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बीजेपी के बाद कांग्रेस भी मुख्‍यमंत्री बदलने की राह पर

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क्‍या अब पंजाब के बाद छत्‍तीसगढ़ की बारी है?
झूठ का पुलिंदा बनकर रह गई है भूपेश सरकार
क्‍या छत्‍तीसगढ़ सीएम के लिए आ सकता है तीसरा चेहरा?
विजया पाठक,
एडिटर, जगत विजन
बीजेपी के बाद अब कांग्रेस भी मुख्‍यमंत्री बदलने की राह पर चल पड़ी है। शुरूआत पंजाब से हो गई है। लगता है अगला राज्‍य छत्‍तीसगढ़ हो सकता है। क्‍यों‍कि वहां भी मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही है। इसी बीच यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वहां कांग्रेस हाईकमान ऐसे चेहरे को मुख्‍यमंत्री बना सकती है जो रेस में भी न रहा हो। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि छत्‍तीसगढ़ में उलटफेर की नौबत आयी तो वो चेहरा कांग्रेस के दिग्‍गज नेता चरणदास महंत हो सकते हैं। इस नाम पर वर्तमान सीएम भूपेश बघेल को भी कोई ऐतराज नहीं होगा। छत्‍तीसगढ़ में उलटफेर का अंदाजा इसलिए भी लगाया जा सकता है कि प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री टीएस सिंहदेव और सीएम भूपेश बघेल के बीच इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। दोनों का मनमुटाव पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में राज्‍य में मुख्‍यमंत्री बदलना मजबूरी हो गई है। वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो भूपेश सरकार इस समय झूठ का पुलिंदा बनकर रह गई है। झूठे वादे, झूठे योजनाओं के आंकड़े, आम लोगों पर झूठे केस दर्ज करवाना और झूठा विकास। सीएम भूपेश बघेल की फितरत में आ गया है। छत्‍तीसगढ़ के इ‍तिहास में भूपेश बघेल सरकार से निकम्‍मी सरकार आज तक नहीं आयी। यह भी सच है कि यदि राज्‍य में मुख्‍यमंत्री को नहीं बदला तो कांग्रेस को आने वाले 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना काफी मुश्किल होगा।
राजनीतिक उलटफेर का गढ़ कहे जाने वाले भारत देश के विभिन्न प्रांतों में इन दिनों एक अलग हलचल देखने को मिल रही है। पार्टी चाहे जो भी हो, सभी राजनीतिक पार्टियों में एक जैसा ही बदलाव देखने को मिल रहा है। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में अपने मुख्यमंत्रियों को बदलकर इन राज्यों में चुनावों की तैयारियों पर फोकस करना शुरू कर दिया है। जल्द ही हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री बदले जाने की संभावना जताई जा रही है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी के अंदर भी मुख्यमंत्रियों को बदले जाने की कवायद शुरू हो गई है। पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर कांग्रेस आलाकमान ने भी अपने इरादे साफ कर दिये हैं। आलाकमान अभी से ही आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गया है। अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे संकेत मिले हैं कि कांग्रेस के शीर्षस्थ वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल को हटाने को लेकर अपनी राय दे चुके हैं। हालांकि खुद भूपेश बघेल अब भी इस मुगालते से बाहर नहीं निकल पाये हैं कि वो अगले विधानसभा तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर नहीं रहेंगे।
देखा जाये तो छत्तीसगढ़ की राजनीति अन्य राज्यों की तुलना में अलग है। यहां वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद खुद कांग्रेस आलाकमान ने सरकार बनाते समय मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर यह निर्णय़ लिया था कि ढाई साल भूपेश बघेल और ढाई साल टीएस सिंहदेव को सरकार चलाने की जिम्मेदारी दी जायेगी। लेकिन ढाई साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भूपेश बघेल इस पद से हटने को तैयार नहीं हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान टीएस सिंहदेव कांग्रेस पार्टी का प्रमुख चेहरा थे। उनके ही नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव का मुखपत्र जारी किया था। लेकिन आज वहीं टीएस सिंहदेव भूपेश बघेल की वजह से उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
बीते ढाई साल में भूपेश बघेल की सरकार के दौरान राज्य में भ्रष्टाचार, घूसखोरी, चोरी, डकैती, छेड़छाड़, मर्डर, मीडिया पर अंकुश जैसी कई घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इतना ही नहीं राज्य में भू-माफियाओं का बोलबाला है। बघेल सरकार इन सब पर रोक लगाने में पूरी तरह नाकामयाब रही है। राज्‍य की इस दुर्दशा के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया भी बराबर के भागीदार हैं। जबकि भूपेश बघेल की इस नाकामयाबी से कांग्रेस शीर्षस्थ नेता खुद भी अच्छी तरह से परिचित हैं। बावजूद उसके कांग्रेस हाईकमान भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही है। कांग्रेस आलाकमान के इस निर्णय़ से न सिर्फ स्थानीय नेताओं में असंतोष है, बल्कि राज्य की जनता में भी गहरा असंतोष देखने को मिल रहा है। अगर ऐसा ही चला तो निश्चित ही अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का सत्ता वापसी का ख्वाब, एक सपना बनकर ही रह जायेगा। इसीलिये कांग्रेस हाईकमान को इस दिशा में दोबारा से चिंतन करने की आवश्यकता है

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