सुसंस्कृति परिहार
पिछले तीन दिसम्बर से चले गहन मंथन के बाद संघ की अनुमति से जिन तीन राज्यों में नये चेहरे अनमोल रत्न के रूप में सामने आए हैं वे हैं छत्तीसगढ़ से विष्णु देव साय, मध्यप्रदेश से मोहन यादव और राजस्थान से भजनलाल शर्मा। तीनों अधेड़ उम्र और अनुभवी हैं।वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ज़रिए राजनीति में प्रविष्ट हुए हैं उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं।वे संघ के दुलारे हैं उन्होंने संघ की टुकड़े टुकड़े गैंग भाजपा में प्रविष्ट होकर यह मुकाम हासिल किया है।शुक्र यह है कि वे विधायक का चुनाव जीतकर आए हैं। जबरिया स्थापित नहीं किए गए। इनमें एक आदिवासी,एक पिछड़े और एक स्वर्ण समाज से आते हैं।यह देख सुखद अनुभूति होती है।दो दो उपमुख्यमंत्री बनाते समय दलित समाज वा महिला का ध्यान रखा गया है।आगे मंत्रीमंडल की प्रतीक्षा रहेगी हालांकि ब्राह्मणों और राजपूतों का बर्चस्व बना हुआ है जो स्पष्ट झलक रहा है।
किंतु दो मुख्यमंत्री की करतूतों को देखकर मन दुखी हो गया । अभी मध्यप्रदेश मामा के जाने के ग़म से उबर भी नहीं पाया था कि सुबह-सुबह माननीय नये नवेले मुख्यमंत्री जी के दो वीडियो वायरल हो गए एक तो लठ भांजते ,तरह तरह के करतब दिखाते यादव जी और दूसरे में मां की गंदी गाली देते उनके तेवर दिखे। वे धार्मिक नगरी उज्जयिनी से आते हैं।जहां पूरे शहर में सत्यम शिवम् गूंजता है। जहां मांस और मदिरा प्रतिबंधित है। फिर उनमें इतनी उत्तेजना कैसे आई वह भी जब वे मुख्यमंत्री के पद का दायित्व संभाल चुके हैं।
दूसरी सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे एक ऐसी संस्कारी राष्ट्रवादी संस्था के युवा विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आते हैं जिसमें वे छात्र जीवन से जुड़े और उसके तमाम उच्च पदों पर रहे हैं।वे कल तक शिवराज मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं।उनका ये रवैया अशोभनीय है। दुःखकर है जहां मां बहने शिव शोक में डूबीं हुई हैं वहां मां की गाली देने वाला कैसा व्यवहार इनके साथ करेगा।कल्पना करते हुए सिरहन पैदा होने लगती है।क्या संस्कार भारती ने ऐसी दीक्षा दी है।लठ बाजी देखकर भी जनता अवाक है।पता नहीं कब चल जाए।शाखा के रंग ढंग मुख्यमंत्री पद पर शोभा नहीं देते।हो सकता है नई नई खुशी में ये सब हुआ हो लेकिन आप निंदा के पात्र तो बन ही गए।
दो दिन बाद छग के विष्णु देव साय का भी एक वीडियो इसी तरह का वायरल हुआ है। वे जिस तरह आक्रोश में धमकी गालियों के साथ दे रहे हैं यह माननीय की मर्यादा के खिलाफ है।समझ नहीं आता इतने वर्षों जनता के बीच काम करते हुए आप लोगों ने यह गंदी ज़बान क्यों चलाई? संस्कारी पार्टी के मुख्यमंत्रियों का यह रवैया ठीक नहीं है। सामंती भाषा यदि अपनाने से संतोष प्राप्ति हो रही हो तो बात दूसरी है।कतिपय लोगों का ख्याल है जैसों के साथ तैसा व्यवहार उचित है तो यह भूल है।लोग तो कह ही रहे हैं बंदरों के हाथ उस्तरा दे दिया गया है। इसे बदलना होगा।
राजस्थान से बने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी से अपेक्षाएं हैं वे इस तौर तरीके से परहेज़ रखेंगे ।आप सब संघ के अनमोल रत्न है बड़ा जीवन देश के लिए होम करना है।इतने लंबे मंथन के बाद जो अमृत आया है उसे विष ना बनाएं।