतें हैं।अहंकार भी अपने आप में मानवीय अवगुण ही है।अहंकार वही लोग करतें हैं जिनमे विभिन्न प्रकार के ऐब होतें हैं

।अपने ऐब को छिपाने के लिए अहं का स्वांग रचते हैं।यह भी एक प्रकार का Manipulation है।


शशिकांत गुप्ते इंदौर 

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