अग्नि आलोक

आख़िर अब और क्या करे बहनों के हित में हमारा मिशन!

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           डॉ. विकास मानव 

 इस रिपोर्ट में प्रस्तुत स्क्रीनशॉट की बातों को बहुत ध्यान से, समझते हुए पढ़ें, एक से अधिक बार पढ़ें.

 क्लियर समझ आये, इसलिए साहित्य के नहीं, बिल्कुल लोक भाषा के शब्दों का उपयोग किया हूँ. 

       यह सूरत है बीएचयू, वाराणसी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही सोनी/रंजना तिवारी की. इनके लेख आप पढ़ते रहते हैं यहां. इनके फेस से भी परिचित हैं आप.

    टीचर ने कहा : फेल कर दूंगा वर्ना मुझे अपना ज़िस्म रौदने दो. *बीबी बच्चों वाला यह अधेड़उम्र प्रोफेसर “डॉक्टर सैतान”* मैडम के हॉस्टल में जा नहीं सकता था. क्लासरूम में कुछ संभव नहीं था.    

   तो ख़ुद ही मैडम जी जाने लगी उसके बताये स्थान पर. वर्जिन थी पूरी तरह. अपनी वर्जिनिटी नीलाम कर दी इन्होंने लालच में. भावी पतिदेव को भी ऐतराज़ नहीं.

    ये लोग ऐरे-गैरे घर से भी नहीं हैं मैडम जी संपन हैं. पति (अभी शादी की रश्म बाकी है) आर्मीमैन हैं. उड़ीसा में तैनात हैं. 

    उससे भी “ऐज ए फ़्रेंड”:मेरी बात होती रहती थी. खुद ही कॉल करते रहते थे. आज जब मैं इस मुद्दे पर बात करना चाहा, तो बंदा तरह-तरह के बहाने बनाकर कतरा गया.

    यह हमारे इस पैदाइसी पंडित समाज का सच है, जो बाकी सबको नीति – नैतिकता, शुचिता- अस्मिता, धर्म-सत्कर्म की शिक्षा देता है. नारी को काली- दुर्गा बनने का उपदेश देता है. कुंवारी कन्या का पूजन भी करवाता है. लेकिन ख़ुद “समझौतावादी”, “मतलबपरस्त”, दब्बू, कायर, ढोंगी और पाखंडी बना रहता है.

        यहां तो मज़बूरी जैसी कोई बात भी नहीं थी दोस्तों. बहुत पहले से मैं रंजना को सबकुछ लिखित में दे चुका था. आप देखें आज भी कितना समझाया, “बे-हद” सहयोग देने की, सबकुछ देने की बात की. अफ़सोस…

_मैं मैडम और इनके कथित भावी पतिदेव का नंबर यहां पब्लिकली ओपन करना ठीक नहीं समझता. मिडिया, पुलिस – प्रशासन, न्यायपालिका वेगैरह से जुड़े सज्जन मांग करेंगे तो उनको दिया जायेगा._

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